अंबाला के इतिहास से रूबरू करायेगी दो दिवसीय अभिलेख प्रदर्शनी
अंबाला, 7 अगस्त (निस)। भारत छोड़ो आन्दोलन की 69वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजकीय महाविद्यालय अंबाला छावनी में 9 से 10 अगस्त तक ऐतिहासिक अभिलेखों पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।
अभिलेखागार विभाग के सहायक निदेशक महावीर सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 9 अगस्त को प्रात: 10:30 बजे वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी बंसी लाल द्वारा किया जायेगा तथा यह प्रदर्शनी प्रात: 10 बजे से सांय 4 बजे तक विद्यार्थियों तथा जनता के लिए खुली रहेगी।
उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में पुरानी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने में अभिलेखागारों की भूमिका के बारे में विद्यार्थियों को बताया जायेगा तथा स्वतंत्रता आन्दोलन पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया जा रहा है।
प्रदर्शनी देखने आये विद्यार्थियों व जनता से प्रदर्शनी से संबन्धित प्रश्र पूछे जाएंगे और सही उत्तर देने वालों को ईनाम दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में अंबाला के स्थानीय इतिहास जैसे 1783 में अंबाला रियासत के शासक सरदार गुरबक्श सिंह की मृत्यु के पश्चात उसकी विधवा रानी दया कौर द्वारा अंबाला रियासत की बागडोर संभालना व 1808 में महाराज रणजीत सिंह द्वारा अंबाला रियासत पर कब्जा करना व जरनल आक्टरलोनी द्वारा रानी को पुन: सियासत दिलवाना, 1823 में रानी दया कौर की मृत्यु के पश्चात अंबाला सियासत का अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाया जाना। प्रदर्शनी में वर्ष 1890 में अंबाला में वर्तमान जेल को केन्द्रीय जेल बनाने के लिए जंडली और धूलकोट गांव की 117 बीघा जमीन का अधिग्रहण, 1896 में अंबाला में पुलिस की कुल संख्या में दर्शाती हुई रिपोर्ट, 1857 के विद्रोह में अंबाला छावनी में आगजनी की घटनाएं तथा अंबाला में पांचवी और 60वीं रेजिमेंटों द्वारा शस्त्र उठाने की रिपोर्ट, मुगल सम्राट बहादुर शाह की गिर तारी के वक्त उनके गहनों की सूचि, नाना साहब पेशवा को 1874 में मोरार जेल में हाथों और पैरों में बेडियां डले हुए दुर्दशा की स्थिति को दिखाया गया है।