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पार्षदों के रवैये से गुस्साये अधिकारियों ने किया वाकआउट

रंजू ऐरी डडवाल ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस चंडीगढ़,28 सितम्बर। चंडीगढ़ नगर निगम सदन की आज की बैठक में  पार्षदों के रवैये से गुस्साये अधिकारियों ने न केवल सदन से वाकआऊट कर दिया साथ ही यह  लिख कर भी दे दिया कि उन्हें उनके मूल राज्य वापस भेज दिया । अधिकारियों ने यहां तक कह दिया कि […]
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चंडीगढ़ के सेक्टर 17 स्थित नगर निगम कार्यालय में सदन की बैठक में शुक्रवार को किसी मुद्दे पर बहस करते पार्षद। -दैनिक ट्रिब्यून/एस. चंदन

रंजू ऐरी डडवाल
ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़,28 सितम्बर। चंडीगढ़ नगर निगम सदन की आज की बैठक में  पार्षदों के रवैये से गुस्साये अधिकारियों ने न केवल सदन से वाकआऊट कर दिया साथ ही यह  लिख कर भी दे दिया कि उन्हें उनके मूल राज्य वापस भेज दिया । अधिकारियों ने यहां तक कह दिया कि जब तक उन्हें वापस भेजने के आदेश नहीं आ जाते, तब तक उन्हें छुट्टी पर भेज दिया जाये।
उधर महापौर राजबाला मलिक के नेतृत्व में निगम पार्षदों ने प्रशासक के सलाहकार से मिलने का समय न मिलने के बाद अपना शिकायतपत्र तो तैयार कर लिया पर सलाहकार को सोमवार को दिया जायेगा। पार्र्षद इस दिन प्रशासक से भी मिलने का प्रयास करेंगे।
निगम में प्रतिनियुक्त  पर हरियाणा व पंजाब से आये एचसीएस, पीसीएस व तकनीकी अधिकारियों ने आज निगमायुक्त वीपीसिंह को उन्हें उनके मूल राज्य वापस भेजे जाने का अनुरोध किया है। इस ज्ञापन पर करीब 18 अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। इनमें दो एचसीएस, एक पीसीएस, निगम के मुख्य अभियंता, अनेक कार्यकारी अभियंता व अन्य अधिकारी शामिल हैं।
आज निगम सदन की बैठक में भाजपा पार्षद सौरभ जोशी ने कलोरिनेटर्स  की  खरीद का मामला  उठाया तो  कांग्रेस व मनोनीत पार्षदों सहित समस्त सदन एकजुट दिखाई दिया। आज इस विवाद के चलते निगम में विकास के न तो किसी एजेंडे पर चर्चा हुई व न ही कोई एजेंडा पारित हुआ। इस ड्रामे से पहले पिछली मीटिंग के मिन्टस पारित करते समय भी भाजपा व कांग्रेस के पार्र्षदों में तीखी बहस हुई। उल्लेखनीय है कि पिछली बैठक में मौलीजागरां में डे मार्किट के लिए निर्माणाधीन थडों की परियोजना को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने हाथ खड़े कर सहमति दी व काम बंद कर दिया गया जबकि विपक्ष ने इसका विरोध किया था।
आज जब सदन की बैठक में  मिनट्स रखे गए तो उसमें इस विषय पर हुई वोटिंग की चर्चा ही नहीं की गयी थी। भाजपा पार्षद अरुण सूद के विरोध के बाद इसे मिनट्स में शामिल किया गया।
इसके बाद प्रश्न उत्तर काल में भाजपा पार्षद सौरभ जोशी ने शहर के नलकूपों पर लगाये जाने वाले कलोरीनेटरों का मामला उठाया। उन्होंने यह बता कर सदन को आश्चर्यचकित कर दिया कि सदन की बैठक से पूर्व निगम अधिकारियों ने इस मामले में जो उन्हें जवाब दिए वह उन जवाबों से भिन्न थे जो उन्हें निगम पटल पर लिखित रूप से दिए गए।
सदन के सभी पार्षद इस मुद्दे पर एकजुट दिखे व निगम अधिकारियों की कारगुज़ारी पर नाराज़ भी दिखे। सौरभ जोशी ने  सदन के बताया कि किस प्रकार निगम अधिकारियों ने डीएनआईटी की  सपैसिफिकेशन को दरकिनार कर कलोरिनेशन के लिए घटिया सिलेंडर  खरीदे । इस पर  मनोनीत पार्षद सुरिन्दर जग्गा का कहना था कि  हालांकि तथ्यों को साथ लाने में जोशी ने मेहनत की है? पर यहां उसका कोई लाभ नहीं क्योंकि आज तक किसी अधिकारी के विरुद्ध यहां कोई कार्रवाई ही नहीं हुई है। उनका कहना था कि इससे पहले भी पार्षदों ने अनेक मामले उठाये पर केवल जांच कमेटी बिठाने के बाद मामला ठप्प हो जाता है।
