2000 सहायक लाइनमैनों पर लटकी तलवार
हमारे प्रतिनिधि
चंडीगढ़, 3 जनवरी। दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम में डीसी रेट पर अनुबंध आधार पर लगे लगभग दो हजार सहायक लाइनमैनों की नौकरी पर खतरे की तलवार लटक गई है। इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के आदेश जारी हो गए हैं और आगामी सात जनवरी तक इन्हें रिलीव करने को कहा गया है। उधर, आल हरियाणा पावर कॉरपोरेशन वर्कर यूनियन ने निगम के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
दरअसल, निगम ने वर्ष 2007 में दो हजार से अधिक सहायक लाइनमैन डीसी रेट पर अनुबंध आधार पर नियुक्त किए थे। निगम के महाप्रबंधक (प्रशासनिक) ने विगत दिवस सभी सर्कलों के महाप्रबंधकों को पत्र जारी कर अनुबंध आधार पर लगे कर्मचारियों को सात दिन के अंदर नौकरी से हटाने के निर्देश जारी किए हैं। इन आदेशों के खिलाफ यूनियन ने सात जनवरी को प्रदेश की सभी सब-डिविजनों में प्रदर्शन करके कामकाज ठप करने व पंद्रह जनवरी को डिविजन स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। यूनियन आंदोलन के अगले चरण में अनुबंध कर्मचारियों की छंटनी, 11 केवी फीडरों की फ्रेंचाइजी और बिजली कर्मचारियों की मांगों के प्रति सरकार व निगम प्रबंधकों के उदासीनपूर्ण रवैये और करोड़ों के ईपीएफ व ईएसआई घोटाले करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ अभी तक कार्यवाही न करने के विरोध में दस फरवरी को बिजली मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के रेवाड़ी स्थित आवास का घेराव करने का निर्णय लिया है।
यूनियन प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र सिंह हुड्डा, महासचिव सुभाष लाम्बा, मुख्य संगठनकर्ता सतबीर शर्मा, वरिष्ठ उपप्रधान देवी सिंह पंवार, उप-महासचिव रमेशचंद, उपप्रधान जगपाल सांगवान व सुरेश राठी का कहना है कि बिजली निगमों में सहायक लाइनमैनों की हुई नई भर्ती के बावजूद वर्कलोड के अनुसार सहायक लाइनमैनों के चार हजार से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि बिजली मंत्री के आश्वासन के बावजूद वर्कलोड के अनुसार पदों के पुनर्गठन के कार्य को पूरा नहीं किया जा रहा।
उन्होंने बताया कि आऊटसोर्सिंग की नीति के तहत निगमों में लगाए गए अनुबंध कर्मचारियों के वेतन व निगम के खजाने से ईपीएफ व ईएसआई के नाम पर कटौती की गई अरबों रुपये को ठेकेदार डकार गए हैं और न ही ठेकेदार कर्मचारियों को पूरा वेतन समय पर दे रहे हैं। इसके बावजूद निगम प्रबंधक उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा डीसी रेट पर रखे गए कर्मचारियों को ठेकेदारों के मार्फत से रखने के 27 नवंबर को फरमान जारी कर दिए हैं।
डीएचवीपीएनएल में हजारों कर्मचारियों को सरप्लस बताकर व नियुक्ति के समय दिए गए कागजात की जांच करने के नाम पर दो हजार से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं, जिसका यूनियन कड़ा विरोध करेगी। प्रदेश महासचिव सुभाष लाम्बा ने बताया कि 22 अगस्त, 2012 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में निगम प्रबंधकों व यूनियन प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत में यूनियन द्वारा दिए गए ठोस तर्कों के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने आऊटसोर्सिंग की नीति की समीक्षा करने का आश्वासन दिया था।
इस आश्वासन के विपरीत निगम प्रबंधक 11 केवी फीडरों की फ्रेंचाइजी कर रहे हैं और बिना किसी टेंडर आमंत्रित किए गैर-कानूनी तरीके से रीङ्क्षडग, बिलिंग, कैश कलेक्शन का कार्य एचईएसएल को देने का निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मिस-मैनेजमेंट और निगमों में लागू की जा रही आऊटसोर्सिंग की नीतियों के कारण ही आज दोनों वितरण निगम भारी आॢथक संकट से जूझ रही हैं।