कड़े संघर्ष के बावजूद मिली मायूसी
राज ऋषि
भारतीय क्रिकेट टीम का पिछले दिनों समाप्त हुअा इंगलैंड का लंबा दौरा साहसपूर्ण संघर्ष, जीवट अौर मायूसी की भावनाअों से भरपूर रहा। भारतीय कश्ती कभी जीत के किनारे छूने को अातुर दिखी तो कभी मझधार में डांवांडोल होती। वन-डे अौर टी-ट्वेंटी में जहां दोनों टीमों ने बराबरी की टक्कर दिखाई, वहां टेस्ट मैचों की शृंखला में परिस्थितयां इंगलैंड के अधिक अनुकूल होने के कारण मेजबान हावी रहे। इंगलैंड के पक्ष में 4-1 का परिणाम भी बहुत कुछ इसी को दर्शाता है। किंतु एेसा भी नहीं कि भारत ने शृंखला में पूरी तरह हथियार डाल दिए हों। थोड़े से अधिक लड़ाकेपन अौर भाग्य के सहारे यह परिणाम 3-2 तो अवश्य हो ही सकता था।
विशेष रूप से चौथे टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाज छोटे स्कोर का पीछा करते हुए जिस प्रकार ढह गए अौर मात्र 60 रन से हार गए, वह भारतीय खेल प्रेमियों का दिल दुखा गया। स्पिनरों के बीच पले-बढ़े हमारे बल्लेबाज जिस प्रकार मोइन अली की अाॅफ स्पिन खेलने में अक्षम नजर अाए, वह अधिक पीड़ादायक था—वह भी एेसे समय जब शृंखला हार जाने का खतरा सिर पर मंडरा रहा था। विराट कोहली अौर अजिंक्य रहाणे जब तक क्रीज पर डटे रहे अौर दोनों की भागीदारी अागे बढ़ती रही, जीत की पगडंडी साफ-सुथरी अौर सपाट नजर अाती रही, लेकिन दोनों के अाउट होते ही निचले क्रम के बल्लेबाजों की लाइन लग गई अौर जीत अोवर दर अोवर भारत से दूर होती हुई जंगल की घनी घास में खो गई।
जरूरत के समय हार्दिक पांडया, ऋषभ पंत अौर विश्वसनीय रविचंद्रन अश्विन का सस्ते में निपट जाना भारत पर भारी पड़ा अौर इंडिया बराबरी के द्वार तक पहुंचते-पहुंचते लड़खड़ा गई अौर शृंखला गंवा बैठी। दोनों पारियों में ही मध्यक्रम अौर निचले क्रम की लचर बल्लेबाजी के कारण भारत ने अच्छा अवसर गंवा दिया। पहली पारी में तो भारत के पास बढ़त लेने का अच्छा मौका था। इंगलैंड के मोइन अली ने इस टेस्ट में जहां 9 विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाजों को पस्त कर दिया, वहां हमारे विश्व स्तरीय दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन बल्लेबाजों को अिधक परेशान करने में असफल रहे अौर मात्र 3 विकेट ले सके, शृंखला गंवाने में यह अंतर भी भारत पर भारी पड़ा।
शृंखला पहले टेस्ट मैच से ही अत्यंत रोमांचक अौर संघर्षपूर्ण रही अौर भारत यह टेस्ट मात्र 31 रन से हारा। गेंदबाजों की अच्छी गेंदबाजी के चलते भारत टेस्ट में बना रहा अौर इंगलैंड को वर्चस्व स्थापित नहीं करने दिया। मैदान पर डट जाने के लिए प्रसिद्ध चेतेश्वर पुजारा को इस टेस्ट से बाहर रखना अंतत: भारत पर भारी पड़ा, क्योंकि विराट कोहली के अलावा अन्य बल्लेबाज स्विंग करती गेंदों के समक्ष टिक नहीं सके। दिग्गज जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्राॅड के नेतृत्व ने शुरू में ही दिखा दिया कि अभी उनमें कितना दमखम शेष है।
