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गुरु गोबिंद सिंह ने यहीं चिड़ियाें काे बाज से लड़ाया

जुल्म से मुकाबले के लिए जोश से भर देने वाले ये शब्द गुरु गोबिंद सिंह जी ने जिस स्थान पर कहे, वहीं पर स्थापित है गुरुद्वारा बादशाही बाग। अम्बाला में जिला अदालत के पास स्थित यह गुरुद्वारा अनूठा इतिहास समेटे हुए है।
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गुरुद्वारा बादशाही बाग/तीर्थाटन

सुभाष चौहान
चिड़ियों से मैं बाज तड़ाऊं तबे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।
जुल्म से मुकाबले के लिए जोश से भर देने वाले ये शब्द गुरु गोबिंद सिंह जी ने जिस स्थान पर कहे, वहीं पर स्थापित है गुरुद्वारा बादशाही बाग। अम्बाला में जिला अदालत के पास स्थित यह गुरुद्वारा अनूठा इतिहास समेटे हुए है।
सिख इतिहास के अनुसार मुगल बादशाहों ने अम्बाला शहर में एक शानदार बाग बनाया था। दिल्ली से लाहौर जाते हुए बादशाह इसी स्थान पर ठहरते थे। एक दिन गुरु गोबिंद सिंह जी यहां पहुंचे। उनका सफेद बाज भी उनके साथ था। तभी शहर का पीर अमीर दीन अपने सिपाहियों को लेकर बाग में पहुंचा। अमीर दीन के पास काले रंग का बाज था। गुरु जी का सफेद बाज देखकर उसका मन बेईमान हो गया। उसने गुरु जी काे चुनौती देते हुए कहा कि मेरे बाज से अपना बाज लड़वाओ। गुरु जी समझ गये कि वह लड़ाई के बहाने उनका बाज लेना चाहता है। इस पर गुरु जी ने कहा कि आपके बाज के साथ मैं चिड़ियां लड़वाऊंगा। अमीर ने कहा कि चिड़ियां तो बाज की खुराक होती हैं, वो बाज से क्या लड़ेंगी। गुरु जी ने फिर कहा, बाज से चिड़ियां लड़ेंगी। अमीर गुस्से में लाल हो गया, कहने लगा- लाओ चिड़ियां, कहां हैं। गुरु जी के सामने उस वक्त कुछ चिड़ियां बैठी थीं। गुरु जी ने रूहानी व जिस्मानी शक्ति का वरदान देकर चिड़ियाें को बाज से लड़ने को कहा। चिड़ियाें और अमीर के बाज के बीच लड़ाई छिड़ गयी। देखते ही देखते चिड़ियों ने बाज को बुरी तरह जख्मी कर दिया। थोड़ी ही देर में बाज जमीन पर था और चिडि़यां आसमान में चहचहा रही थीं। जिस स्थान पर चिडि़यों ने बाज को मार गिराया, वहां पर बाद में गुरुद्वारा गोबिंदपुरा बना।
यह दोनों गुरुद्वारे श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र हैं। लोग दूर-दूर से यहां शीश नवाने आते हैं।

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