के-4 का प्रक्षेपण
चर्चा में
यशपाल
कोई भी देश तभी सुरक्षित कहलाएगा जब उसके जल-थल-नभ, तीनों की सीमाओं की सुरक्षा चाक-चौबंद हो। किसी भी बाहरी व अंदरूनी हमले का करारा जवाब देने की ही क्षमता काफी नहीं बल्कि जरूरत पडऩे पर शत्रु पर हमला करने की भी कूवत हो। भारत के पास कुछ दिन पहले तक अपनी समुद्री सीमा की रक्षा के लिए अंडरवाटर प्लेट फार्म यानी सबमेरीन से न्यूक्लियर क्षमता युक्त बेलिस्टिक मिसाइल लांच करने की क्षमता नहीं थी। इसी कारण भारत ने अपनी समुद्री सुरक्षा को और मजबूत किया जब गत् 25 मार्च को उसने पहली परमाणु क्षमता युक्त बेलिस्टिक मिसाइल ‘के-4’ को पनडुब्बी प्लेटफार्म से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। यह मिसाइल 2000 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकेगी। इस मिसाइल का बंगाल की खाड़ी में परीक्षण किया गया तो यह सभी कसौटियों पर खरी उतरी। ‘के-4’ मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत धरती, हवा और पानी के भीतर तीनों तरह के प्लेटफार्म से परमाणु-क्षमता युक्त लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों को लांच करने में सक्षम हो गया।
अब तक भारत द्वारा विकसित अंडरवॉटर मिसाइलों की कैटेगरी में इस बेलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता सर्वाधिक दूरी वाली है। एक सबमेरीन (पनडुब्बी) से मिसाइल लांच करने के बाद तीनों तरह की लांचिंग क्षमता से लैस होने का सीधा मतलब भारत का ‘न्यूक्लियर-त्रयी’ संपन्न होना है। यह ‘तीन तरफा’ सुरक्षा क्षमता अभी तक केवल अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन यानी चार शक्तिशाली देशों के पास ही थी। भारत अब इस ‘इलीट क्लब’ में पांचवां नया सदस्य है।
पनडुब्बी से प्रक्षेपित की जा सकने वाली यह परमाणु-क्षमता युक्त बेलिस्टिक मिसाइल अब समुद्र में स्थित विभिन्न प्लेटफार्म पर तैनाती के लिए तैयार की जा रही है। इन प्लेटफार्म में करीब 6000 टन वजनी देश में ही विकसित न्यूक्लियर सबमेरीन आईएनएस अरिहंत भी शामिल है।
यह मिसाइल अंडरवॉटर प्लेटफार्म से सैन्य रणनीति कार्यक्रम के तहत डीआरडीओ द्वारा विकसित की जा रही मिसाइल शृंखला की ही अगली कड़ी है। गौरतलब है कि डीआरडीओ ने पहले ऐसी ही बीओ5 मिसाइल विकसित की है जो लगभग 700 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य भेद सकती है। हालांकि परमाणु आयुधों के बारे में भारत की नीति ‘नो फस्र्ट यूज’ की है परंतु इस एसएलबीएम के लांच के बाद भारत की जवाबी हमले यानी सेकंड स्ट्राइक की क्षमता तो बढ़ी ही है। भारत की समुद्री सीमा 7517 किलोमीटर है जो चीन जैसे शक्तिशाली पड़ोसी देश की सीमा से मिलती है। यह प्रक्षेपण इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन के साथ दक्षिण चीन सागर में खनिज तेल आदि निकालने के मामले पर पिछले साल तनाव बना रहा। फिर श्रीलंका जैसे पड़ोसी के साथ भी यदा-कदा तनाव रहता है, मुद्दा चाहे मछुआरों तक ही सीमित हो। इसी तरह अतीत में भी भारतीय नेवी ने पाकिस्तान के साथ युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रक्षेपण से भारतीय नेवी की मजबूती के साथ-साथ ही देश की सुरक्षा बेहतर हुई है।