जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 19 जनवरी
पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) की मांगों के आगे आखिरकार पीयू प्रशासन को झुकना पड़ा और दोनों मुख्य मांगें मान ली जिसके बाद आज 61 दिन बाद पूटा ने अपना धरना समाप्त करने की घोषणा की। करिअर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत प्रमोशन और पूर्व सीएमओ डॉ. देविंदर धवन को अवैध तरीके से मकान अलाट किये जाने को लेकर पूटा लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही थी। पूटा प्रधान डॉ. मृत्युंजय कुमार ने कहा कि उन्हें कुलपति की ओर से 23 व 24 जनवरी का कैस प्रमोशन का शैड्यूल मिल गया है। उन्होंने प्रो. एसके तोमर के प्रयासों की सराहना की और साथ ही कहा कि अगर कोई केस पैंडिंग रखा गया तो पूटा फिर से आंदोलन छेड़ने से गुरेज नहीं करेगी। पूटा प्रधान ने बताया कि 18 जनवरी को एस्टेट आफिस की ओर से जारी नये आदेशों में डॉ. धवन को एक माह के भीतर मकान खाली करने को कह दिया गया है। इस मामले में भी डीएसडब्ल्यू प्रो. सुशील तोमर के हस्तक्षेप और मदद का पूटा ने स्वागत किया। बारिश, ठंड और कोरोना महामारी के बीच लगातार पूटा कार्यकारिणी के सदस्य और अन्य टीचर धरने पर बैठे रहे जिसके आगे पीयू प्रशासन को झुकना पड़ा।
‘लंबित केस भी शामिल हों शेड्यूल में’
पूटा की उप-प्रधान प्रो. सुपिंदर कौर ने कहा कि यूजीसी के रेगुलेशन्स के क्लॉज 6.3 के कारण कुछ टीचर्स के कैस प्रमोशन के केस स्पष्टता के अभाव के कारण अभी तक लंबित पड़े हैं, उन्हें भी बिना किसी देरी के इसी स्क्रीनिंग/इंटरव्यू शैड्यूल में शामिल किया जाये। उन्होंने साफ किया कि इंटरव्यू के दौरान किसी तरह की मनमर्जी नहीं चलने दी जायेगी। पूटा के सचिव अमरजीत सिंह नौरा ने कहा कि इन 2 मांगों के अलावा पूटा चाहती है कि डीयूआई और डीन रिसर्च की नियुक्ति में सीनियरिटी के नियम का पालन किया जाये। उन्होंने चेताया कि अगर इसमें कोई वरिष्ठता क्रम को भंग किया गया तो पूटा संघर्ष का रास्ता अपनायेगी।