Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

आज की सावित्री की कहानी

‘महादेव’ सीरियल की सफलता के बाद चैनल ‘लाइफ ओके’ ने 18 फरवरी से एक ऐसा सीरियल ‘सावित्री’ शुरू किया है जो एक और पौराणिक कथा की याद दिलाता है। हालांकि यह धार्मिक सीरियल नहीं है लेकिन सीरियल की कहानी सत्यवान- सावित्री की उस प्राचीन कहानी की याद ताजा कराती है जिसमें सावित्री अपने सत-तप और […]
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

‘महादेव’ सीरियल की सफलता के बाद चैनल ‘लाइफ ओके’ ने 18 फरवरी से एक ऐसा सीरियल ‘सावित्री’ शुरू किया है जो एक और पौराणिक कथा की याद दिलाता है। हालांकि यह धार्मिक सीरियल नहीं है लेकिन सीरियल की कहानी सत्यवान- सावित्री की उस प्राचीन कहानी की याद ताजा कराती है जिसमें सावित्री अपने सत-तप और सूझ-बूझ के बल पर अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस ले आती है। युगों-युगों के बाद भी पतिव्रता नारी की सबसे बड़ी मिसाल सती सावित्री के रूप में दी जाती है।
सीरियल ‘सावित्री’ का मूल आधार भी सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कहानी ही है। ‘सावित्री’ सीरियल के मुख्य पात्रों के नाम भी सत्या और सावित्री ही हैं। हालांकि लाइफ ओके के महाप्रबंधक अजीत ठाकुर एक खास बातचीत में सब कुछ स्पष्ट करते हुए बताते हैं -‘हमारे सीरियल ‘सावित्री’ की कहानी सत्यवान-सावित्री की परंपरागत कहानी नहीं है। पर उस को हमने आज के दौर में ढालकर एक अलग रंग, अलग रूप में दिखाया है।’
सीरियल का निर्माण ‘फलाइंग टर्टल फिल्म्स’ के बैनर से शब्बीर आहलूवालिया और उनके दोस्तों ने मिल कर किया है। यह शब्बीर आहलूवालिया वही हैं जो कुछ बरस पहले सीरियल ‘कहीं तो होगा’ में ऋषि की भूमिका में काफी लोकप्रिय हुए थे। साथ ही वह ‘कहानी घर घर की’, ‘क्या हादसा क्या हकीकत’, ‘काव्यांजलि’, ‘कसौटी’ और ‘लागी तुझसे लगन’ जैसे और भी कई सीरियल कर चुके हैं। इसके अलावा शब्बीर ने ‘नच बलिए’ व ‘मीठी छुरी’ जैसे शो को होस्ट भी किया है। ‘सावित्री’ का निर्देशन अनिल वी कुमार ने किया है जो सीरियल के सह-निर्माता भी हैं और ‘कहीं तो होगा’, ‘काव्यांजलि’, ‘कयामत’ और ‘कसम से’ जैसे सीरियल का निर्देशन भी कर चुके हैं। इससे पहले ‘फलाइंग टर्टल’ की टीम सहारा वन के लिए ‘गंगा की धीज’ सीरियल भी बना चुकी है।
‘सावित्री’ में दिखाया है कि सत्या और सावित्री एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं। तभी उनकी जिन्दगी में कई रहस्यमय घटनाएं घटने लगती हैं। बहुत कुछ अलौकिक और असामान्य सा होने लगता है। यहां तक इनके प्यार को कई कठिन परीक्षाओं और मृत्यु तक का सामना करना पड़ता है। कहानी आज में होते हुए एक हजार साल पीछे और आगे भी पहुंचती है। कहानी में इस अमर प्रेम के पुनर्जन्मों की गाथा भी है कि कई जन्मों बाद भी इनका प्रेम कभी मरता नहीं। सीरियल यह भी दिखाता है कि आज की नारी भी इतनी शक्ति रखती है कि वह अपने पति को मौत से छुड़ाकर नई जिन्दगी दे सकती है।
