मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल
LIVE NOW

Parliament Winter Session: दो दिन गतिरोध के बाद हुआ लोकसभा में प्रश्नकाल, संसद परिसर में विपक्ष का श्रम संहिताओं के खिलाफ प्रदर्शन

प्रदर्शन करते विपक्षी सांसद। फोटो स्रोत एक्स अकाउंट @INCIndia
Advertisement

Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू होने के बाद से बुधवार को पहली बार लोकसभा में प्रश्नकाल की कार्यवाही सुचारू रूप से संपन्न हुई। इससे पहले दो दिन तक मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित रही। वहीं, विपक्ष ने श्रम संहिताओं के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन किया।

Advertisement

मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सभी दलों के नेताओं की बैठक में सहमति बनी कि सदन में सोमवार को वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के विषय पर और मंगलवार तथा बुधवार को चुनाव सुधारों के विषय पर चर्चा होगी।

इसके बाद सदन में गतिरोध समाप्त होने के आसार नजर आए। बुधवार को लोकसभा की बैठक शुरू होने पर अध्यक्ष ने तीन पूर्व सदस्यों- कालीप्रसाद पांडेय (आठवीं लोकसभा में बिहार के गोपालगंज संसदीय क्षेत्र से सदस्य), रामेश्वर डूडी (13वीं लोकसभा में राजस्थान के बीकानेर से सदस्य) और श्याम सुंदर लाल (छठी लोकसभा में राजस्थान के तत्कालीन बयाना संसदीय क्षेत्र से सदस्य) के निधन की सूचना दी और सभा ने कुछ पल मौन रखकर पूर्व सांसदों को श्रद्धांजलि दी।

इसके बाद सदन में प्रश्नकाल शुरू हुआ और अश्विनी वैष्णव, प्रह्लाद जोशी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और राव इंद्रजीत सिंह समेत केंद्रीय मंत्रियों ने संबंधित पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए। इसके बाद शून्यकाल की कार्यवाही भी शांति से शुरू हुई।

विपक्षी सांसदों ने श्रम संहिताओं के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन किया

विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के कई घटक दलों के सांसदों ने हाल ही में लागू चार श्रम संहिताओं के खिलाफ बुधवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया और इन्हें वापस लेने की मांग की। विपक्षी सांसद संसद के 'मकर द्वार' के निकट एकत्र हुए और इन संहिताओं एवं सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

उन्होंने हाथों में तख्तियां लेकर "मजदूर विरोधी कानून वापस लो" के नारे लगाए। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कुछ अन्य दलों के प्रमुख नेता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

केंद्र ने बीते 21 नवंबर को 2020 से लंबित चार श्रम संहिताओं को लागू कर दिया, जिनमें सभी के लिए समय पर न्यूनतम वेतन और सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा जैसे श्रमिक-अनुकूल उपायों को शामिल किया गया है, जिसमें गिग श्रमिक और प्लेटफॉर्म श्रमिक भी शामिल हैं।

वहीं, लंबे समय तक काम करने के घंटे, व्यापक निश्चित अवधि के रोजगार और नियोक्ता के अनुकूल छंटनी के नियमों की अनुमति भी दी गई है। ‘गिग वर्कर्स' उन श्रमिकों को कहा जाता है जिनका काम अस्‍थायी होता है। प्लेटफ़ॉर्म श्रमिक वे व्यक्ति हैं जो ऑनलाइन या डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (जैसे ऐप या वेबसाइट) के माध्यम से सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि ओला, उबर, स्विगी या ज़ोमैटो के ड्राइवर और डिलीवरी एजेंट। ये श्रमिक पारंपरिक रोजगार अनुबंधों के तहत नहीं होते और अक्सर गिग इकोनॉमी का हिस्सा होते हैं।

लापता लोगों की खोज के लिए रास में आप सदस्य ने की राष्ट्रीय स्तर पर एक पोर्टल बनाने की मांग

