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मिर्चपुर प्रकरण बना सरकार के गले की फांस

दलेर सिंह जीन्द, 19 जनवरी। हिसार जिले के मिर्चपुर गांव का चर्चित प्रकरण प्रदेश सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। बुधवार को शाम तक भी इस मामले का कोई हल नहीं निकल पाया। इससे पहले पिछले कई दिनों से सरकार एवं सत्तासीन पार्टी के कई लोग इस प्रकरण को लेकर आंदोलन कर […]
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जीन्द में धरना स्थल पर मिर्चपुर प्रकरण को लेकऱ सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुये लोग। छाय : अस

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दलेर सिंह
जीन्द, 19 जनवरी। हिसार जिले के मिर्चपुर गांव का चर्चित प्रकरण प्रदेश सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। बुधवार को शाम तक भी इस मामले का कोई हल नहीं निकल पाया।
इससे पहले पिछले कई दिनों से सरकार एवं सत्तासीन पार्टी के कई लोग इस प्रकरण को लेकर आंदोलन कर रही संघर्ष समिति एवं प्रशासन के बीच समझौता करवाने के लिए संकटमोचन बनने के प्रयास में हैं,जो बुधवार शाम तक सफल नहीं हो पाये थे। इनमें प्रमुख रूप से लोक निर्माण मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम शामिल है। वह दो बार जीन्द आकर समझौते के प्रयास कर चुके हैं,जो सफल नहीं हो सके। वहीं, दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश के प्रयासों का सकारात्मक परिणाम भी अब तक सामने नहीं आ सका है। इनके अतिरिक्त हरियाणा महिला कांगे्रस की महासचिव एवं प्रदेश कांगे्रस कमेटी की सदस्य मनोज कुमारी अहलावत ने पिछले तीन दिनों में जीन्द रहकर अपने सम्पर्कों से लोगों को मनाने का प्रयास किया। मिर्चपुर गांव में जाकर भी उन्होंने  ग्रामीणों की राय जानी, अपनी खाप से संबंधित प्रमुख लोगों से भी मामले का हल निकालने के लिए लंबी बातचीत की। इसी तरह से हरियाणा प्रदेश कांगे्रस कमेटी के एक अन्य सदस्य धर्मबीर गोयत भी गत चार दिनों से जीन्द में डेरा डाले हुए हैं। गोयत जिला प्रशासन एवं संघर्ष समिति के बीच एक बार तालमेल बनाने में कामयाब भी हुए और एक समझौते के लिए एक मसौदा भी तैयार करवाया,परन्तु यह समझौते का यह मसौदा रेलवे ट्रेक पर आंदोलनकारियों के बीच जाते ही बिखर गया।  इस प्रकरण के आंदोलनकारियों की चार प्रमुख मांगे हैं, जिनमें सरकार मामले की जांच सीबीआई या फिर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम या किसी आई.पी.एस अधिकारी से करवाए, वाल्मीमियों द्वारा दिया गया हल्फ नामा मंजूर किया जाए, सरकार स्वयं पार्टी बनकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करे और केस को हिसार ट्रांसफर करवाये और एन.जी.ओ के वकीलों द्वारा दिये गए हल्फनामों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए। इसके अतिरिक्त रेलवे ट्रेक पर धरना दे रहे युवाओं की यह प्रमुख मांग भी पिछले तीन-चार दिनों  से जोर पकड़ रही है कि पहले जेल में बंद सभी लोगों को तत्काल रहा किया जाए,तभी आंदोलन समाप्त होगा।
उधर, कानून विशेषज्ञों का मानना है कि आंदोलनकारियों की कई मांगें तो ऐसी हैं,जिन्हें सरकार मानने में पूरी तरह से बेबश है। बिना जमानत एवं न्यायालय के आदेशों के बिना किसी भी आरोपी को सरकार जेल से बाहर नहीं कर सकती। मामले के आरोपियों को हिसार जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी कोर्ट के आदेश पर ही शिफ्ट किया गया है,ऐसे में सरकार उन्हें दोबारा से हिसार जेल में शिफ्ट करवाने के मामले में मौजूदा कानूनी पेचीदगियों के चलते बेबश है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 19 अपै्रल को जीन्द-बरवाला मार्ग पर स्थित हिसार जिले के गांव मिर्चपुर में वाल्मीकि समुदाय एवं एक समुदाय के कुछ युवाओं के बीच किसी बात को लेकर कहा-सुनी एवं मारपिटाई हो गई। इसी के चलते 21 अपै्रल को जाट समुदाय के लोगों ने कथित रूप से वाल्मीकि समुदाय के घरों में आग लगी दी। जिसमें दर्जनों मकान जलकर राख हो गये तथा बाल्मीकि समुदाय के एक वृद्ध तथा एक लड़की भी इस आग की भेंट चढ़ गए। इस प्रकरण के बाद कई युवा ऐसे है जो आज तिहाड़ जेल में बंद हैं। उनमें से कइयों का चयन सरकारी सेवा में हो गया। जेल में बंद होने के कारण वह अब अपनी ड्यूटी भी ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं।

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