न्यू पंजाब कैपिटल पैराफेरी कंट्रोल एक्ट समाप्त किया जाये
कालका, 30 दिसंबर (निस)
न्यू पंजाब कैपिटल पैराफेरी कंट्रोल एक्ट 1952 चंडीगढ़ शहर के निर्माण के समय चारों तरफ हरियाली एवं योजना के दृष्टिगत बनाया गया था। इस एक्ट के मुताबिक कालका क्षेत्र के 102 गांव आते थे लेकिन हरियाणा गठन के पश्चात 1972 में शहरी ग्रामीण योजना विभाग के गलत सर्वे के मुताबिक कालका क्षेत्र के 52 और गांव शामिल कर दिये गये जबकि पंजाब सरकार के रिकार्ड के मुताबिक अभी भी कालका क्षेत्र के 102 गांव पैराफेरी एक्ट के अधीन हैं। शिवालिक विकास मंच के प्रांतीय अध्यक्ष विजय बंसल ने इस बात का खुलासा करते हुये कहा कि कालका के खोखरा गांव से कोट बिल्ला गांव पैराफेरी एक्ट के अधीन हैं। विजय बंसल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से मांग की है कि लोगों की आवासीय स्थिति को देखते हुये 1952 न्यू पंजाब कैपिटल पैराफेरी कंट्रोल एक्ट को समाप्त कर दिया जाना चाहिये। हरियाणा सरकार ने कई बार कालका को पिछड़ा औद्योगिक ब्लाक घोषित किया लेकिन पैराफेरी एक्ट के कारण कोई उद्योग नहीं लग सका। उन्होंने कहा कि जिला योजनाकार से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गयी थी जिसमें यह बताया गया कि कालका हलके के किसी भी व्यक्ति को निर्मण के लिये अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि चण्डीगढ़ के साथ सटे पंचकूला, मोहाली और जीरकपुर जैसे शहरों का निर्माण हो चुका है। बंसल ने कहा कि पंजाब सरकार न्यू चंडीगढ़ के नाम पर मुल्लांपुर और नया गांव का शहरीकरण कर रही है। बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, मोहाली, डेराबस्सी में औद्योगीकरण के कारण इस क्षेत्र की आबादी कई गुणा बढ़ गयी लेकिन कालका क्षेत्र में 1902 के पश्चात न बन्दोबस्त हुआ और न लाल डोरा ही बढ़ाया गया। विजय बंसल के अनुसार हरियाणा सरकार ने 2003 में 60 प्रतिशत लाल डोरा बढ़ाने की अधिसूचना जारी की थी लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसे लागू नहीं किया। विजय बंसल ने कहा कि उन्होंने 2010 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में इस अधिसूचना को लागू करवाने के लिये जनहित याचिका दायर की थी परन्तु हुड्डा सरकार ने 2012 में इस अधिसूचना को रद्द कर दिया।