December 3, 2025 12:58 pm

देश में बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों के लापता होने पर चिंता जाहिर करते हुए आम आदमी पार्टी के एक सदस्य ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार से मांग की ऐसे लोगों की खोज के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल बनाया जाए और साथ ही संसद में एक विधेयक भी लाया जाए। शून्यकाल के तहत उच्च सदन में यह मुद्दा उठाते हुए आम आदमी पार्टी के डॉ अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि देश में 47 हजार बच्चे और करीब एक लाख 97 हजार महिलाएं लापता हैं। उन्होंने कहा ‘‘यह तो सरकारी आंकड़े हैं। गुमशुदगी के जो मामले थाने तक नहीं पहुंचते, उनका रिकार्ड भी नहीं है। शायद यह आंकड़ा लाखों में होगा।'' मित्तल ने कहा ‘‘उच्चतम न्यायालय भी इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए कह चुका है कि हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता होता है। सवाल यह है कि ये लापता लोग जाते कहां हैं?'' उन्होंने दावा किया कि यह केवल गुमशुदगी के मामले नहीं हैं बल्कि यह सुनियोजित तरीके से होने वाली मानव तस्करी के मामले हैं। उन्होंने कहा ‘‘इन लोगों से भीख मंगवाई जाती है, इनसे बंधुआ मजदूरी कराई जाती है, देह व्यापार कराया जाता है और अंग व्यापार में इन लोगों का इस्तेमाल किया जाता है।'' मित्तल ने सरकार ने मांग की कि इस समस्या के समाधान के लिए गृह मंत्रालय एक ‘राष्ट्रीय लापता व्यक्ति' पोर्टल बनाए और इसमें चेहरे से पहचान प्रणाली का व्यापक रूप से उपयोग किया जाए ताकि लापता लोगों का पता लगाने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि जनगणना जल्द ही शुरू होने वाली है। ‘‘ जनगणना में लापता लोगों का भी एक कॉलम जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि जब तक ऐसे लोगों की जानकारी नहीं होगी तो उन्हें खोजा कैसे जाएगा।'' मित्तल ने कहा कि लापता लोगों के मामलों को मानव तस्करी के नजरिये से भी देखा जाना चाहिए और इस संबंध में संसद में सरकार एक विधेयक ले कर आए। उन्होंने कहा कि जब तक कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे, यह समस्या दूर नहीं होगी। शून्यकाल में ही भाजपा के तेजवीर सिंह ने उत्तर प्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं और उत्तर प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा है। सिंह ने कहा ‘‘राज्य में अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के प्रयास सराहनीय हैं लेकिन इनके बेहतर पऋणाम के लिए बेहतर अवसंरचना भी जरूरी है। प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर का ग्रीन ग्रिड कनेक्शन होना चाहिए। राज्य की ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ठोस एवं दूरदर्शी कदम उठाए जाने चाहिए।'' भाजपा की ही धर्मशीला गुप्ता ने बिहार में ऋण वितरण सुविधाओं को मजबूत करने की मांग की। उन्होंने कहा कि डिजिटल लेनदेन, जनधन खाता, मुद्रा ऋण, किसान क्रेडिट कार्ड योजनाओं ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव किया है। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन ऋण वितरण सुविधाओं में खामी है। इसे मजबूत करने की जरूरत है और इसके लिए व्यावहारिक चुनौतियों की पहचान कर उनका समाधान करना जरूरी है।'' अन्नाद्रमुक के आई एस इन्बादुरै ने तमिलनाडु में हाल में आए चक्रवाती तूफान ‘दित्वा' के प्रभाव के चलते हुई मूसलाधार बारिश और इसकी वजह से फसल पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाया अन्यथा राज्य को भयावह नुकसान का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने दावा किया कि चेन्नई में तो दो दो फुट पानी भर गया और शिक्षण संस्थानों तथा अन्य संस्थानों में छुट्टी की नौबत आ गई। इन्बादुरै ने मांग की कि इस आपदा में प्रभावित हुए किसानों को तत्काल उचित राहत दी जानी चाहिए।

