हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 9 मई
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी जीत पक्की करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे। प्रत्याशियों में प्रचार के दौरान शहरों व गांवों में स्थित धार्मिक स्थलों पर नत मस्तक होकर आशीर्वाद लेने की होड़ सी लगी हुई है। प्रत्याशियों की धार्मिक आस्था को लेकर कुछ मतदाता प्रभावित हैं तो कुछ इसे मतदाताओं को रिझाने की कवायद का एक हिस्सा मात्र मानते हैं। चुनाव प्रचार आजकल गति पकड़ रहा है। प्रत्याशी दिन-रात गली, मोहल्लों की धूल फांक रहे हैं।
प्रचार के दौरान अधिकांश प्रत्याशी बुर्जुगों के पांव छू कर या सिर पर हाथ रखवा आशीर्वाद पाकर फूले नहीं समाते। कुछ प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्हें कहीं भी रास्ते में धार्मिक स्थल दिख जाए तो वहां नत मस्तक हो जाते हैं। प्रचार के दौरान देखने में आया कि किसी भी धार्मिक स्थल पर प्रत्याशी को नत मस्तक होता देख उसके कार्यकर्ताओं की फौज भी मौका नहीं चूकती और सभी दंडवत हो जाते हैं।
एक प्रत्याशी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सामान्य दिनों में वह किसी भी धार्मिक कार्यक्रम या समारोह को मिस नहीं करते। कई बार अपने निजी कोष तथा कई बार अन्य स्त्रोतों से धार्मिक संस्था को चंदा दिलाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते। अब चुनाव जैसे टाइम में प्रत्याशियों द्वारा आस्था जताने में किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। उनका कहना है कि हमारे समाज में शुभ व बड़े कार्य को पूरा करने के लिए धार्मिक स्थलों पर संतों-महात्माओं के दर्शन कर आशीर्वाद लेने की परंपरा रही है।
यमुना के इलाके में एक धार्मिक स्थल की देखरेख करने वाले पंडित मोहित शर्मा ने बताया कि कुछ दिनों से यहां पर दर्शनों के लिए आने वाले नेता टाइप लोगों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा किसी भी बड़े काम के दौरान आशीर्वाद लेना या पूजा करना फलदायी माना जाता है। कोई नेता या उसके समर्थक जीत के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते।