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झज्जर : दिल्ली छूने को बेताब

प्रथम शर्मा दिल्ली के साथ लगते व एनसीआर में शामिल होने के बावजूद झज्जर शहर को प्रॉपर्टी मार्किट के रूप में विकसित होने के लिहाज से काफी लंबा इन्तजार करना पड़ा है। पिछड़े शहरों में शुमार होने वाले झज्जर शहर की काया पलट तो वर्तमान में भी नहीं हो पायी है लेकिन पिछले करीब सात […]
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प्रथम शर्मा
दिल्ली के साथ लगते व एनसीआर में शामिल होने के बावजूद झज्जर शहर को प्रॉपर्टी मार्किट के रूप में विकसित होने के लिहाज से काफी लंबा इन्तजार करना पड़ा है। पिछड़े शहरों में शुमार होने वाले झज्जर शहर की काया पलट तो वर्तमान में भी नहीं हो पायी है लेकिन पिछले करीब सात वर्ष पूर्व से प्रॉपर्टी में आया बूम वर्तमान तक जारी है। झज्जर के पिछड़ेपन की अनेक वजहें गिनाई जा सकती हैं। दरअसल जिला मुख्यालय होने के बावजूद एक दशक से ज्यादा समय तक झज्जर पूरे देश में अकेला ऐसा जिला होने का दंश झेलता रहा जोकि किसी भी तरह से रेलवे लाइन से नहीं जुड़ा हुआ था। करीब एक वर्ष पूर्व यहां रेलगाड़ी पहुंची तो विकास की उम्मीद भी बंधती नजर आई।
प्रॉपर्टी को लेकर शहर की बात की जाए तो वर्तमान में शहर का विकास योजनाबद्ध तरीके से भले ही होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा हो लेकिन वर्ष 2008 में प्रॉपर्टी में आया उछाल अनेक लोगों को करोड़पतियों की कतार में खड़ा कर गया। इससे स्वाभाविक है कि लोगों के रहन-सहन में भी बदलाव आना शुरू हुआ। यही वजह है कि झज्जर में निजी बिल्डरों ने न सिर्फ सभी सुविधाओं से सम्पन्न सुमन सिटी, झज्जर फस्ट जैसी कालोनियां विकसित की बल्कि सुमन विलाज के नाम से लग्जरीयुक्त बंगलों का निर्माण भी किया।
वर्ष 2007 तक जिन जमीनों की कीमत हजार रुपए प्रति वर्ग गज से भी कम थी उन जमीनों का भाव वर्तमान में तीस हजार प्रति वर्ग गज से भी ज्यादा का हो चुका है। हालांकि प्रदेश के हुडा विभाग ने सेक्टरों की घोषणा करने के साथ दो सेक्टरों में अलाटमैंट तक कर दी है। लेकिन सेक्टरों में रिहायश ठीक ढंग से होनी शुरू नहीं हुई है।
शहर में पार्कों की कमी भले ही दूर हो गई हो लेकिन उसके बावजूद शहर में पिकनिक स्पॉट का न होना लोगों को खलता है जिसकी कमी को पूरा करने के लिए लोग कुछ समय पूर्व ही सुमन सिटी में बनाए गए झज्जर च्वाइस शॉपिंग मॉल में भी जाने को मजबूर हैं। मॉल संस्कृति की शुरुआत होने से शहर में किसी भी सिनेमा हाल के न होने की कमी को भी दूर कर दिया गया है और एक बार फिर लोगों व खासकर युवा वर्ग का रुझान सिनेमा की ओर हुआ है। गुडग़ांव जैसे महंगे शहरों में फिल्म देखने व शॉपिंग के लिए जाने वाले युवाओं को झज्जर शहर में ही यह सुविधाएं मिलने से शहर का लुक भी बदलने लगा है। शहर के बीचों बीच स्थित बस अड्डे को भी रोहतक रोड पर ले जाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बस अड्डे के स्थानांतरण से शहर में जहां जाम जैसी स्थिति से छुटकारा मिलेगा वहीं विकास की दृष्टि से पिछड़ रहे रोहतक रोड पर भी आर्थिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी जिससे शहर के इस हिस्से का विकास भी तय है।