विपक्षी दलों ने शीतकालीन सत्र में आगे की रणनीति पर चर्चा की

December 3, 2025 12:48 pm

विपक्ष के कई दलों के नेताओं ने संसद के शीतकालीन सत्र के लिए अपनी संयुक्त रणनीति पर चर्चा की। कांग्रेस, द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), समाजवादी पार्टी (सपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) और शिवसेना (उबाठा) सहित विभिन्न दलों के सदनों के नेताओं ने बैठक में भाग लिया, जबकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बैठक में भाग नहीं लिया। तृणमूल कांग्रेस एक दिसंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन आयोजित विपक्षी दलों के नेताओं की पिछली बैठक में भी अनुपस्थित थी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में आयोजित बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे। बैठक के दौरान, नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी एकता और लगातार दबाव बनाए रखने के कारण सरकार मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) समेत चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार हुई। उन्होंने संसद के सुचारू कामकाज का भी आह्वान किया और कहा कि इसे सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।

मोदी सरकार मजदूर विरोधी, श्रम संहिता से रोजगार की सुरक्षा को खतरा: खड़गे

December 3, 2025 12:39 pm

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को मोदी सरकार पर ‘‘मजदूर विरोधी और पूंजीपति समर्थक'' होने का आरोप लगाया और दावा किया कि हाल ही में लागू चार श्रम संहिताओं के कारण श्रमिकों के रोजगार की सुरक्षा एवं स्थायित्व खतरे में पड़ गया है। खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी सांसदों ने श्रम संहिताओं के खिलाफ बुधवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया। बाद में खड़गे ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी सरकार मजदूर विरोधी, कर्मचारी विरोधी और पूंजीपतियों की समर्थक है। विपक्षी दलों ने आज संसद में मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए, नयी लागू की गई श्रम संहिताओं पर कड़ी आपत्ति जताई। नयी संहिताओं में कुछ गंभीर चिंताएं हैं।'' उन्होंने दावा किया कि छंटनी की सीमा 100 से बढ़ाकर 300 श्रमिकों तक कर दी गई है, जिसका मतलब यह है कि भारत में 80 प्रतिशत से अधिक कारखाने अब सरकार की मंजूरी के बिना श्रमिकों को नौकरी से हटा सकते हैं, जिससे नौकरी की सुरक्षा कम हो जाएगी। खड़गे ने कहा कि तय समयसीमा वाले रोजगार के विस्तार से कई स्थायी नौकरियां खत्म हो जाएंगी तथा कंपनियां अब दीर्घकालिक लाभ से बचते हुए, अल्पकालिक अनुबंध पर श्रमिकों को काम पर रख सकती हैं। उनका कहना है, ‘‘संहिता के तहत कागज पर आठ घंटे काम की बात की गई है, लेकिन 12 घंटे की शिफ्ट भी कराई जा सकती है.... इससे थकान और सुरक्षा जोखिम बढ़ जाते हैं।'' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘संहिता प्रवासियों के लिए सुरक्षा उपायों का विस्तार करने, विस्थापन भत्ते को हटाने और प्रतिबंधात्मक 18,000 रुपये की आय सीमा को बनाए रखने में विफल है, जिससे कई प्रवासियों को सुरक्षा के बिना छोड़ दिया गया है। अनिवार्य आधार-आधारित पंजीकरण से प्रवासियों और अनौपचारिक श्रमिकों के बाहर होने का जोखिम है, जिन्हें अक्सर दस्तावेज़ीकरण त्रुटियों या सीमित डिजिटल पहुंच का सामना करना पड़ता है। निश्चित रूप से इससे सामाजिक-सुरक्षा नामांकन में बाधाएं पैदा होती हैं।'' केंद्र ने बीते 21 नवंबर को 2020 से लंबित चार श्रम संहिताओं को लागू कर दिया, जिनमें सभी के लिए समय पर न्यूनतम वेतन और सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा जैसे श्रमिक-अनुकूल उपायों को शामिल किया गया है।

Advertisement
Tags :
Hindi NewsLabour LawsLok Sabha LiveLok Sabha sessionParliament Winter Sessionलोकसभा लाइवलोकसभा सत्रश्रम कानूनसंसद शीतकालीन सत्रहिंदी समाचार
Show comments