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‘एक करोड़ की कार की उम्र नहीं, इंजन देखो’

चंडीगढ, 14 अप्रैल (ट्रिन्यू) एक करोड़ दस लाख की लग्जरी कार, महज दस साल में बेकार। एक करोड़ की वोल्वो बस भी दसवें साल बेबस। दिल्ली के चौतरफा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के 11 जिलों से लेकर चंडीगढ़ तक पुरानी गाड़ियों के मालिकों में इन गाड़ियों के दिल्ली प्रवेश पर प्रतिबंध को लेकर भले ही […]
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चंडीगढ, 14 अप्रैल (ट्रिन्यू)
एक करोड़ दस लाख की लग्जरी कार, महज दस साल में बेकार। एक करोड़ की वोल्वो बस भी दसवें साल बेबस। दिल्ली के चौतरफा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के 11 जिलों से लेकर चंडीगढ़ तक पुरानी गाड़ियों के मालिकों में इन गाड़ियों के दिल्ली प्रवेश पर प्रतिबंध को लेकर भले ही घबराहट हो, पुरानी गाड़ियों के कारोबारी आज भी बेफिक्र हैं। उन्हें उम्मीद है कि बीते तीन बार की रोक-टोक इस बार भी सिर्फ कागजी खानापूरी ही साबित होगी और एक हजार अरब रुपये से ज्यादा के कारोबार वाले वाहन उद्योग के सामने सरकार ही अंतत: बेबस होगी।
चंडीगढ़ के कार बाजार एजेंट संदीप नरूला और गुड़गांव के नरिंदर यादव ने साफ कहा भाई साब, यह लोकतंत्र है। यहां कोई ऐसी रोकटोक नहीं लग सकती जो लोगों के पेट और जेब पर लात चलाती हो। नरिंदर ने कहा मोटर वाहन केंद्रीय कानून से चलते हैं और केंद्र सरकार ने बीते 12 मार्च को संसद में साफ कह दिया है कि उसका पुराने वाहनों पर रोक लगाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने 10 साल पुराने डीजल वाहनों की एंट्री पर कदम पीछे खींच लिये। बीते माह एनजीटी के आदेश को लेकर सड़क परिवहन राज्य मंत्री पी. राधाकृष्णन ने सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया था कि एनजीटी से केंद्र सरकार कतई सहमत नहीं है।
संदीप नरुला कहते हैं कि आप एक-डेढ करोड़ रुपये की मर्सिडीज बेंज और डीजल टेंपो को एक ही कतार में कैसे खड़ा कर सकते हैं। इसी तरह हमारे पास हर संडे सौ कारों में से 20-25 कारें ऐसी आती हैं जो महिलाओं और अफसरों के घर शान के लिए खड़ी-खड़ी ही 5-10 पुरानी हो जाती हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर ही संसद में केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि वह वाहनों पर उम्र के हिसाब से एंट्री रोकने के बजाय वाहनों की नियमित जांच व फिटनेस प्रमाणपत्र के पक्ष में है।
फिटनेस का फार्मूला ही फिट-कार ट्रेडर : पुरानी कारों के ट्रेडर नरिंदर यादव ने कहा कि परिवहन राज्यमंत्री राधाकृष्णन बीते माह ही साफ कर चुके हैं कि उनके मंत्रालय ने एनजीटी के आदेश की जांच की है। एनजीटी का आदेश इस मामले को बहुत सीमित नजरिये से देखता है। उनके मंत्रालय का मानना है कि पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश के लिए उन पर रोक लगाने के बजाय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 56 को सख्ती से लागू किया जाना बेहतर रहेगा। फिटनेस सर्टिफिकेट से साबित हो जाएगा कि वाहन सड़क पर चलने योग्य है अथवा नहीं। मोटर वाहन नियमावली-1989 के अनुसार मल्टी एक्सल के सिवाय 12 साल से ज्यादा पुराने अन्य किसी भी माल वाहन को राष्ट्रीय परमिट नहीं दिया जा सकता। मल्टी एक्सल वाहनों के मामले में आयु की सीमा 15 साल, जबकि 50 टन से अधिक सकल भार वाले मल्टी एक्सल ट्रेलर के मामले में यह सीमा 25 वर्ष है। यही नहीं, मोटर कैब का परमिट 9 साल और इससे इतर टूरिस्ट वाहन का परमिट आठ साल बाद रद हो जाता है।

कोर्ट में रुख साफ कर चुकी है सरकार
इसी साल बीती 7 जनवरी को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में भी कहा गया है कि फिलहाल केंद्र सरकार का निजी वाहनों के लिए आयु सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव नहीं है। फिटनेस परीक्षण से पता चलेगा कि वाहन की उम्र पूरी हुई है या नहीं। हलफनामे के अनुसार, प्रदूषण का स्थायी समाधान वाहनों की उम्र निर्धारित करने से नहीं, बल्कि उनसे होने वाले प्रदूषण के मानदंडों में सुधार से होगा। वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम को पर्यावरणविद् वकील एमसी मेहता की जनहित याचिका के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया गया है।

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