नयी दिल्ली, 20 जुलाई (एजेंसी)
सरकार ने मंगलवार को कहा कि एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है, जबकि 6 साल से अधिक आयु की आबादी के दो तिहाई हिस्से में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गयी है। सरकार ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के चौथे राष्ट्रीय कोविड सीरो सर्वे के नतीजों से उम्मीद की किरण नजर आ रही है, लेकिन ढिलाई की कोई जगह नहीं है और कोविड से जुड़े नियमों का पालन करना होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रीय सीरो सर्वे में 6 वर्ष से अधिक आयु की 67.6 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी पाई गयी है। एक तिहाई आबादी में यह एंटीबॉडी नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों में से 85 फीसदी में एंटीबॉडी पाई गयी। सर्वेक्षण में 28,975 आम लोगों और 7252 स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल किया गया था। चौथे दौर का सर्वेक्षण 21 राज्यों में 70 जिलों में किया गया, जहां पिछले तीन दौर का सर्वेक्षण भी किया गया था। दिसंबर-जनवरी में किये गये तीसरे दौर के सीरो सर्वे में एंटीबॉडी 24.1 प्रतिशत थी।
125 दिन बाद सबसे कम केस : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार सुबह तक के आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे के दौरान देश में कोरोना के 30,093 नये मामले सामने आये। यह संख्या 125 दिन में सबसे कम है। इस दौरान 374 संक्रमितों की मौत के बाद कुल मृतक संख्या बढ़कर 4,14,482 हो गयी। एक दिन में कोरोना से मौत का आंकड़ा 111 दिन में सबसे कम है।
स्कूल खोलने हैं तो पहले प्राइमरी खोलें
आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने कहा कि देश में जब स्कूल दोबारा खोलने पर विचार किया जाये, तो प्राथमिक विद्यालयों को पहले खोलना विवेकपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि बच्चे वायरस संक्रमण से कहीं बेहतर निपट सकते हैं। वायरस को जुड़ने के लिए जिन ‘ऐस रिसेप्टर्स’ की जरूरत होती है, उनकी संख्या बच्चों में कम होती है। उन्होंने कहा कि कई देशों में तो प्राइमरी स्कूल बंद हुए ही नहीं। भार्गव ने यह भी कहा कि स्कूल खोलने से पहले सभी शिक्षकों, स्कूल बस ड्राइवरों और अन्य कर्मचारियों का टीकाकरण सुनिश्चित करना जरूरी है।
ईद पर छूट अनुचित, संक्रमण का खतरा बढ़ाया
बकरीद के मौके पर केरल सरकार द्वारा पाबंदी में दी गई छूट को सुप्रीम कोर्ट ने ‘पूरी तरह से अनुचित’ करार देते हुए कहा कि व्यापारियों के दबाव के आगे झुकना ‘दयनीय स्थिति’ को दिखाता है। शीर्ष अदालत ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह माफी योग्य नहीं है। जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि केरल सरकार ने बकरीद के अवसर पर पाबंदियों में इस तरह की छूट देकर देश के नागरिकों के लिए महामारी के जोखिम को बढ़ा दिया है।