हल्के लड़ाकूहेलीकाप्टर ने पहली उड़ान भरी
बेंगलूर, 23 मई (वार्ता)। देश के आकाश पर नया इतिहास लिखते हुए भारत के पहले हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर (एलसीएच)ने आज पहली बार उड़ान भरी।
केवल चार साल के रिकार्ड समय में विकसित किए गए इस काले फौलादी पंछी की उड़ान को देखने के लिए वायुसेना के उपप्रमुख एयर मार्शल प्रणव कुमार बारबोरा मौजूद थे । दो उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों धुव्र के साये में आकाश में उतरा यह हल्का हेलीकाप्टर केवल 5.8 टन का है और इसकी रफ्तार 268 किलोमीटर प्रतिघंटे की है। इस हल्के हेलीकाप्टर को ध्रुव के प्लेटफार्म पर विकसित किया गया है। इस हेलीकाप्टर को विकसित करने वाले हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स लिमिटेड के प्रमुख अशोक नायक ने बताया कि भारतीय वायुसेना इस तरह के 65 हेलीकाप्टरो ंकी मांग कर रही है जबकि भारतीय थलसेना ने 117 हेलीकाप्टरों की आपूर्ति की मांग की है।श्री नायक ने बताया कि इस एलसीएच परियोजना पर तीन अरब 76 करोड़ रुपए की लागत आयी है। एलसीएच की पहली उड़ान का उद्घाटन रक्षा मंत्री ए के एंटनी को करना था, लेकिन मेंगलूर विमान त्रासदी के कारण उनका यहां आने का कार्यक्रम रद्द कर हो गया। यह हेलीकॉप्टर धीमी गति से चलने वाले दुश्मन के आकाशीय लक्ष्यों को भेदने दुश्मन की एयर डिफेंस प्रणाली को नष्ट करने और हेलीकाप्टरों के विशेष अभियानों को सुरक्षा कवच मुहैया कराने में सक्षम है। यह हेलीकॉप्टर राहत खोज एवं बचाव कामों को हवाई सुरक्षा देने और टैंकभेदी भूमिका को निभाने में सक्षम है। इस एलसीएच को 20 एमएम की टोरंट गन-70 एमएम कै लिबर राकेट, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और कलस्टर बमों से लैस किया गया है। इस हेलीकॉप्टर की एक खास विशेषता इसके पायलट के हेलमेट पर लगी एक डिजीटल प्रणाली है, जिसे पहन कर पायलट जिस ओर नजरें घुमायेगा गन के निशाने उसी तरफ घूम जायेंगे। एलसीएच की विशेषताओं से गदगद् श्री बारबोरा ने इस मौके पर कहा कि आज का दिन भारत के लिए स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा और देश में बना यह लड़ाकू हेलीकाप्टर शीघ्र ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस हेलीकाप्टर क ो शरुआती आपरेशन मंजूरी और फाइनल आपेरशनल मंजूरी के काम में जुट जाना होगा। एचएएल सूत्रों ने बताया कि इसकी आपेरशनल मंजूरी 2011 में और 2012-13 तक इसे वायुसेना में शामिल होने की संभावना है।