दूसरे टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाज तेज गेंदबाजों की लहराती गेंदबाजों का सामना नहीं कर सके अौर लाॅड्र्स की तेज पिच पर उन्होंने अधिकांश विकेट झटककर भारत को उबरने नहीं दिया। भारत ने अश्विन के साथी के रूप में दिग्गज रवींद्र जडेजा, जिनकी विश्व रैंकिंग कई सालों से टाॅप 5 में लगातार बनी हुई है, पर भरोसा न जताकर कुलदीप यादव को टीम में सम्मिलित किया, जो अंतत: बड़ी गलती सिद्ध हुअा अौर मैच में कुलदीप एक भी िवकेट नहीं ले सके। वन-डे अौर 20-20 क्रिकेट में अंग्रेजों के लिए अबूझ पहेली बनकर विकेटों का ढेर लगाने वाले कुलदीप अौर प्रबंधन को इससे टेस्ट मैचों की कड़ी मेहनत अौर क्रिकेट के लघु रूपों के बीच का अंतर अवश्य समझ अा गया होगा। जडेजा को लगातार 4 टेस्टों से बाहर रखने के निर्णय पर टीम प्रबंधन को उस समय अफसोस अवश्य हुअा होगा, जब अंितम टेस्ट में मौका मिलने पर उन्होंने दोनों पारियों में सर्वाधिक 7 विकेट तो लिए ही, साथ ही भारत की पहली पारी में शानदार बड़ा पचासा जड़कर टीम को ढहने से बचाया अौर मैच में कुल 99 रन बनाकर अपने हरफनमौला रूप का परिपक्वता से परिचय दिया।
दूसरे टेस्ट की पारी से अधिक अन्तर की हार से उबरते हुए भारत ने ट्रेंटब्रिज टेस्ट में वापसी की और बल्लेबाजों के धैर्यपूर्ण खेल और जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा और मोहम्मद शमी की तिकड़ी ने टीम को विजय दिलाकर श्रृंखला में दिलचस्पी बरकरार रखी। अंतिम ओवल टेस्ट में भारतीय तेज़ गेंदबाज एलेस्टेयर कुक और जो रूट के धांसू खेल की बलि चढ़ गए और दोनों विश्व स्तरीय दिग्गज बल्लेबाजों ने मनवा लिया कि ‘फार्म’ आती-जाती रहती है और ‘क्लास’ सदैव रहती है। चौथी पारी में बड़े स्कोर के दबाव में भारतीय बल्लेबाज फिर बिखर गए। ‘भागते चोर की लंगोटी ही सही’ की मानिंद ओपनर लोकेश राहुल की फार्म में वापसी और नवोदित विकेटकीपर ऋषभ पंत के पहले शतक हार के बावजूद यादगार बन गए। इसी कारण भारत हार को कुछ घंटे तक टालकर स्कोर सम्मानजनक योग तक पहुंचा सका। राहुल और ऋषभ ने 200 रन की भागीदारी कर आशा की किरण जगा दी, किंतु पुछल्ले बल्लेबाज फिर से एकदम ढह गए। पूरी शृंखला में केवल लाॅड्र्स टेस्ट को छोड़कर कभी भी ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि इंगलैंड टीम घरेलू मैदान पर बहुत अधिक बलशाली है और भारत उसके समक्ष पिद्दी सा है। पहले, चौथे और पांचवें टेस्ट में जीत के मौके दोनों टीमों के पास बराबर के आते-जाते रहे। इस कड़ी स्पर्धा का श्रेय भारतीय तेज गेंदबाजों को जाता है, जिन्होंने अपनी गति, लय और सटीकता से इंगलैंड के दिग्गज बल्लेबाजों, कुक, जो रूट, जौनी बेयरस्टो के लिए रन बनाना बहुत कठिन कर दिया। ईशांत शर्मा के नेतृत्व में जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने बल्लेबाजों की बार-बार परीक्षा ली और सफल रहे। पहले टेस्ट के बाद अगले तीन टेस्टों में अश्विन का विकेटों के लिए तरसना भारत पर अवश्य भारी पड़ा। ईशांत शर्मा ने तो परिपक्वता दिखाते हुए शृंखला में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी की और भारत की ओर से सर्वाधिक 18 विकेट भी लिए।
इंगलैंड की सुपरहिट जोड़ी जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्राड पूरी शृंखला में लय में दिखी। स्विंग और सटीकता के अपने हथियार का इस्तेमाल कर उन्होंने भारत के बल्लेबाजों के बल्लों के मुंह नहीं खुलने दिए और शेष काम स्लिप फील्डरों और कीपर ने किया। बेन स्टोक्स, सैम करन और क्रिस वोक्स ने उनका अच्छा साथ निभाया। एंडरसन ने ओवल टेस्ट में ग्लेन मैकग्रा के 553 विकेट को पीछे छोड़कर जता दिया कि क्यों वह निवर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक हैं।
