प्रयागराज, 26 मई (एजेंसी) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में 1991 में कथित फर्जी मुठभेड़ में 10 सिख युवकों की हत्या के आरोपी 34 पीएसी कांस्टेबल को जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बृजराज सिंह की पीठ ने कहा कि पुलिस ने निर्दोष लोगों को आतंकवादी बताकर क्रूरता और अमानवीय तरीके से उनकी हत्या की है। भले ही कुछ पीड़ित असामाजिक गतिविधियों में शामिल थे और उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।