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कॉलेजियम ने फिर भेजा जस्टिस जोसेफ का नाम

सुप्रीमकोर्ट कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को शीर्ष अदालत का जज बनाने की दोबारा सिफारिश की है। इससे पहले कॉलेजियम ने जनवरी में उनका नाम भेजा था, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ आपत्तियों के साथ नाम वापस कर दिया था।
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नयी दिल्ली, 20 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीमकोर्ट कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को शीर्ष अदालत का जज बनाने की दोबारा सिफारिश की है। इससे पहले कॉलेजियम ने जनवरी में उनका नाम भेजा था, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ आपत्तियों के साथ नाम वापस कर दिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय कॉलेजियम ने नये प्रस्ताव में कहा, ‘हमने कानून मंत्री द्वारा 26 अप्रैल और 30 अप्रैल 2018 के पत्रों में की गयी टिप्पणियों पर सावधानीपूर्वक विचार किया है। जस्टिस केएम जोसेफ की उपयुक्तता के बारे में इन पत्रों में कुछ भी प्रतिकूल होने का जिक्र नहीं है।’
कॉलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत सरन को भी सुप्रीमकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नति देने की सिफारिश की है। इनके अलावा पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन का तबादला दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर करने और गुजरात हाईकोर्ट के जज एमआर शाह को पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की सिफारिश की गयी है। वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अनिरुद्ध बोस को झारखंड हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाये जाने की सिफारिश की गयी है। इससे पहले, कॉलेजियम ने बोस का नाम दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए भेजा था, लेकिन केंद्र ने इसे वापस कर दिया था।

अातंकी हमलों से ज्यादा सड़कों के गड्ढे छीन रहे जिंदगियां  : कोर्ट
देश में सड़कों पर गड्ढों की वजह से हो रही दुर्घटनाओं में लोगों की मौत पर सुप्रीमकोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की है। जस्टिस मदन बी. लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘देश में सड़कों पर गड्ढों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में इतने अधिक लोग मारे जा रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि आतंकी हमलों में मारे गये लोगों से ज्यादा लोग इस तरह की दुर्घटनाओं में मारे गये हैं।’ गड्ढों का मुद्दा सड़क सुरक्षा से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान उठा। पीठ ने स्थिति को भयावह बताते हुए कहा कि यह एक व्यक्ति की जिंदगी और मौत से जुड़ा गंभीर मुद्दा है।   शीर्ष अदालत ने कहा, ‘निश्चय ही यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है और इन गड्ढों की वजह से हुई दुर्घटना के कारण जान गंवाने वालों के आश्रित मुआवजा पाने के हकदार हैं।’

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पीठ ने सड़क सुरक्षा पर शीर्ष अदालत की समिति को इस संबंध में 2 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

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