12 साल गर्भ में रहे, नाना के घर नहीं लिया जन्म
जाहरवीर गोगा जी के समाधि स्थल गोगामेड़ी में पूरे भादों महीने के दौरान मेला लगता है। मुख्य मेला नवमी को लगता है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित गोगामेड़ी पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग माथा टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। श्रद्धालु पहले गोरक्षनाथ टीले पर शीश नवाते हैं, उसके¢ बाद गोगा जी की समाधि पर माथा टेकते हैं।
राजस्थान के गोगामेड़ी में गोगा जी का मंदिर। फोटो : सुनील दीक्षित
सुनील दीक्षित
जाहरवीर गोगा जी के समाधि स्थल गोगामेड़ी में पूरे भादों महीने के दौरान मेला लगता है। मुख्य मेला नवमी को लगता है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित गोगामेड़ी पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग माथा टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। श्रद्धालु पहले गोरक्षनाथ टीले पर शीश नवाते हैं, उसके¢ बाद गोगा जी की समाधि पर माथा टेकते हैं। गोगा जी को सांपों का देवता भी कहा जाता है। गोगा जी के¢ मस्जिदनुमा मंदिर का निर्माण बादशाह फिराे¢जशाह तुगलक ने करवाया था। उसके बाद मंदिर का जीर्णोद्दार बीकानेर के महाराज के शासन में हुआ।
गोगा जी का जन्म चुरू के ददरेवा में चौहान वंश के राजपूत शासक जेवर सिंह की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो की नवमी को हुआ था। कथा है कि गुरु गोरखनाथ ने बाछल देवी को गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया था। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगा जी पड़ा। गोगा जी के जन्म की कथा अनूठी है। मान्यता है कि मां के गर्भधारण के 12 साल बाद उन्होंने जन्म लिया। कथा है कि तमाम उपायों के बाद भी बाछल देवी और राजा जेवर सिंह माता-पिता नहीं बन पाये तो उन्होंने तप करने का निश्चय किया। राजा जेवर तप करने वन चले गये। इसी दौरान गुरु गोरखनाथ जी अपने शिष्यों के साथ उस इलाके में आये। उनकी महिमा के बारे में सुनकर बाछल देवी उनकी सेवा करने लगीं। उनकी भक्ति देखकर एक दिन गुरु गोरखनाथ ने उनसे कहा कि कल सुबह हम यहां से प्रस्थान करेंगे, उस वक्त आकर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद लेना। बाछल देवी की बड़ी बहन व जेठानी रानी काछल के भी संतान नहीं थी। रानी काछल ने छल किया और बाछल देवी के कपड़े पहनकर आधी रात को ही गुरु गोरखनाथ के पास पहुंच गयीं। गोरखनाथ जी ने जब कहा कि तुम्हें तो सुबह बुलाया था, तो उसने कहा कि मुझसे इंतजार ही नहीं हुआ। गुुरु गोरखनाथ ने उसे 2 पुत्रों के आशीर्वाद के तौर पर जौ के दाने दे दिये। वहीं, जब सुबह बाछल देवी आशीर्वाद लेने पहुंचीं तो गुरु गोरखनाथ डेरा छोड़कर जा रहे थे। रानी बाछल पीछे से आवाज लगाते हुए उन तक पहुंंचीं। उन्होंने पुत्र का आशीर्वाद मांगा तो गुरु गोरखनाथ क्रोधित हो गये। उन्होंने कहा कि 2 पुत्र होने का आशीर्वाद लेकर भी तुम संतुष्ट नहीं हो। आखिरकार जब काछल का छल सामने आया तो गुरु गोरखनाथ ने देवी बाछल को गुगल का फल दिया और यह भी कहा कि तुम्हारा महावीर पुत्र काछल के पुत्रों का नाश करेगा। जल्द ही रानी बाछल गर्भवती हो गयीं। लेकिन, उनके ससुर ने उन्हें बदचलन बताते हुए महल से निकाल दिया। वह 12 साल अपने मायके सिरसापट्टम में रहीं, लेकिन गोगा जी ने जन्म नहीं लिया। कथा है कि गोगा जी ने मां को सपने में कहा था कि वह नाना के घर जन्म नहीं लेंगे। वह अपने घर ददरेवा में ही जन्म लेंगे। इस दौरान गर्भ में रहते हुए भी गोगा जी कई चमत्कार दिखाते रहे। उन्होंने अपने पिता को भी सपने में कहा कि मां को वापस नहीं लाये तो ददरेवा की ईंट से ईंट बजा दूंगा। आखिरकार देवी बाछल को वापस ददरेवा लाया गया, तब गोगा जी ने जन्म लिया।