खुशप्रीत मामले में फैसला टला
चंडीगढ़, 11 अप्रैल (नस)
5-वर्षीय मासूम खुशप्रीत का बुड़ैल से अपहरण करने के बाद कथित रूप से हत्या करने वाले दोषियों के खिलाफ जल्द फैसला आ सकता है। शुक्रवार को जिला अदालत में इस केस की सुनवाई के दौरान खुशप्रीत के माता-पिता भी उपस्थित थे जिनकी आंखें नम थीं। अदालत ने हत्याकांड के दोषियों पर फैसला आज आना था मगर टल गया। अब अदालत 15 अप्रैल को अपना फैसला सुनाएगी।
खुशप्रीत का नाम सुनते ही छलक आये आंसू : शुक्रवार को खुशप्रीत हत्याकांड में बचाव पक्ष की दलीलों के बाद आगामी मंगलवार तक फैसला सुरक्षित रख लिया गया। अदालत ने इस हत्याकांड में बुड़ैल के रहने वाले तथा मृतक के पड़ोसी सुखदेव सिंह, गुरविंदर तथा उनके नौकर नंद किशोर को दोषी ठहराया है। अदालत में मौजूद परिवार ने जैसे ही खुशप्रीत केस की सुनवाई के दौरान बेटे का नाम सुना तभी उनकी आंखें छलक आईं। उनका कहना था कि दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए ताकि कभी भी कोई मासूम की जिंदगी न छीने। उन्होंनों ने कहा कि अब बेटे खुशप्रीत की तस्वीर ही उनके लिये जीने का एकमात्र सहारा रह गया है।
ऐसे हुई थी मासूम की हत्या
22 दिसंबर, 2010 को खुशप्रीत गली में खेलते हुए अचानक गायब हो गया था। चंडीगढ़ पुलिस शिकायत मिलने के बाद भी फोरन हरकत में नहीं आयी। जब लोग पुलिस के ढीले रवैये के कारण सड़कों पर उतर आये तब जाकर पुलिस ने केस की जांच शुरू की। इस बीच पीडि़त परिवार को अपहर्ताओं का बार-बार फोन आये। उन्होंने पहली बार परिवार से 10 लाख रुपये फिरौती के मांगे थे। बाद में परिवार के बार-बार कहने पर अपहर्ताओं ने मासूम जिंदगी का सौदा 4 लाख रुपये में किया। अपहर्ता पुलिस को लगातार 13 दिन तक छकाते रहे। खरड़ के समीप पुलिस ने अपहर्ताओं को दबोचने के लिये ट्रैप भी लगाया मगर वह फेल हो गया। दो अपहर्ता बाइक पर सवार थे, जो खुशप्रीत के चाचा के हाथ से नोटों से भरा बैग छीन कर फरार हो गये थे और पुलिस देखती की देखती रह गयी। 5 जनवरी 2011 की शाम को मासूम का खुशप्रीत का शव पुलिस ने मोहाली के फेज 9 में एक स्कूल की दीवार के समीप झाडिय़ों में एक थैले में पड़ा हुआ बरामद किया। मासूम की गला घोंट कर हत्या की गयी थी।