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डड्डूमाजरा : बंद रहा सोलिड वेस्ट प्लांट

रंजू एेरी डडवाल/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 22 जून कचरा प्लांट में प्रोसेस करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे डड्डूमाजरा कालोनी के लोगों से महापौर आशा जसवाल मिली और डंपिंग ग्राऊंड में हररोज मिट्टी डलवाने और सदन की बैठक में इस समस्या के समाधान के लिए प्रस्ताव लाने का आश्वासन दिया। जिसके बाद लोगों ने प्रदर्शन […]
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चंडीगढ़ स्थित डड्डूमाजरा के डंपिंग ग्राउंड में ट्रक भर के कचरा फैंका गया। -दैनिक ट्रिब्यून

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रंजू एेरी डडवाल/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 22 जून
कचरा प्लांट में प्रोसेस करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे डड्डूमाजरा कालोनी के लोगों से महापौर आशा जसवाल मिली और डंपिंग ग्राऊंड में हररोज मिट्टी डलवाने और सदन की बैठक में इस समस्या के समाधान के लिए प्रस्ताव लाने का आश्वासन दिया। जिसके बाद लोगों ने प्रदर्शन रोक दिया। इसके अलावा ग्रीन टेक सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बृहस्पतिवार को पूरी तरह बंद रहा। इसके बाद निगम के पास शहर का कचरा डंपिंग ग्राउंड में फेंकने के अलावा अब कोई चारा नहीं बचा है। वहीं प्रदर्शन रुकने के बाद डंपिंग ग्राउंड में कचरा गिरना फिर शुरू हो गया।
निगम अधिकारियों ने रखी प्लांट पर नजर : बता दें कि प्रदर्शन के चलते प्लांट के प्रवेश द्वार बंद कर दिये गय थे। निगम के अतिरिक्त आयुक्त मनोज खतरी व एमओएच बृहस्पतिवार सुबह प्लांट के प्रबंधकों से मिलने भी गए। वहां उन्हें अधिकारी, कर्मचारी नहीं मिले। प्रबंधन ने प्लांट के मुख्य द्वार पर लिख कर लगा दिया कि मशीनों की मरम्मत के कारण प्लांट बंद है।
डंपिंग ग्राउंड में कचना फेंकने की जगह नहीं : कचरा फेंकने गए निगम के वाहन चालकों का कहना था कि डंपिंग ग्राउंड में कचरा फेंकने की जगह ही नहीं है। जिसे जहां जगह मिली वही कचरा गिरा दिया। अगर यही हालत रही तो कचरा एक दो दिन में सड़क पर आ जायेगा।
करार रद्द करने के खिलाफ एनजीटी में अर्जी
गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट की संचालक जेपी एसोसिएट्स ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में करार रद्द होने के खिलाफ अर्जी दायर की है, अर्जी में कंपनी ने पिछले 10 वर्षों में 41.15 करोड़ रुपये के नुकसान का जिक्र किया है। 80 पेज की इस अर्जी में निगम के फैसले को दुर्भाग्यग्पूर्ण और राजनीतिक विचार करार दिया गया और ट्रिब्यूनल से मांग की गई है कि कब्जा लेने से पूर्व निगम उन्हें 35 करोड़ रुपये सालवेज वेल्यू के रूप में अदा करे।  निगम से टिप्पिंग शुल्क के लिए जमा कराई गई 75 लाख रुपये की बैंक गारंटी वापस दिए जाने की भी मांग की गई है।
अर्जी में आरोप लगाया गया कि निगम ने टिप्पिंग शुल्क के तौर पर अनुबंध संबंधी शर्तों से पीछे हटते हुए ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी कि प्लांट का संचालन असम्भव हो गया।

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