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ज्ञानी जैल सिंह, बूटा सिंह ने लोंगोवाल समझौता पटरी से उतारा!

अजय बनर्जी/ट्रिन्यू नयी दिल्ली, 11 नवंबर। पंजाब के सेवानिवृत्त डीजीपी किरपाल ढिल्लों ने पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने षडयंत्र रच कर 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते को पटरी से उतार दिया। उन्होंने उस समय पंजाब के आईजी रहे केपीएस गिल पर भी सुरक्षा में […]
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अजय बनर्जी/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 11 नवंबर। पंजाब के सेवानिवृत्त डीजीपी किरपाल ढिल्लों ने पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने षडयंत्र रच कर 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते को पटरी से उतार दिया। उन्होंने उस समय पंजाब के आईजी रहे केपीएस गिल पर भी सुरक्षा में चूक करने का आरोप जड़ते हुए कहा कि उस समय इसी चूक के चलते हरचंद सिंह लोंगोवाल और अर्जुन सिंह की हत्या हुई।
1953 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस किरपाल ढिल्लों ने अपनी एक पुस्तक ‘टाइम प्रेसेंट एंड टाइम पास्ट मेमोरी•ा आफ टॉप कॉप’ में इस बात का खुलासा किया। उनकी किताब आज रिली•ा हुई।
उल्लेखनीय है कि ढिल्लों को इंदिरा गांधी ने ही चुन कर 3 जुलाई, 1984 को डीजीपी बनाया। उसके एक माह पहले ही ब्लू स्टार आपरेशन किया गया था।
अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा कि लोंगोवाल को हिंदु और सिख काफी मानते थे जो जैल सिंह और बूटा सिंह को नहीं भा रहा था और न ही पंजाब कांग्रेस में उनके समर्थकों को यह रास आ रहा था।
पूर्व डीजीपी ने जैल सिंह, बूटा सिंह और कांग्रेस पार्टी पर संत जनरैल सिंह भिंडरांवाले के परिवार को राजनीतिक तौर पर प्रोजेक्ट करने का आरोप थी लगाया। उन्होंने कहा कि बाद में भिंडरांवाले के पिता जोगिंदर सिंह और इसके संगठन युनाइटेड अकाली दल का प्रयोग आनंदपुर साहिब में 1985 की अकाली बैठक को असफल बनाने के लिये किया गया। उन्होंने उस समय पंजाब के गवर्नर अर्जुन सिंह को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि वह एसएस बरनाला को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, बादल को नहीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि लोंगोवाल की सुरक्षा में जीत सिंह को लगाना एक बहुत बड़ी चूक थी जो आईजी पीएपी (उस समय केपीएस गिल) से हुई। जीत सिंह पर पहले से ही आतंकवादियों से संबंधों का आरोप था और फाइल पेंडिंग थी।

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