भारत के पहले परखनली शिशु जन्मदाता को मिलेगा ‘डाक्टर आफ साइंस’ अवार्ड
यह कैसी त्रासदी
डाक्टर बिरादरी द्वारा महत्व नहीं दिये जाने के कारण डॉ. मुखोपाध्याय ने कर ली थी आत्महत्या
कोलकाता, 15 जनवरी (भाषा)। अग्रणी शोध संगठन भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने देश के पहले परखनली शिशु के जन्मदाता डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय को उनके योगदान को लेकर मरणोपरांत ‘डाक्टर आफ साइंस’ की मानद उपाधि से सम्मानित करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ने भारत में इस तरह का पहला प्रयोग वर्ष 1978 में किया था और यह दुनिया में होने वाला दूसरा ऐसा प्रयोग था। दुर्भाग्यवश इस उपलब्धि को भारतीय चिकित्सक बिरादरी के महत्व नहीं दिए जाने के कारण निराशा की स्थिति में डॉ. मुखोपाध्याय ने इस उपलब्धि के तीन साल बाद आत्महत्या कर ली थी। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान की उच्चतम नीति निर्माण परिषद ने आज अपनी बैठक में डॉ. मुखोपाध्याय को मरणोपरांत मानद उपाधि से सम्मानित करने का फैसला लिया। गौरतलब है कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान की उच्चतम नीति निर्माण परिषद के अध्यक्ष वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी है। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक के भारत में जन्मदाता डॉ. मुखोपाध्याय ने तीन अक्तूबर 1978 को सफलतापूर्वक पहली परखनली शिशु दुर्गा (कनुप्रिया अग्रवाल) को जन्म दिलाने में सफलता प्राप्त की थी। इसके 67 दिन पहले ब्रिटिश वैज्ञानिक राबर्ट जी एडवड्र्स ने दुनिया के पहले परखनली शिशु को जन्म दिलाने की उपलब्धि अर्जित की थी। ब्रिटिश वैज्ञानिक राबर्ट जी एडवड्र्स को उनकी इस कामयाबी के लिए वर्ष 2010 में चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया जबकि मुखोपाध्याय ने 19 जून 1981 को आत्महत्या कर ली थी।
मुखोपाध्याय के जीवन और मौत से प्रेरित होकर फिल्म निर्देशक तपन सिन्हा ने वर्ष 1991 में ‘एक डाक्टर की मौत’ नामक फिल्म का निर्माण किया था।