दुनिया में मीथेन गैस का लगातार बढ़ता हुआ उत्सर्जन चिंताजनक है क्योंकि यह एक ऐसी ग्रीनहाउस गैस है जिसकी वायुमंडल में उपस्थिति पृथ्वी के तापमान को प्रभावित करती है। मीथेन पृथ्वी के वातावरण में गर्मी को रोकती है। दिन के दौरान सूर्य वायुमंडल के माध्यम से चमकता है और ग्रह की सतह को गर्म करता है, जबकि रात में सतह से ठंडी हो जाती है और हवा में गर्मी वापस छोड़ देती है। बहरहाल, ग्रीनहाउस गैसें इस गर्म हवा में से कुछ को वायुमंडल में रोक सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप ग्रह गर्म हो जाता है। मनुष्यों के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग का लगभग एक-चौथाई से एक-तिहाई का स्रोत मीथेन है। वायुमंडल में गर्मी को रोकने में मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुणा अधिक शक्तिशाली है।
कार्बन डाइऑक्साइड सदियों तक हवा में बनी रहती है लेकिन मीथेन का वायुमंडलीय जीवनकाल लगभग एक या दो दशक का ही होता है। इसका मतलब यह है कि मीथेन उत्सर्जन में कमी लाकर वायुमंडलीय वार्मिंग को धीमा किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का कारगर तरीके से मुकाबला करने के लिए इस गैस के स्रोतों का अंदाज लगाना जरूरी है। कार्बन मैपर नामक एक गैर-लाभकारी संगठन ने मीथेन उत्सर्जन के स्रोतों का पता लगाने के लिए अपशिष्ट स्थलों के सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है। इसके लिए वह नासा के एमिट (अर्थ सरफेस मिनरल डस्ट सोर्स इन्वेस्टिगेशन) मिशन के साथ-साथ वर्तमान हवाई उपकरणों के डेटा का उपयोग करेगा। भविष्य में छोड़े जाने वाले उपग्रहों के उपकरणों से भी आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। नासा के एमिट उपकरण और अन्य वैज्ञानिक उपकरण अपशिष्ट स्थलों से मीथेन के उत्सर्जन के वैश्विक सर्वेक्षण का हिस्सा होंगे।
ध्यान रहे कि एमिट उपकरण ने दुनिया भर में 50 से अधिक ‘सुपर- एमिटर’ क्षेत्रों की पहचान की है जो अभूतपूर्व स्तर पर मीथेन छोड़ रहे हैं। शीर्ष दोषियों में तुर्कमेनिस्तान, ईरान, न्यू मैक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। मीथेन सुपर-एमिटर के उदाहरणों में तुर्कमेनिस्तान के बंदरगाह शहर हजार के निकट स्थित तेल और गैस प्रतिष्ठान से मीथेन के 12 गुबारों का समूह शामिल है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये गुबार सामूहिक रूप से 50,400 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से मीथेन उगलते हैं। एक और अन्य बड़ा उत्सर्जक न्यू मैक्सिको में पर्मियन घाटी तेल क्षेत्र है जो दुनिया के सबसे बड़े तेल क्षेत्रों में से एक है। इसने लगभग 3.3 किमी लंबा गुबार उत्पन्न किया। नासा के अनुसार मीथेन का तीसरा बड़ा अपराधी तेहरान के दक्षिण में एक अपशिष्ट-प्रसंस्करण परिसर है जो कम से कम तीन 4.8 किलोमीटर लंबा गुबार उत्सर्जित करता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पर्मियन साइट पर मीथेन की प्रवाह दर लगभग 18,300 किलोग्राम प्रति घंटे और ईरान साइट पर 8,500 किलोग्राम प्रति घंटे है। नासा के अधिकारियों ने कहा कि इनमें से किसी भी स्थल के बारे में वैज्ञानिकों को पहले से जानकारी नहीं थी।