जीत के करीब पहुंचकर भी दूर रह जाने का एक कारण भारतीय ओपनरों का तेज गेंदबाजों को न खेल पाना भी रहा। शृंखला में एक बार को छोड़कर कभी भी अच्छा स्टार्ट शिखर धवन, लोकेश राहुल और मुरली विजय नहीं दे सके। शिखर धवन को बहुत अवसर दिए गए, किंतु वह बिल्कुल फीके रहे। दर्शक गब्बर की लय और आक्रामकता देखने को तरस गए। लोकेश भी अंतिम पारी के शतक के अलावा सभी मैचों में जूझते दिखे। चेतेश्वर पुजारा ने कुछ अच्छी पारियां खेलीं, लेकिन पूरी तरह डटने में नाकाम रहे। विश्वसनीय अजिंक्य रहाणे चंद छोटी-छोटी पारियों से ही अपना योगदान दे सके। हार्दिक और अश्विन आलराउंडर की हैसियत से बल्लेबाजी में गति नहीं पकड़ पाए। विराट कोहली के आसरे ही टीम भव सागर पार करने का प्रयास करती रही। उन्होंने 2 शतकों की मदद से दोनों टीमों में सर्वाधिक रन बनाए, किंतु साथियों का साथ गाहे-बगाहे ही मिला। अकेला चना कितना भाड़ फोड़ सकता था। भारत की हार का एक बड़ा कारण निचले क्रम के बल्लेबाजों की असफलता भी रहा। इंगलैंड के लिए जो काम जुझारूपन से सैम करन, स्टोक्स, क्रिस वोक्स, मोइन अली, बटलर और रशीद ने किया, वह भारत के लिए हार्दिक, दिनेश कार्तिक, ऋषभ पंत, अश्विन नहीं कर सके और ओपनरों और मध्यक्रम के बल्लेबाजों के लड़खड़ाने के बाद ये बल्लेबाज कोहली का अधिक साथ नहीं निभा सके। परिणामत: टीम बड़े स्कोर बनाकर चुनौती पेश न कर सकी। इंगलैंड के लिए ‘मैन आफ द सीरीज’ सैम करन ने कम से कम 3 बार निचले क्रम को संभाला और टीम को बड़ा स्कोर खड़ा करने में सहायता दी। ऐसा ही वोक्स, बेन स्टोक्स और मोइन अली ने भी किया और बेड़ापार लगाया।
यह लगातार तीसरा दौरा रहा जब इंगलैंड में भारत शृंखला नहीं जीत सका, इसके बावजूद कि टीम को पिछले दौरों पर गई टीमों से मजबूत माना जा रहा था और हमारा सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण, जो पूर्ण लय में था, बार-बार विपक्षी मुख्य बल्लेबाजों को जमीन सुंघाता रहा। आगामी आस्ट्रेलिया दौरे पर जाने से पूर्व इस पर चिंतन जरूरी है।
खेल कैलेंडर
3 अक्तूबर : द. अफ्रीका बनाम जिम्बाब्वे दूसरा वनडे ब्लोमफोटेंन में।
4-8 अक्तूबर : भारत बनाम वेस्टइंडीज पहला क्रिकेट टेस्ट राजकोट में।
6 अक्तूबर : द. अफ्रीका बनाम जिम्बाब्वे तीसरा वनडे पार्ल में।
7-11 अक्तूबर : ऑस्ट्रेलिया बनाम पाकिस्तान पहला क्रिकेट टेस्ट दुबई में।
9 अक्तूबर : द. अफ्रीका बनाम जिम्बाब्वे पहला टी-20 ईस्ट लंदन में।
10 अक्तूबर : इंगलैंड बनाम श्रीलंका पहला वनडे दांबुला में।
12-16 अक्तूबर : भारत बनाम वेस्टइंडीज दूसरा क्रिकेट टेस्ट हैदराबाद में।
12 अक्तूबर : द. अफ्रीका बनाम जिम्बाब्वे दूसरा टी-20 क्रिकेट मैच पोंचफस्ट्रूम में।
13 अक्तूबर : इंगलैंड बनाम श्रीलंका दूसरा वनडे दांबुला में। 14-22 अक्तूबर : ढाका में एशिया कप हाॅकी।
14 अक्तूबर : जिम्बाब्वे बनाम द. अफ्रीका तीसरा टी-20 मैच बेनोनी में।
16-20 अक्तूबर : पाकिस्तान बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरा क्रिकेट टेस्ट आबुधाबी में।
16-21 अक्तूबर : डेनमार्क ओपन बेडमिंटन चैंपियनशिप ओडेंस में।
17 अक्तूबर : इंगलैंड बनाम श्रीलंका तीसरा एक दिवसीय क्रिकेट मैच पालकेले में।
20 अक्तूबर : इंगलैंड बनाम श्रीलंका चौथा एक दिवसीय क्रिकेट मैच पालकेले में।
– धर्मवीर दुग्गल