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62 साल का सबसे बड़ा हीरो

दीप्ति अनिल उनकी नयी फिल्म ‘राणा’ जिसकी शूटिंग ने अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ी है, को लेकर दर्शकों का क्रेज अभी से देखने को मिल रहा है। इस फिल्म में उनकी तीन हीरोइन होंगी। युवा रजनी के साथ दीपिका पादुकोण, प्रौढ़ रजनी के साथ जूही चावला और वृद्ध रजनी के साथ रेखा। पर एक विशेष […]
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दीप्ति अनिल

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उनकी नयी फिल्म ‘राणा’ जिसकी शूटिंग ने अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ी है, को लेकर दर्शकों का क्रेज अभी से देखने को मिल रहा है। इस फिल्म में उनकी तीन हीरोइन होंगी। युवा रजनी के साथ दीपिका पादुकोण, प्रौढ़ रजनी के साथ जूही चावला और वृद्ध रजनी के साथ रेखा। पर एक विशेष सूत्र की बात पर यकीन करें तो रेखा ने वृद्ध रजनी के साथ जोड़ी बनाने से इनकार कर दिया है। जहां तक उनका सवाल है, वह आज भी युवाओं की तरह हरकतें करते हैं। और उनकी ये हरकतें उनके प्रशंसकों को बेइंतहा पसंद आती हैं। इसका  आलम यह है कि क्या शाहरुख, क्या सलमान, हिंदी फिल्मों की बात जाने दें भारतीय फिल्मों के सारे नायकों को लगभग धता बताकर वह आज भी देश के नंबर एक हीरो हैं और उनकी उम्र है 62 साल। जी हां, वह रजनीकांत हैं। साउथ के उनके फैन यदि उनके भक्त हैं तो हिंदी फिल्म प्रेमी उनकी सफलता से चमत्कृत। वह जरूरत से ज्यादा विनम्र हैं और जमीन से जुड़े हुए हैं। आप उन्हें स्टूडियो में मिलें या शूटिंग पर आप उनके साथ कॉफी पिए बिना नहीं जा सकते। यह तमिलनाडू की संस्कृति से बिल्कुल मेल खाता व्यवहार है। पर जब रजनीकांत आपके साथ हों तो वे खुद आपकी चाय में शक्कर डाल देंगे या रसोई से ताजी इडली ले आयेंगे। यही हैं असली रजनीकांत। साठ को पार कर चुके इस अभिनेता ने 150 से ज्यादा फिल्में की हैं। वे कभी कोई विशेषज्ञ की तरह नाप-तोल कर बात नहीं करते। पर वे विशेषज्ञ हैं। उनके फैन्स की संख्या अनगिनत है। कहने की जरूरत नहीं कि उनकी जबरदस्त हिट फिल्मों ने इसमें बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। यह अलग बात है कि परदे से बाहर भी वे एक असली सुपरस्टार की तरह हैं।
रास नहीं आई हिंदी फिल्में
अंधा कानून में रजनी पूरे काले कपड़ों में नजर आये। उनकी पुलिस इंस्पेक्टर बहन हेमा मालिनी इस फिल्म में दुश्मनों से बदला लेती है। उन लोगों ने उनके पिता की हत्या की और बहन का बलात्कार किया। मसाले से भरपूर यह फिल्म हिट रही। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन की भी  अहम भूमिका थी। उन्होंने जांनिसार अख्तर नामक एक वन अधिकारी का रोल किया था, जो खुद भी बदले की आग में जल रहा है।  उस वक्त अति लोकप्रिय अमिताभ बच्चन सारी तालियां ले गये। लेकिन इसी के साथ रजनीकांत का भी उदय हुआ और ट्रेड विश्लेषकों ने कहा कि उन्हें अब अपने दम पर एक हिट फिल्म देनी होगी। इसके बाद आयी राकेश रोशन और अनिता राज के साथ जीत हमारी, मेरी अदालत, गंगवा, जॉन जानी जनार्दन, वफादार, बेवफाई और दोबारा बच्चन और कमल हासन के साथ ‘गिरफ्तार’।
बॉलीवुड में कमल हासन भी लगातार विफल हो रहे थे।
इससे यह बात भी साबित हो रही थी कि दक्षिण के नायक हिंदी बेल्ट में नहीं चलते। बात साफ थी कि रजनीकांत हिंदी में सही फिल्मों का चुनाव नहीं कर रहे थे। पर इसी दौरान राकेश रोशन के साथ उनकी जोड़ी जम गयी। जीत हमारी के बाद उन्होंने महागुरु में काम किया। इसके बाद आयी उनकी फिल्म भगवान दादा, जो आज केवल बाल कलाकार रितिक रोशन के लिए याद की जाती है। रजनी सर का हिंदी फिल्म करिअर निरंतर नीचे जा रहा था। असली नकली, दोस्त दुश्मनी, इनसान क्या करेगा, जीतेन्द्र के साथ तमाचा और रमेश सिप्पी की भ्रष्टाचार। इसी दौरान उन्हें सुभाष घई निर्मित उत्तर दक्षिण से बहुत उम्मीदें थीं। माधुरी की मौजूदगी के बावजूद फिल्म पिट गयी। साफ था कि रजनीकांत अपने रोल का चुनाव सही ढंग से नहीं कर पा रहे थे। यही नहीं वह फिल्म की स्क्रिप्ट सुनने में भी लगातार चूक
रहे थे। खासतौर से उन्हें जीत हमारी, महागुरु, तमाचा जैसी
फिल्म करने से बचना चाहिए था।
मल्टी स्टार फिल्मों की मार
उन दिनों मल्टी स्टार सिनेमा का दौर था और उसमें उनका स्टारडम फिट नहीं हो रहा था। फरिश्ते में उन्हें पूरी तरह से जाया किया गया। धर्मेन्द्र और विनोद खन्ना की मुख्य भूमिका से सजी यह एक महाघटिया फिल्म थी। इसके बाद आयी रेखा अभिनीत महिला प्रधान फिल्म फूल बने अंगारे। जयाप्रदा के साथ उनकी फिल्म त्यागी को आज कोई याद नहीं करना चाहता। इनसानियत के देवता में दर्शक राजकुमार को देखना चाहते थे और बुलंदी में अनिल कपूर को। समझ में नहीं आता कि रजनीकांत हमेशा साइड रोल में क्यों नज़र आये। चालबाज और ‘हम दो’ ऐसी हिंदी फिल्में हैं, जिनमें उनकी भूमिका कम से कम याद की जा सकती है। चालबाज में श्रीदेवी के साथ उनकी कॉमेडी दिलचस्प थी। ‘हम’ में अमिताभ, गोविंदा और रजनीकांत भाई की तरह लग रहे थे। इसमें मुकुल आनंद ने उन्हें कैमरे के सामने भरपूर मौका दिया। फिर भी जुम्मा चुम्मा से बच्चन फिल्म के केंद्र बने।
बहरहाल, लगभग बीस साल से रजनी सर ने कोई हिंदी फिल्म नहीं की है। इसकी उन्हें कोई जरूरत भी नहीं पड़ रही है। शिवाजी और रोबोट के डब वर्सन ने उनके लिए हिंदी फिल्मों में भी सारी बातें आसान कर दी हैं। आज हिंदी फिल्म प्रेमी भी इस बात से वाकिफ हो चुके हैं कि देश का असली फिल्मी हीरो कौन है। शायद यही वजह है कि उनकी अगली फिल्म ‘राणा’ के डब वर्सन का राइट्स खरीदने के लिए अभी से वितरकों में  होड़ लग गयी है। यह होता है असली हीरो का कमाल।