कार्बन मैपर की नई पहल का उद्देश्य मीथेन का उच्च दरों पर उत्सर्जन करने वाले अपशिष्ट स्थलों का मूल्यांकन करना है। यह जानकारी निर्णय लेने वाले निकायों और अधिकारियों की मदद कर सकती है जो वायुमंडल में गैस की मात्रा को कम करने और जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के लिए प्रयत्नशील हैं। अपशिष्ट क्षेत्र द्वारा उत्पादित मीथेन मानव निर्मित मीथेन उत्सर्जन में अनुमानित 20 प्रतिशत योगदान देती है। इस समय दुनिया के अपशिष्ट क्षेत्र से मीथेन उत्सर्जन के बारे में कार्रवाई योग्य जानकारी बहुत सीमित है। अपशिष्ट स्थलों से उच्च-उत्सर्जन स्रोतों की व्यापक समझ गैस के स्रोतों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नई तकनीकी क्षमताओं से इन उत्सर्जनों को देखना और इन्हें कार्रवाई योग्य बनाना संभव हो गया है।
कार्बन मैपर की परियोजना के तहत इस वर्ष अमेरिका और कनाडा के अलावा लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के 1000 से अधिक लैंडफिल का एक प्रारंभिक रिमोट-सेंसिंग सर्वेक्षण किया जाएगा । इन क्षेत्रों से डेटा एकत्र करने के लिए शोधकर्ता विमान-आधारित सेंसर का उपयोग करेंगे। इनमें नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला (जेपीएल) में विकसित विशेष इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है। इसके अलावा वे एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की ग्लोबल एयरबोर्न ऑब्जर्वेटरी का उपयोग करेंगे। कार्बन मैपर प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में शोधकर्ता एमिट से प्राप्त मीथेन डेटा का भी विश्लेषण करेंगे। पृथ्वी के प्रमुख धूल उत्पादक क्षेत्रों की सतह पर खनिज सामग्री को मापने के उद्देश्य से जुलाई, 2022 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर स्थापित किया गया था। एमिट स्पेक्ट्रोमीटर पृथ्वी से परावर्तित सौर ऊर्जा को मापता है। इसका मुख्य उद्देश्य हवा में मौजूद धूल और जलवायु परिवर्तन पर उसके प्रभावों का अध्ययन करना है। लेकिन नासा के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि यह उपकरण उन क्षेत्रों का भी पता लगा सकता है जहां बड़ी मात्रा में मीथेन गैस का उत्पादन हो रहा है। नए खोजे गए मीथेन हॉटस्पॉट्स में तेल और गैस के बड़े-बड़े प्रतिष्ठान और बड़े लैंडफिल शामिल हैं।
नासा के एक रिसर्च टेक्नोलॉजिस्ट एंड्रू थोर्प का कहना है कि एमिट द्वारा अंतरिक्ष से देखे गए मीथेन के कुछ गुबार बहुत बड़े हैं। ऐसे गुबार पहले कभी नहीं देखे गए। नासा का कहना है कि एमिट अपने साल भर के मिशन के समाप्त होने से पहले सैकड़ों अज्ञात मीथेन सुपर-एमिटर ढूंढ़ सकता है। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा, मीथेन उत्सर्जन में कमी ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए महत्वपूर्ण है। नासा की मुख्य वैज्ञानिक और वरिष्ठ जलवायु सलाहकार केट केल्विन ने कहा, हम यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि एमिट के खनिज डेटा जलवायु मॉडलिंग में कैसे सुधार करेंगे। यह अतिरिक्त मीथेन-डिटेक्टिंग क्षमता जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाली ग्रीनहाउस गैसों को मापने और निगरानी करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करती है।
कार्बन मैपर परियोजना के पहले वर्ष के बाद शोधकर्ता कार्बन मैपर उपग्रह कार्यक्रम में दो उपग्रहों का उपयोग करके दुनिया भर में 10,000 से अधिक लैंडफिल का व्यापक सर्वेक्षण करेंगे। ये उपग्रह जेपीएल में विकसित इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर टेक्नोलॉजी से लैस होंगे। परियोजना से डेटा कार्बन मैपर डेटा पोर्टल पर उपलब्ध होगा। अन्य शोधकर्ताओं और जनता के उपयोग के लिए उपकरण का डेटा नासा के आर्काइव सेंटर को वितरित किया जाएगा। इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग पहले पौधों की पारिस्थितिकी, खनिज विज्ञान और पर्यावरणीय खतरों के अध्ययन के लिए किया जा चुका है।
लेखक विज्ञान संबंधी विषयों के जानकार हैं।