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पीयू ने दी हजारों पीएचडी धारकों को राहत!

डा. जोगिन्द्र सिंह ट्रिब्यून न्यूज सर्विस चंडीगढ़, 5 दिसंबर।  पंजाब विश्वविद्यालय ने आखिरकार उन हजारों पीएचडी धारकों को यूजीसी-‘नेट’ परीक्षा से छूट दे दी है, जिन्होंने 31 मई, 2009 से पहले अपनी पीएचडी की डिग्री पूरी कर ली थी। पीयू सीनेट की अक्तूबर में हुई बैठक में इस मुद्दे को लेकर घंटों तक बहस होती […]
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डा. जोगिन्द्र सिंह
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 5 दिसंबर।  पंजाब विश्वविद्यालय ने आखिरकार उन हजारों पीएचडी धारकों को यूजीसी-‘नेट’ परीक्षा से छूट दे दी है, जिन्होंने 31 मई, 2009 से पहले अपनी पीएचडी की डिग्री पूरी कर ली थी। पीयू सीनेट की अक्तूबर में हुई बैठक में इस मुद्दे को लेकर घंटों तक बहस होती रही थी। बाद में कुलपति ने हाथ खड़े करवाकर सर्वसम्मति से इस मुद्दे को पारित करवा दिया था, हालांकि उस वक्त कुलपति ने इस पर अपनी व्यक्तिगत रजामंदी नहीं दी पर इस पर कोई डाइसेंस नोट (असहमति) भी नहीं दिया था।
उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि सीनेट मिनट्स की प्रोसीडिंग में यह बात चढ़ा दी गयी है कि भविष्य में किसी भी पद के लिए इंटरव्यू के लिए (सहायक प्रोफेसर) 2009 से पहले के वे पीएचडी धारक भी ‘योग्य’ होंगे, जो यूजीसी-नेट पास नहीं हैं। अभी तक पीयू केवल नेट पास अभ्यर्थियों को ही सहायक प्रोफेसर/लेक्चरर पद के लिए योग्य मान रही थी। सूत्रों का कहना है कि अभी बैठक की इस कार्यवाही को सदस्यों के पास भेजा जायेगा और उनकी हामी मिलते ही इस संबंध में मिनट्स दर्ज कर दिये जायेंगे। सीनेट बैठक में हालांकि स्कोर कार्ड का मामला भी उछाला गया था, मगर अब समझा जा रहा है कि पीयू के भीतर होने वाली किसी भी सिलेक्ïशन के लिए कोई नया स्कोर कार्ड लागू नहीं होगा और चयन प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रहेगी। कुलपति ने इस संबंध में पहले संकेत भी दिया था कि जो दिशा-निर्देश यूजीसी ने दिये हैं, उनके मुताबिक ही ‘नेट’ से छूट प्रदान की जायेगी, जिसकी व्याख्या सेल्फ एक्प्लैनेटरी होगी। उनका स्पष्टï मानना है कि जो मेरिट में होगा और योग्य होगा उसे ही चुना जायेगा। वे किसी भी चयन समिति में विशेषज्ञों को पूरी छूट देते हैं और अपनी ओर से कोई नाम नहीं देते। एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के लिए तो यूजीसी के नियमानुसार पहले से ही 300 और 400 अंक का एपीआई स्कोर है मगर लेक्चरर/सहायक प्रोफेसर पद के लिए यूजीसी की ओर से ऐसा कोई एपीआई स्कोर नहीं है। यूजीसी ने 2009 से पहले के पीएचडी धारकों को ‘नेट’ से छूट देने का प्रावधान किया था और साथ में यह भी कहा था कि 2009 के पीएचडी के नये रेगुलेशन के मुताबिक भविष्य में पीएचडी करने वाले भी ‘नेट’ से छूट के हकदार रहेंगे बशर्ते वे कोर्स वर्क करें, उनका एक परीक्षक विदेश से हो, उनका पंजीकरण लिखित परीक्षा के माध्यम से हो आदि। पीएचडी के लिए नये दिशा-निर्देशों में 31 मई, 2009 से पहले के पीएचडी धारकों को लेकर असमंजस बना हुआ था क्योंकि इस बारे में यूजीसी व अलग-अलग विश्वविद्यालय इसकी अलग व्याख्या कर रहे थे। उत्तर भारत में दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, महर्षि  दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में 2009 से पहले के पीएचडी धारकों को ‘नेट’ से पहले से ही छूट प्राप्त है। अब पीयू ने भी यह कदम उठाकर उन हजारों पीएचडी धारकों का भविष्य अंधकारमय होने से बचा लिया है जिन्हें पीएचडी करने के बावजूद लेक्चरर पद के ‘योग्य’ तक नहीं माना जा रहा था। बताया जाता है कि अगले कुछ दिनों में ही सीनेट प्रोसीडिंग कन्फर्म होते ही इसे सार्वजनिक कर दिया जायेगा।

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