यह उस समय की बात है जब विख्यात पंजाबी लेखक बलवंत गार्गी ने अंग्रेजी में कविताएं लिखनी शुरू की थीं। उन्हीं दिनों बांग्ला भाषा के महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर से वह मिलने गए। लेकिन उन्हें यह जानकर बहुत हैरानी हुई कि गार्गी अंग्रेजी में कविताएं लिखते हैं। ‘तुम्हारी मां कौन-सी भाषा बोलती है?’ टैगोर ने पूछा। ‘पंजाबी।’ युवा लेखक ने जवाब दिया। इस पर टैगोर ने कहा, ‘फिर तो तुम्हें अपनी मां के पास जाना चाहिए, ताकि तुम उस भाषा को सीख सको। अपनी भाषा को सीखो और उसी में लिखो- अगर तुम कवि बनना चाहते हो। ऐसा नहीं है तो स्पेनिश, चीनी, जर्मन या किसी भी भाषा में लिखो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उस हालत में तुम भारतीय जनता के लिए अपना लेखन नहीं कर रहे होंगे।’ प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार