सरकार ने व्हाट्सएप से मांगा जवाब
नयी दिल्ली, 31 अक्तूबर (एजेंसी)
व्हाट्सएप ने कहा है कि इस्राइली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिये कुछ अज्ञात इकाइयां वैश्विक स्तर पर जासूसी कर रही हैं। भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी का शिकार बने हैं। इस पर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने व्हाट्सएप से 4 नवंबर तक जवाब मांगा है। वहीं, गृह मंत्रालय ने कहा है कि सरकार नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और निजता के उल्लंघन की खबरें भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश है।
व्हाट्सएप ने कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में इस्राइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। समझा जाता है कि इसी कंपनी की टेक्नोलॉजी के जरिये कुछ इकाइयों के जासूसों ने करीब 1400 लोगों के फोन हैक किए हैं। इन इकाइयों का नाम नहीं बताया गया, लेकिन कहा गया है जिन लोगों के फोन हैक हुए, वे चार महाद्वीपों में फैले हैं।
इनमें राजनयिक, राजनीतिक विरोधी, पत्रकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं। हालांकि, व्हाट्सएप ने यह खुलासा नहीं किया कि किसके कहने पर पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए गये हैं। व्हाट्सएप ने यह भी नहीं बताया कि भारत में कितने लोगों को इस जासूसी का निशाना बनाया गया या वे कौन लोग हैं। कंपनी ने कहा कि मई में उसे साइबर हमले का पता चला, जिसमें उसकी वीडियो कॉलिंग प्रणाली के जरिये यूजर्स को मेलवेयर भेजा गया। व्हाट्सएप ने कहा कि उसने करीब 1400 यूजर्स को इसकी जानकारी दी है।
उधर, एनएसओ ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वह लाइसेंसधारी सरकारी खुफिया और विधि प्रवर्तन एजेंसियों को प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराती है, जिससे ये एजेंसियां आतंकवाद और गंभीर अपराध से संबंधित मामलों में लड़ सकें। एनएसओ ने कहा, हमारी प्रौद्योगिकी का डिजाइन या लाइसेंस मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए नहीं है।