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टॉम खुराफाती व नटखट बच्चा

वह शैतान है। नटखट है। अपना काम निकाल लेता है। डांट खाता है। फिर कुछ न कुछ करके आ जाता है। वह टॉम है। जाने-माने लेखक मार्क ट्वैन ने ऑन्टी पॉली के इस टॉम की परिकल्पना बहुत पहले की थी। इस शैतान बच्चे की कहानियां इतनी मशहूर हुईं कि आज भी कई मौकों पर इनका जिक्र होता है।
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द एडवेंचर ऑफ टॉम सैवियर

मार्क ट्वैन

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वह शैतान है। नटखट है। अपना काम निकाल लेता है। डांट खाता है। फिर कुछ न कुछ करके आ जाता है। वह टॉम है। जाने-माने लेखक मार्क ट्वैन ने ऑन्टी पॉली के इस टॉम की परिकल्पना बहुत पहले की थी। इस शैतान बच्चे की कहानियां इतनी मशहूर हुईं कि आज भी कई मौकों पर इनका जिक्र होता है। असल में टॉम ‘बच्चों जैसा ही बच्चा है’। न बहुत आदर्श। न बहुत बिगड़ा हुआ। वह शैतानी भी करता है तो बड़े मजेदार तरीके से। उसके कई किस्से लेखक ट्वैन ने गढ़े। इतनी खूबसूरती से कि हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएं। ‘द एडवेंचर ऑफ टॉम सैवियर’ नामक एक किताब में इस बच्चे की शैतानियों की पूरी सीरीज है। यह किरदार (टॉम) मुझे इसलिए पसंद आया कि कभी-कभी बच्चों की ऐसी हरकतें अच्छी लगती हैं। बड़े वैसे करें तो शायद वह आनंद न आये। तभी तो हम लोग कई बार कहते हैं ‘क्या बच्चों जैसी हरकत कर रहे हो।’ इसी तरह यह भी कहते हैं कि ‘कब तक बच्चे बने रहोगे, अब तो बड़े हो जाओ।’ मार्क ट्वैन के इस किरदार की एक मशहूर कहानी है ‘फन इन व्हाइट वाशिंग।’ टॉम को ऑन्टी पॉली से सजा मिलती है। उससे कहा जाता है कि वह एक दीवार पर सफेदी करे। उसे ब्रश और पेंट पकड़ा दिया जाता है। टॉम जुट जाता है दीवार पर सफेदी करने में। शनिवार की दोपहर होती है। उसे एक खास आकार की दीवार को दोपहर में सफेदी करने की सजा मिलती है। टॉम जानता है कि इस दीवार पर सफेदी करने में उसे पूरा दिन लग जाएगा। उसके दोस्त भी उस पर हंसेंगे। वह छुट्टी का मजा भी नहीं ले पाएगा। उसके जेब में कुछ कंचे, खिलौने होते हैं। पहले वह सोचता है कि कुछ बच्चों को ये सब चीजें देकर काम कराया जाये। लेकिन खिलौने या कंचे इतने नहीं होते कि कोई उसकी बातों में आ पाता। फिर वह जानता है कि बच्चे काम के लिए ऐसे लालच में नहीं आएंगे। अचानक उसे एक आइडिया आता है। वह सारा सामान किनारे पर रखकर दीवार पोतनी शुरू कर देता है। उसने दो-चार ब्रश ही दीवार पर मारे होंगे कि वह देखता है कि उसके बराबर का एक लड़का बेन स्वादिष्ट सेब खाता हुआ वहां से गुजरता है। लाल सेब देखकर उसके मुंह में पानी आ जाता है। उसका मन करता है कि काश उसे भी एक टुकड़ा मिल जाता। लेकिन अपनी चतुराई के हिसाब से वह बेन और सेब की तरफ कनखियों से देखते हुए दीवार पोतने में ऐसे जुट जाता है, मानो उसने कुछ देखा ही न हो। तभी बेन कहता है, ‘हे टॉम व्हट्स दैट यू आर डूइंग? इट्स सैटरडे। आर नॉट यू गोइंग टू स्विम इन द रिवर? टुडे नॉट ए डे फॉर वर्क।’ (अरे टॉम, तुम ये क्या कर रहे हो? आज शनिवार है। क्या तुम नदी में तैराकी के लिए नहीं चल रहे हो? आज कोई काम का दिन नहीं है।) टॉम तुंरत जवाब देता है, ‘वर्क व्हट वर्क’ (काम… क्या काम)। बेन पूछता है कि यह जो दीवार पोत रहे हो, यह काम ही तो है। टॉम कहता है, यह काम नहीं दोस्त, यह तो मजेदार चीज है। इसमें तो इतना मजा आता है, जितना स्वीमिंग में भी नहीं। टॉम कहता है मुझसे किसी ने यह काम करने के लिए नहीं कहा है, बल्कि मैं तो खुद ही इसे कर रहा हूं। पहले तो बेन इस बात को मानता ही नहीं, लेकिन चतुर टॉम उसे ऐसे अपनी बातों में उलझाता है कि बेन का मन करता है कि काश उसे भी पुताई का काम मिल जाता। थोड़ी देर के लिए ही सही। आखिरकार वह विनती करता है, ‘टॉम कुछ देर मुझे भी यह करने दो ना।’ टॉम सीधे इनकार कर देता है। बेन कहता है, ‘अच्छा चलो, मैं तुम्हें यह रसीला सेब दूंगा। थोड़ी देर करने दो।’ चतुर टॉम राजी तो हो जाता है, मगर ऐसे मानो बेन पर बहुत बड़ा एहसान कर रहा हो। फिर वह आराम से सेब खाने में जुट जाता है और बेन जुटा रहता है पुताई करने में। इसी तरह वहां और बच्चे भी आते हैं। कोई अपना खिलौना टॉम को देता है और पुताई करने देने की विनती करता है। कोई कुछ देता है और कोई कुछ। आखिरकार टॉम की सजा (दीवार पोतने की) पूरी हो जाती है और उसके पास ढेर सारे खिलौने भी आ जाते हैं। खाने की चीजें मिल जाती हैं सो अलग। आन्टी पॉली जानती हैं कि इसने फिर कोई शैतानी या चतुराई की होगी। असल में टॉम का किरदार इसलिए भी बहुत भाता है कि उसकी शैतानियां होती बड़ी रोचक हैं। हर बार उसे एक नयी सजा मिलती है और हर बार वह इससे बड़ी चालाकी से उबर जाता है।

प्रस्तुति : केवल तिवारी

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