इस मामले में जिस प्रकार बिना रेट जस्टिफिकेशन के मै. जयाभारत कम्पनी को काम अलाट किया गया जिस प्रकार उसने रेट जस्टिफिकेशन के लिए जिस कम्पनी का हवाला दिया उसका पता उसी की कम्पनी से मिल रहा था। उन्होंने कहा कि निगम अधिकारियों ने
2009 में शहर की जनता के पैसे की बर्बादी करते हुए 50 लाख की लागत से 50 ट्यूबवैलों  पर क्लोरीनेटर लगाने के बाद पब्लिक हैल्थ विंग ने एक बार फिर 45 लाख की लागत से 76 ट्यूबवैलों पर क्लोरीनेटर लगाने का ठेका  दे दिया। कांट्रैक्ट के अनुसार जिस एजेंसी ने यह क्लोरीनेटर लगाए थे, उसने ही इनकी संभाल करनी थी, लेकिन संबंधित एजेंसी द्वारा एेसा नहीं किया गया। जोशी ने कहा कि विभाग के पास क्लोरीनेटर गैस सिलेंडरों की कमी है, इसलिए बलीचिंग पाऊडर के साथ शहर के लोगों को पानी की सप्लाई की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इसमें  सी.वी.सी. के दिशा-निर्देशों की भी उल्लंघना की जा रही है। उन्होंने कहा कि 2 प्रकार के क्लोरीनेटर गैस सिलेंडर हैं, एक सुपीरियर और दूसरा ईको क्लोर सिलेंडर है, लेकिन विभाग द्वारा सुपीरियर का इस्तेमाल न करते हुए सुपीरियर द्वारा ही बनाए जाने वाले एक अन्य ईको क्लोर सिलेंडर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह निगम अधिकारियों द्वारा अच्छे मॉडल को छोड़कर निचले स्तर के मॉडल का इस्तेमाल करते हुए शहर के लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है। इस पर सभी पार्र्षदों ने इस मामले की सीबीआई. विजिलेंस अथवा पुलिस से जांच कराने की मांग की।
जोशी के सवालों का जब निगम के जनस्वास्थ्य विभाग के  कार्यकारी अभियंता कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये तो पार्षदों की असंसदीय भाषा का बहाना बना कर सदन से वाकआऊट कर गए। अधिकारियों के   जाने के बाद भी निगमायुक्त वीपी सिंह सदन में ही बैठे रहे व पार्षदों के तीखे वार सहते रहे। अधिकारियों के इस रवैये को सदन की मर्यादा के विरुद्ध मान कर सभी पार्षद निगमायुक्त से उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने व महापौर से इसके विरुद्ध सदन में प्रस्ताव पारित करने की मांग करते रहे।
एक ओर जहां महापौर व पार्षद रणनीति बनाते रह गए, वहीं अधिकारियों ने चंडीगढ़  के प्रशासक के सलाहकार  केके शर्मा  को स्थिति की जानकारी भी दे दी व अपने मूल राज्य भेजे जाने का ज्ञापन तैयार कर  निगमायुक्त को भी   सौंप दिया व प्रशासक के सलाहकार को भी भेज दिया।
इस संबंध में अधिकारियों का कहना था कि इस मामले में निगमायुक्त ने ललित सिवाच के नेतृत्व में विभागीय जांच की पेशकश की तो सभी पार्षदों ने यह कह दिया कि उन्हें अधिकारियों पर विश्वास ही नहीं। इन अधिकारियों ने कहा कि जब उनपर विश्वास ही नहीं तो उनका यहां रहने का कोई  औचित्य ही नहीं है।  बैठक के बाद  महापौर  राजबाला मलिक व सभी पार्षदों ने बैठक कर फैसला किया कि अधिकारियों के विरुद्ध प्रशासक व प्रशासक के सलाहकार से सोमवार को शिकायत कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक  कार्रवाई की मांग की जाएगी। सभी 33 पार्षदों ने शिकायत पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें लिखा गया है कि आज जो निगम अधिकारियों ने किया, वह लोकतंत्र के विरुद्ध है और निगम के नियमों  व उनके सेवा नियमों के विरुद्ध है।

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