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शरीर का वातानुकूलन तंत्र

रोचक जानकारी सर्दी मनुष्य की सबसे बड़ी शत्रु है। इसके कारण मनुष्य का समय सबसे ज्यादा खराब होता है। यह खतरनाक तो नहीं है, लेिकन हैरान-परेशान बहुत करती है। साधारण सर्दी के कारण सिरदर्द, टांसिल, बुखार या ब्रोन्काइिटस हो जाता है, जिसकी परिणति कभी-कभी भयंकर निमोनिया में होती है। सर्वप्रथम हम अपने शरीर को ठीक […]
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रोचक जानकारी

सर्दी मनुष्य की सबसे बड़ी शत्रु है। इसके कारण मनुष्य का समय सबसे ज्यादा खराब होता है। यह खतरनाक तो नहीं है, लेिकन हैरान-परेशान बहुत करती है। साधारण सर्दी के कारण सिरदर्द, टांसिल, बुखार या ब्रोन्काइिटस हो जाता है, जिसकी परिणति कभी-कभी भयंकर निमोनिया में होती है।
सर्वप्रथम हम अपने शरीर को ठीक तरह से समझ लें ताकि साधारण सर्दी का मूल कारण अच्छी तरह समझ में आ सके। हमारे शरीर में 72% जल होता है। अत: पानी पर गर्मी और ठंडी का जो असर होता है, वैसा ही हमारे शरीर पर भी होता है। हमारे शरीर में वातानुकूलित (एयरकंडीशन) व तापक (हीटर) दोनों तरह की शक्ितयां कार्यरत रहती हैं। चाहे कितनी ही गर्मी हो, वह शरीर में 98.6 डिग्री फाॅरनहाइट (36.9 डिग्री सेल्िसयस) ऊष्णता बनाये रखता है। ठीक उसी प्रकार ठंडी में भी शरीर वही तापमान कायम रखता है। बाहरी गर्मी और अवयवों के हिलने-डुलने से दिन में हमारे शरीर का पानी गरम होता है, जबकि रात में वह ठंडा पड़ जाता है। अत: शरीर में उत्पन्न होने वाली नमी हमारे सिर या फेफड़ों में चली जाती है।
प्रकृित में यह नमी हम प्रात: ओस के रूप में देख सकते हैं। जबकि शरीर की नमी छींक या नाक से पानी के रूप में बाहर आती है। इसलिए प्रात:काल यदि छींक आती है, तो वह अच्छे स्वास्थ्य की निशानी मानी जाती है।
पूरे वर्ष में हमारा शरीर दो बार अतिरिक्त जल या नमी को साधारण सर्दी-जुकाम और छींक द्वारा बाहर फेंकता है। यह प्रक्रिया 3-4 दिनों तक चलती है। अत: एेसा होने पर चिंता करने या सर्दी को दबाने की ज़रूरत नहीं। कहावत भी है िक सर्दी का इलाज करने पर छह दिन में और दवा न करने पर तीन दिन में मिटेगी।
हमारे शरीर और रक्त में स्िथत पानी गर्मी द्वारा नियंत्रित होता है। यह गर्मी हमारी पाचन शक्ित पर आधारित है। अत: जब पाचन शक्ित मंद या कमजोर हो जाती है, तब पेट के भीतर गर्मी घटती है। इसीलिए शरीरस्थ जल का वाष्पीकरण कम होता है। शरीर में जलतत्व की वृद्धि होने पर आंतरिक ऊष्णता कम होती है, फलत: फेफड़ों, छाती और गले में कफ-सर्दी का संग्रह होता है। जब यह पानी सिर की नसों में घुसता है, तो सिरदर्द होता है। यह दुष्चक्र रहने पर टांसिल, ब्रोंकाइटिस होता है और बुखार भी आ जाता है।
ठंडे पेय, गरिष्ठ आहार, दही, छाछ, नीबू वगैरह खट‍्टी चीजें लेने और शरीर को खुली हवा में रखने या एयरकंडीशन में रहने से यह अतिरिक्त पानी दूषित होता है। इससे बीमारी बढ़ती है और दीर्घकाल तक चलती है।
इससे बचाव के लिए शीत से बचें एवं एेसी चीजों का सेवन न करें जिससे सर्दी बढ़ती है (जैसे ठंडी वस्तुएं, दही, छाछ, नीबू, इमली आदि)। गरम दूध में एक चम्मच हल्दी, अदरक, काली मिर्च, तुलसी के पत्ते का काढ़ा लेने सर्दी में लाभ होता है।

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