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नये फैशन का करियर

हटकर : स्पोर्ट्स टेक्नॉलाजी यश ज्ञान-विज्ञान और शिक्षा की हर शाखा में से नित नई ब्रांच निकल रही है। इसी के अनुसार नये-नये सब्जेक्ट पढ़ाई के लिए भी सामने आ रहे हैं। वजहें कई हैं। पहली बात तो नये व्यवसाय व क्षेत्र उभर रहे हैं, उनमें प्रोफेशनल की जरूरत होती है। दूसरी वजह परंपरागत प्रोफेशनल […]
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हटकर : स्पोर्ट्स टेक्नॉलाजी

यश

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ज्ञान-विज्ञान और शिक्षा की हर शाखा में से नित नई ब्रांच निकल रही है। इसी के अनुसार नये-नये सब्जेक्ट पढ़ाई के लिए भी सामने आ रहे हैं। वजहें कई हैं। पहली बात तो नये व्यवसाय व क्षेत्र उभर रहे हैं, उनमें प्रोफेशनल की जरूरत होती है। दूसरी वजह परंपरागत प्रोफेशनल से नये क्षेत्रों में काम न चलना। स्पेशलाइजेशन का दौर जो है। इसके अलावा हरेक व्यवसाय के साथ टेक्नालॉजी का होना जरूरी हो गया है। टेक्नालॉजी हरेक क्षेत्र को प्रभावित कर रही है। इंजीनियरिंग शाखा के बैगर कहीं काम नहीं चलता—चाहे वह आईटी हो या नॉन आईटी। सभी क्षेत्रों की तरह श्रम-शक्ति की मांग के हिसाब से अध्ययन के विषयों के साथ भी टेक्नालॉजी जुड़ रही है। पढ़ाई के विषय समेकित (इंटीग्रेटेड) हो रहे हैं। इनफोटेक, बायोटेक, फूडटेक, स्पेसटेक, लेदरटेक और डेयरी टेक जैसे ढेरों सब्जेक्ट टेक्नालॉजी के कांबिनेशन से बन रहे हैं। खेल यानी स्पोर्ट्स जैसा क्षेत्र भी टेक् नालॉजी के प्रभाव से अछूता नहीं है । इसीलिए तो स्पोर्ट्स टेक् नॉलोजी का नया अध्ययन विषय बना है। कई नामी शिक्षा संस्थान स्पोर्ट्स टेक्नॉलोजी में बीएससी व बीटेक कोर्स चला रहे हैं। ब्रिटेन स्थित लॉफ बोरो$फ यूनिवर्सिटी भी इन्हीं विश्वप्रसिद्ध संस्थानों में से एक है जो खेल प्रौद्योगिकी में बीएससी कोर्स के लिए आवेदन मांग रही है।
यह तीन वर्षीय कोर्स खेल से संबंधित इस उभर रही इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने के चाहवान युवकों के लिए है। पाठ्यक्रम खेल उपकरणों से जुड़े मुख्य पहलुओं और सुविधाओं से लैस है। स्पोर्ट्स इक्विपमेंट का डिजायन कैसे तैयार करना है, उसमें क्या-क्या मैटीरियल इस्तेमाल होगा, निर्माण विधियों, कंप्यूटर एडिड डिजायनिंग आदि भी सिलेबस में है।
इसके अलावा खेल उपकरणों का अधिक सुविधाजनक इस्तेमाल में बेहतर बनाने यानी एर्गोनोमिक नजरिये से भी डिजायनिंग आदि की जानकारी अध्ययन में शामिल होगा। साथ ही स्पोर्ट्स फिजियोलोजी, बायोमैकेनिक्स,  स्पोर्ट्स इक्विपमेंट का मूल्यांकन व टेस्टिंग और बिजनेस  स्टडी भी कोर्स में शामिल है। पहले वर्ष में थ्योरी तथा दूसरे में एप्लीकेशन  पर जोर रहेगा। दूसरे साल में रिसर्च प्रोजेक्ट भी शामिल होंगे जो इंडस्ट्री से सीधे जुड़े होंगे। इसके अलावा चार वर्षीय डिप्लोमा या सेंडविच कोर्स की भी ऑप्शन है जिसमें इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग कोर्स की अवधि में बीच में ही दी जाएगी। डिप्लोमा का नाम होगा—डिप्लोमा इन इंडस्ट्रियल स्टडीज।
एलिजिबिलिटी : 12वीं कक्षा में 80% अंकों के साथ उत्तीर्ण।
आवेदन आनलाइन होगा, यूनिवर्सिटी व कालेज की एडमिशन सेवा के जरिये है— यानी UCAS-http://www.ucas.com पर। वेबसाइट यह भी है : www.iboro.ac.uk

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