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‘आज कलाकार एक्टिंग पर कम मसल्स बनाने पर ज्यादा देते हैं जोर’

पंचकूला, 2 अप्रैल (अस)। रजा मुराद वो शख्सियत जिसने तीन सौ  से अधिक बालीवुड की फिल्मों में कभी बाप, कभी अंकल तो कभी खलनायक की भूमिका निभाई। भारतीय दर्शकों के साथ-साथ विदेशों में भी रजा मुराद को बतौर खलनायक काफी पसंद किया गया। रजा मुराद ने भारतीय सिनेमा में अभिनय की लंबी पारी खेली है […]
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पंचकूला के सेक्टर 7 की मार्केट में रजा मुराद। छाया : अस

पंचकूला, 2 अप्रैल (अस)। रजा मुराद वो शख्सियत जिसने तीन सौ  से अधिक बालीवुड की फिल्मों में कभी बाप, कभी अंकल तो कभी खलनायक की भूमिका निभाई। भारतीय दर्शकों के साथ-साथ विदेशों में भी रजा मुराद को बतौर खलनायक काफी पसंद किया गया। रजा मुराद ने भारतीय सिनेमा में अभिनय की लंबी पारी खेली है और हर तरह का रोल करके अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। वह आज पंचकूला के सेक्टर 7 की मार्केट में घूमते देखे गए तो वहां लोगों की भीड़ उन्हें देखने के लिए जमा हो गई।
भारतीय सिनेमा का एक लंबा दौर देख चुके रजा मुराद का मानना है कि बदले दौर में हिन्दी सिनेमा को बहुत सारी अच्छी चीजें मिली हैं, जिसमें यूजिक, तकनीक से लेकर बहुत सारी चीजें शामिल हैं। परंतु उन्हेें इस बात का भी मलाल है कि भारतीय सिनेमा से कलम गायब हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आज सिनेमा से लेखक की मौजूदगी खत्म होती जा रही है। फिल्म की कहानी किसने लिखी? गाने किसने लिखे? या संवाद किसने लिखे दर्शकों को नहीं मालूम होता। उन्होंने कहा कि लेखकों की बदौलत ही आज तक शोले को सभी सराहते आ रहें हैं। नये कलाकारों पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि आज के कलाकार एक्टिंग पर कम और मसल्स बनाने पर अधिक जोर देते हैं।
वहीं उन्होंने महानायक अमिताभ का उदाहरण देते हुए कहा कि उनसे इन्हें काफी कुछ सीखना चाहिए। जब रजा मुराद से पूछा गया कि बतौर खलनायक ही उन्होंने अपनी पहचान क्यों बनाई तो रजा मुराद ने हास्य पूर्ण अंदाज में कहा कि दर्शकों ने उन्हें इस रूप में अपनाया है। उन्होंने इस बात पर दुख प्रकट किया कि भारतीय सिनेमा में अश्लीलता बढ़ गई। रजा मुराद शनिवार को पंचकूला के सेक्टर 7  में बॉवी एंड संस के मालिक बॉबी से मिलने आए थे। मुंबई जाने से पहले उन्होंने चंडीगढ़ पंचकूला को अपना घर बताया और कहा कि मुंबई जाकर उन्हें ऐसा लगता है कि न जाने वह कहां आ गए।
पंचकूला के सेक्टर 7  में पहुंचे रजा मुराद से मिलने के लिए मार्किट आए ग्राहकों और दुकानदारों की भीड़ जमा हो गई थी, पर रजा मुराद ने किसी को निराश नहीं किया, सभी से वे खुले दिल से मिले। रजा मुराद भारतीय सिनेमा के लिए एक सतंभ के रूप में साबित हुए हैं जिन्होंने बड़े पर्दें से लेकर छोटे पर्दे तकहर वर्ग के दर्शक के दिल में अपनी एक खास जगह बनाई है।

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