हाइवे ने बदली दिशा
झज्जर शहर रेवाड़ी-पानीपत को जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 71ए पर पड़ता है। शुरू में पूरा यातायात झज्जर शहर से गुजरता था। लेकिन इस राजमार्ग को चार मार्गी बनाने व शहर के साथ से बनाए गए हाइवे ने शहर की तस्वीर को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। हाइवे से गुजरने पर यह अहसास ही नहीं होता कि दो-तीन वर्ष पूर्व तक झज्जर शहर पिछड़ा हुआ था। बाईपास पर बने पुल किसी विकसित शहर की तस्वीर को पेश करते हैं और बाईपास के निकलने से रेवाड़ी रोड से लेकर रोहतक मार्ग तक की प्रॉपर्टी में पूरा उछाल आया हुआ है। भले ही झज्जर शहर के लाल डोरा की हद काफी छोटी हो लेकिन हाईवे के बाईपास ने एक तरह से इस हद को बढ़ाने का काम भी किया है।

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गुडग़ांव रोड बना विकास का पर्याय
दरअसल झज्जर शहर में प्रॉपर्टी का उछाल ‘सेज’ बनाए जाने की घोषणा से ही शुरू हुआ था। योजना के अनुसार सेज का निर्माण गुडग़ांव रोड से लेकर गुडग़ांव तक होना था जिसके लिए रिलायंस ने बाकायदा साढ़े सात हजार एकड़ जमीन खरीदी थी। सेज की योजना भले ही असफल हो गई हो लेकिन रिलायंस द्वारा खरीदी गई जमीन विकास के नए मापदंड स्थापित कर रही है। आदर्श आर्थिक जोन के नाम से बनाए गए क्षेत्र में पैनासोनिक व डैंसो जैसी विश्वप्रसिद्ध नामी कम्पनियों द्वारा अपने प्लांट स्थापित करने से शहर के विकास को जहां एक नया आयाम मिला है वहीं आर्थिक गतिविधियों में भी बेहिसाब वृद्धि हुई है। झज्जर शहर से गुडग़ांव रोड पर चलते ही सहवाग एकेडमी के निर्माण से लेकर दादरी तोए तक पन्द्रह किलोमीटर के क्षेत्र में बनी कम्पनियां व इमारतें शहर को नया लुक दे रही हैं। जिस क्षेत्र में कुछ समय पूर्व धूल उड़ती थी ,वह क्षेत्र अब रात्रि के समय भी इस कदर जगमगाता है कि देखने वालों की आंखें चुंधिया जाती हैं।

निवेश के लिए सुरक्षित है झज्जर
भले ही शहर की प्रॉपर्टी के दाम शहरवासियों की नजर में आसमान छू रहे हों लेकिन अन्य विकसित शहरों की तुलना में यह दाम बेहद कम हैं। क्योंकि शहर एनसीआर में आने के अलावा दिल्ली व गुडग़ांव के काफी नजदीक है और निवेश की सभी सम्भावनाएं मौजूद हैं। ऐसे में शहर में निवेश करना किसी भी तरह से घाटे का सौदा नहीं है। समय के साथ बढ़ती आबादी से गुडग़ांव व दिल्ली के विकास की रफ्तार झज्जर शहर की तरफ होना तय है। वर्तमान समय में यहां काफी जमीन खाली पड़ी है जिसे देखते हुए प्रॉपर्टी डीलरों की पहली पसन्द झज्जर क्षेत्र बनता जा रहा है। आने वाले दिनों में अनेक कंपनियां झज्जर क्षेत्र में आनी प्रस्तावित हैं जिससे प्रॉपर्टी का यह उछाल और ज्यादा परवान चढ़ेगा। ऐसा नहीं है कि बाहर से आने वालों या फिर स्थानीय लोगों का झज्जर में बाहरी क्षेत्रों में मकान बनाने के प्रति रुझान बढ़ा है। आज भी अनेक लोग ऐसे हैं जिनकी पसंद झज्जर शहर का आदर्श नगर,आर्य नगर,सुभाष नगर या मॉडल टाउन ही हैं। यह सभी स्थान वैसे तो शहर के लाल डोरे से बाहर हैं लेकिन पूरी तरह से विकसित हो जाने की वजह से इन सभी स्थानों पर भी जमीनों के भाव आसमान पर हैं। इन स्थानों पर यदि किसी को मकान लेना है तो उन्हेें अपनी जेब ढीली करते हुए कुछ स्थानों पर तो पन्द्रह से बीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से जमीन मिल सकती है और कई स्थानों पर जमीन इन्हें तीस से चालीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से खरीदनी पड़ सकती है। यदि झज्जर शहर के अन्दर की बात की जाए तो तंग गलियां होने के बावजूद यहां जमीन का भाव बीस से तीस हजार रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से है। हरियाणा सरकार के हुडा विभाग की ओर से विकसित किए जा रहे सेक्टर 6 व सेक्टर 9 में जमीन के भाव बीस से पच्चीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से है। सेक्टर 6 में भू-मालिकों को वैसे तो विभाग द्वारा कब्जा दे दिया गया है लेकिन अभी लोगों ने यहां पर अपने मकान बनाने शुरू नहीं किए हैं। सेक्टर 9 की स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। यहां अभी विभाग द्वारा सीवरेज व सड़क बनाने का कार्य जोरों पर किया जा रहा है। उम्मीद है अगले 6 माह के भीतर मूलभूत सुविधाएं पूरी होते ही भू-मालिकों को कब्जे भी दे दिए जाएंगे। यहां पर कीमतों में और ज्यादा उछाल आने की संभावना है।

