विकास कार्य ठप, पार्षद नाराज
पिंजौर, 10 सितंबर (निस)
नगर निगम पिंजौर और कालका जोन के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की सीमा पर गांव खेड़ा सीताराम से लेकर गांव चंडीमंदिर तक कुल 6 वार्ड आते हैं। विगत 18 मार्च, 2010 निगम गठित होने के बाद अप्रैल 2013 में निगम के चुनाव हुए थे। निगम वासी अपने निर्वाचित पार्षदों से गत साढ़े 4 वर्ष के कार्यकाल का हिसाब मांगने लगे हैं। उधर, सभी 6 पार्षदों ने नगर निगम के कामों से नाखुशी जाहिर करते हुए विकास कार्य न हो पाने का ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ा है।
पार्षद सोमनाथ सोमा ने कहा कि शुरू में तो काम हुए उसके बाद काम उस स्तर पर नहीं हुए जबकि उनका वार्ड अन्य क्षेत्रों से काफी पिछड़ा हुआ है।
पार्षद एवं निगम सीनियर डिप्टी मेयर एसएस नंदा ने बताया पहले 3 वर्ष के कार्यकाल में विकास कार्य होते रहे लेकिन कमिश्नर जगदीप ढांडा की ट्रांसफर के बाद आए अधिकारियों ने सभी फाइलें रोक ली नये काम का कोई एस्टीमेट तैयार नहीं हुआ है।
पार्षद सुरजीत कौर ने कहा कि वार्ड में विकास कार्य रुके पड़े हैं। गलियों, नालियों की रिपेयर का पुराना काम तक नहीं हो रहा है नया काम कैसे होगा। मेयर ने सभी वार्डों में विकास कार्य करने के निर्देश दिए लेकिन अधिकारी उन पर अमल नहीं करते।
पार्षद सतिन्द्र टोनी और वार्ड 5 पार्षद कृष्ण लांबा पप्पू ने कहा कि मेयर और कमिश्नर की आपसी खींचतान के कारण गत 8 माह से तो काम पूरी तरह से रुके पड़े हैं। बजट मीटिंग के बाद पार्षदों की मीटिंग नहीं करवाई गई जबकि हर माह मीटिंग होनी चाहिए जिसमें पार्षद अपनी समस्याएं रखें और उन पर काम किया जाए।
पार्षद सीमा देवी नेे कहा कि उनके वार्ड के गांव चंडीमंदिर और चंडीकोटला पंचकूला जबकि रजिपुर, रामपुर सियुड़ी, सूरजपुर गांव कालका हलके में आते हैं और दोनों हलकों से भाजपा विधायकों द्वारा हस्तक्षेप कर विकास कार्यों की फाइलें रुकवाई जा रही हैं।
भाजपा विधायक के हस्तक्षेप से रुके काम
निगम मेयर उपेन्द्र कौर अहलुवालिया ने पंचकूला विधायक पर जानबूझ कर विकास कार्य रुकवाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मेयर और पार्षदों ने सभी वार्डों में विकास कार्यों के प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजे हुए हैं लेकिन अधिकारी फाइलों को दबा लेते हैं। उन्होंने कहा विधायक और भाजपा कार्यकर्ता मेयर पर ही काम न करवाने का दोष दे रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि अधिकारियों की एसीआर लिखने और ट्रांसफर करने की पाॅवर सरकार के पास होती है जिसका भय दिखाकर विधायक अधिकारियों पर काम न करने का दबाव बनाते हैं।