आम आदमी की तरह जीना चाहता हूं : रजनीकांत

वह मुंबई में यदा-कदा ही आते हैं। यहां उनका ठहराव दो-चार दिनों से ज्यादा का नहीं होता है। पेश है दो मुलाकतों में उनसे हुई बातचीत। इनमें से एक संक्षिप्त मुलाकात वल्र्ड कप के फाइनल मुकाबले के दौरान उनसे हुई जिसे देखने के लिए वह खास तौर से मुंबई पधारे थे। वह हमेशा ही इंटरव्यू देने से बचते रहे हैं। बावजूद इसके हर सवाल का उन्हें खुलकर जवाब देना बखूबी आता है।
0 इन सालों में आप कई लोगों के लिए भगवान बन गये हैं। रोबोट की रिलीज के वक्त आपके प्रशंसकों ने आपका पलाभीशेखम भी किया, जहां भगवान को दूध से नहाया जाता है। यह सब सुनकर कैसा लगता है?
यह सब उनका प्यार और श्रद्धा है जिसे मैं सिर माथे पर लेता हूं। बस, उनसे मेरा एक ही आग्रह है, किसी तरह के अंधविश्वास में न पड़कर मुझे इसी तरह से अपना प्यार देते रहें।
0 आप अपनी हर फिल्म के पूरी होने के बाद हिमालय चले जाते हैं?
मैं अपनी हर फिल्म के बाद हिमालय पर अकेले जाता हूं। वहां के गांव मुझे बहुत पसंद हैं। यह जगह मुझे एक खास तरह का सुकून देती है। पवित्र गंगा, पहाड़ी इलाका, भोले-भाले लोग, कुदरत की सुंदरता। वहां मैं पिछले पंद्रह साल से जा रहा हूं।
0 आपको लेकर इंटरनेट पर जोक्स की भरमार है। क्या आपने उन्हें पढ़ा है?
मुझे बहुत मजा आता है। इन्हें पढ़कर मुझे जरा भी बुरा नहीं लगता है। मैं बस उनकी कल्पनाशीलता का कायल हूं, मुझे इन पर हंसी आती है। जो बच्चे यह बनाते हैं, बहुत ज्यादा अक्लमंद हैं।
0 आपकी दो बेटियां हैं। क्या बेटे की कमी कभी खलती है?
बेकार की सोच है। ईश्वर की कृपा से मैं बहुत खुश हूं। आज के युग में यह बातें मायने नहीं रखतीं। मेरे दो पोते हैं, यात्रा और लिंगा। मैं उनके लिए एक अच्छा दादाजी हूं। उनसे बहुत प्यार करता हूं। यह एक अलग तरह का सुख है।
0 देश के इतने बड़े स्टार होने के बावजूद आप लोगों के बीच आम इनसान की तरह धोती पहन कर चले जाते हैं?
मैं अपनी निजी जिंदगी में कोई दिखावा नहीं करता हूं। मैं जैसा हूं वैसे ही लोग मुझे पसंद करें, यही मेरी दिली चाहत होती है। मेरे फैन मुझे परदे पर बिल्कुल अलग रूप में देखना चाहते हैं। इसके लिए वे पैसे खर्च कर रहे हैं। सेल्यूलाइड पर वे अपने नायक को देखना चाहते हैं। परदे के बाहर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। वे बहुत अक्लमंद हैं। मेरी असल जिंदगी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उनके मन मुताबिक काम करने की कोशिश करता हूं। मैं एक्शन भी करता हूं, रोमांस भी। उनके लिए ही मैं अपने आपको बिल्कुल फिट रखता हूं। मैं योग करता हूं और कसरत भी। मुझे हर हाल में फिट रहना है। यही मेरी पूंजी है। एक कलाकार को अपना शरीर फिट रखना होता है। दिमाग लगाना लेखक और निर्देशक का काम है।’

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