स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट के बिना सरकारी स्कूलों में एडमिशन गलत
अम्बाला शहर, 17 जून (हप्र/नस)
सरकारी स्कूलों में दाखिले के वक्त स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट की उपयोगिता को शिक्षा विभाग द्वारा खत्म करने के आदेश पर इंटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी (आईपीएसएस) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे तुगलकी फरमान करार दिया। आईपीएसएस के प्रधान सौरभ कपूर ने शिक्षा विभाग द्वारा गत दिवस बिना एसएलसी के सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिए जाने संबंधी निदेर्शों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्हों ने आरोप लगाया कि ऐसे तुगलकी फरमान जारी कर प्रदेश सरकार प्राइवेट स्कूलों को खत्म करने का षड्यंत्र रच रही है। अगर यह निर्णय वापस नहीं हुआ तो बजट प्राइवेट स्कूल बंद होने की कागार पर आ जायेंगे। हालांकि एक ओर यूनियन ने दावा किया है कि अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते तो वहीं दूसरी ओर वह नये आदेशों का विरोध भी कर रही है।
यूनियन प्रधान कपूर एवं महासचिव अजय खटकर ने कहा कि प्राइवेट स्कूल पहले ही कोरोना महामारी की मार झेल रहे हैं। हजारों स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते हरियाणा में प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया, जिनके लगभग सभी बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे, इससे सरकारी स्कूलों की बच्चों की संख्या कम हो गई है तो सरकार ने सभी नियमों की अनदेखी करते हुए प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को बिना एसएलसी सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने का फरमान जारी कर दिया।
तुगलकी फैसला वापस नहीं लिया तो करेंगे आंदोलन
निजी स्कूलों की मदद करने की बजाय सरकार षड्यंत्र रचकर उनको बंद करने पर तुली है। स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) जारी करने से पहले प्राइवेट स्कूल अपनी पिछली फीस ले लेते थे, जिसे लेना अब नामुकिन नजर आ रहा है। यूनियन प्रधान ने चेतावनी दी कि अगर सरकार तुगलकी फैसला वापस नहीं लेती तो सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।