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अयोध्या स्थल के निकट भूमि पर यथास्थिति से छेड़छाड़ न की जाये : सुप्रीम कोर्ट

नयी दल्ली, 28  जनवरी (भाषा)।  उच्चतम न्यायालय ने आज आशा व्यक्त की कि अयोध्या में विवादित स्थल के आसपास खुदाई की गतिविधियों के दौरान इसकी 67 एकड़ भूमि के स्वरूप से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने कहा, ‘हमे उम्मीद है कि यथास्थिति बरकरार रहेगी।Ó […]
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नयी दल्ली, 28  जनवरी (भाषा)।  उच्चतम न्यायालय ने आज आशा व्यक्त की कि अयोध्या में विवादित स्थल के आसपास खुदाई की गतिविधियों के दौरान इसकी 67 एकड़ भूमि के स्वरूप से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने कहा, ‘हमे उम्मीद है कि यथास्थिति बरकरार रहेगी।Ó
न्यायाधीशों ने विवादित स्थल पर राम लला के अस्थाई मंदिर की तिरपाल और रस्सियां बदलने की अनुमति और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के तहत 2003 से नियुक्त दो न्यायिक अधिकारियों को मुक्त करने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इन न्यायिक अधिकारियों को अयोध्या की स्थिति का आकलन करने के लिए हर पखवाड़े इस क्षेत्र का दौरा करना पड़ता है।
उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने इस संबंध में एक अर्जी दायर की थी। इसमें कहा गया था कि चूंकि विवादास्पद राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्थल का मसला अब शीर्ष अदालत में लंबित है, इसलिए उच्च न्यायालय के आदेश पर बतौर कमिशनर नियुक्त  किए गए दो न्यायिक अधिकारियों को अब उनकी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाए।   फैजाबाद जिले के आयुक्त ने भी कहा है कि राम लला के अस्थाई मंदिर की तिरपाल और रस्सियों को बदलने से संबंधित काम करने के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति की आवश्यकता है।

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