दरअसल यह एक मेगा फंतासी सीरियल है। ‘चन्द्रकांता’ जैसे फंतासी सीरियल भी हमारे यहां काफी लोकप्रिय रहे। सती सावित्री की कहानी को भी हमारे यहां कभी फंतासी फिल्म के रूप में तो कभी धार्मिक-पौराणिक फिल्मों के रूप में दिखाया जाता रहा है। सन् 1977 में आई जयश्री गड़कर और उपेन्द्र त्रिवेदी की चन्द्रकांता के निर्देशन में बनी ‘महा सती सावित्री’ भी एक फंतासी फिल्म के रूप में आई थी।
यूं सत्यवान-सावित्री की कहानी पर फिल्म निर्माण मूक फिल्मों के शुरुआती दौर में ही शुरू हो गया था। सबसे पहले 1914 में ढुंडीराज गोविंद फालके ने ‘सत्यवान सावित्री’ नाम से मूक फिल्म बनाई थी, फिर 1924 और 1927 में ‘सावित्री’ और ‘सती सावित्री’ के नाम से दो और मूक फिल्में बनीं। सवाक् फिल्मों के भी शुरुआती दौर से ही ‘सती सावित्री’ का कथानक कई निर्माताओं का मन मोहता रहा। इसी के चलते 1932 में ‘सती सावित्री’, 1933 और 1937 में ‘सावित्री’ 1948 में ‘सत्यवान-सावित्री’, 1964 में ‘सती सावित्री’, 1973 में ‘महा सती सावित्री’ और 1981 में ‘सती सावित्री’ के नाम से फिल्में बनती रहीं। यहां तक तमिल, तेलुगु, कन्नड़ जैसी प्रादेशिक भाषाओं में भी सावित्री को लेकर फिल्म बनीं। 1981 में बनी ‘सती सावित्री’ में तो एन टी रामाराव ने सत्यवान की भूमिका निभाई। पर इन फिल्मों में सर्वाधिक सफल 1964 में आई शांति लाल सोनी की ‘सती सावित्री’ रही, जिसमें सत्यवान बने थे महिपाल और सावित्री बनी थी अंजलि देवी।
अब यह कहानी आधुनिक रंग और बदले हुए रूप में पहली बार सीरियल के रूप में आई है। इसमें सावित्री का रोल रिधि डोगरा और सत्या का रोल यश पंडित ने किया है।  रिधि ‘लागी तुझसे लगन’, ‘झूमे जिया रे’ और ‘सेवन’ जैसे सीरियल में आ चुकी है जब कि यश पंडित ‘क्यूंकि सास भी कभी बहू थी’ में।
रिधि अपने इस सीरियल के बारे में कहती है -‘मैं ‘सावित्री’ में टाइटल रोल करके बहुत खुश हूं। जब मुझे इस सीरियल में सावित्री का रोल करने का प्रस्ताव आया तो मैं रोमांचित हो उठी। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया।’
उधर यश पंडित भी अपने रोल से बेहद उत्साहित हैं। यश कहते हैं -‘इस सीरियल को देखकर दर्शकों को लगेगा कि वे कोई फंतासी फिल्म देख रहे हैं। सीरियल तकनीकी रूप से काफी आगे है। मैं अपने सत्या के रोल को काफी एन्जॉय कर रहा हूं।’
कृप सूरी, इन्द्राणी हलधर, अरुण बाली सीरियल के अन्य प्रमुख कलाकारों में से हैं। सोमवार से गुरुवार रात साढ़े 8 बजे प्रसारित होने वाले ‘सावित्री’ को कोलकाता की पृष्ठभूमि में दिखाया गया है। सीरियल की अधिकांश शूटिंग भी कोलकाता में की गई है।

 प्रदीप सरदाना

Advertisement

Advertisement
×