झज्जर में कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज ने भी तोड़ा रिकार्ड
रिहायशी इलाकों में ही नही बल्कि कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज में भी झज्जर के अन्दर काफी बूम पिछले दस सालों में आया है। शहर के मुख्य बाजार में दस बाई पन्द्रह या आठ बाई बारह फुट साइज की खरीदी जाने वाली जिन दुकानों का भाव दस साल पहले तक पांच से दस लाख रुपये तक होता था वह आज चालीस से पचास लाख तक पहुंच गया है। झज्जर में मेन बाजार में बीस बाई चालीस फुट साइज के शोरूम की कीमत दस साल पहले तक बीस से तीस लाख रुपये तक थी आज वह एक करोड़ रुपये से सवा करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

बुआ ने बनवाया था हसन की याद में स्मारक
झज्जर वर्ष 1635 में बुआ-हसन की प्रेम कथा का गवाह बना था। बुआ-हसन से जुड़े किस्से आज भी शान से सुनाए जाते हैं। शायद ही किसी प्रेमिका ने कभी अपने प्रेमी की याद में किसी स्मारक का निर्माण करवाया हो। अगर प्रेमी और प्रेमिका से जुड़े किसी स्मारक को इबादत की नजर से याद किया जाता है तो वह है ताजमहल जो शाहजहां ने बनवाया था। लेकिन बुआ, जिसने न कि केवल अपने पे्रमी की याद में एक कब्रगाह बनवाई बल्कि एक तालाब भी बनवाया था। जहां पर वह दोनों अक्सर चांदनी रातों में मिला करते थे। उनकी यादें यहां झज्जर में शेष बची हैं बुआ-हसन तालाब के रूप में। इसे यहां पर आने वाले लोगों द्वारा उनकी सच्ची प्रेमकथा के रूप में याद किया जाता है।

झज्जर में कहां कितना दाम
आदर्श नगर पैंतीस से चालीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज
आर्य नगर बीस से तीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज
सुभाष नगर पन्द्रह से बीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज
मॉडल टाउन पन्द्रह से बीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज
झज्जर शहर के अन्दर बीस से तीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज
झज्जर वन चालीस लाख से पचास लाख रुपये फ्लैट की
सुमन सिटी पन्द्रह से बीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज
सुमन विलाज फ्लैट सवा करोड़ रुपये से डेढ़ करोड़ रुपये
सेक्टर 6 बीस से पच्चीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज
सेक्टर 9 बीस से पच्चीस हजार रुपये प्रति वर्ग गज

 

 

 

झज्जर का पुराना दीवान गेट जो आज भी पुरानी यादों को ताज़ा  किए हुए है।

 

 

झज्जर-गुडग़ांव मार्ग पर ही बनाया विशाल शॉपिंग माल जो यहां से गुजरने वालों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

 

 

झज्जर शहर में पहले 9 गेट होते थे।  जो अब अस्तित्व खो चुके हैं। अब नगर के सीताराम गेट पर प्रशासन द्वारा पुराना लुक देने के दृष्टिगत बनाया जा रहा एक गेट।

 

झज्जर में राष्ट्रीय राजमार्ग 71 ए पर पानीपत व रेवाड़ी को जोडऩे और शहरवासियों को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए बनाए गुए पुल व हाइवे पर दौड़ती हुई गाडिय़ां।

 

 

झज्जर के सेक्टर 6 में बनाई जा रही आलीशान बिल्डिंग।

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