सहीराम
अच्छा आप ही बताइए कि पंजाबी गाने कब गाये और बजाये जाते हैं-जब लोहड़ी या बैसाखी का त्योहार मनाया जा रहा हो, जब घर में शादी-ब्याह का माहौल हो, जब बारात चढ़ रही हो और ढोल बज रहे हों या फिर कोई पार्टी-शार्टी हो रही हो। परिवार मस्ती के मूड में हो या फिर यार लोग तफरीह पर निकले हों, तब भी पंजाबी गाने बजा लेते हैं। ज्यादातर वे मस्ती के लिए ही होते हैं, इसलिए अब टीवी के प्राइम टाइम पर भी पंजाबी गाने सुने जा सकते हैं।
टीवी की बहसों और चर्चाओं के नाम पर मुर्गों की लड़ाई देखने से तो अच्छा ही है। लेकिन पंजाबी गानों की रणनीति में क्या भूमिका है? एक जमाना था मध्यकाल का जब युद्ध का माहौल बनाने के लिए नगाड़े और तुरही आदि बजाये जाते थे। इधर तो कभी बिगुल बजता है तो चुनाव का ही बजता है। लेकिन तब चारण लोग युद्ध पर जाते हुए अपने आकाओं के युद्ध कौशल से जुड़ी वीर रस की कविताएं सुनाया करते थे और युद्ध का माहौल तैयार करते थे। फिर आधुनिक काल आया तो युद्ध के लिए मार्चिंग सान्ग तैयार होने लगे और गाये जाने लगे। यह भी वीर रस के ही गीत होते थे। दुनिया में हमेशा से ही इतने युद्ध होते आए हैं कि वीर रस के कवियों को कभी ठाली बैठने का मौका नहीं मिला होगा।
अपने यहां पाकिस्तान के अस्तित्व ने हमेशा ही वीर रस के कवियों को व्यस्त रखा है। पाकिस्तान वाले इतनी बार सीजफायर का उल्लंघन नहीं करते होंगे, इतनी बार घुसपैठ की कोशिश नहीं करते होंगे, जितनी बार हमारे वीर रस के कवि उन्हें नाको चने चबवा चुके होते हैं, धूल चटवा चुके होते हैं और नाक रगड़वा चुके होते हैं। न पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आता है, न वीर रस के कवि उसे धूल चटाना छोड़ते हैं। इधर तो अब चीन भी आ गया, सो वीर रस के कवि और व्यस्त हो गए। देश के बेरोजगार बैठे ठाले थाली बजा रहे हैं और वीर रस के कवि अत्यंत व्यस्त हैं। ऐसे में यह चीनी सेना की रणनीति समझ में नहीं आ रही साहब। वह लद्दाख में सीमा पर पंजाबी गाने क्यों बजा रही है। वे अपनी मस्ती में बजाते हैं या हमारे जवानों का ध्यान भटकाने के लिए बजाते हैं।
यह बात तो समझ में आती है कि उनमें जोश नहीं होगा, क्योंकि उनके यहां वीर रस के कवि नहीं होते होंगे। तो क्या वे अपनी सेना में जोश भरने के लिए पंजाबी गाने बजाते हैं। पंजाबी गानों के जोश के लिए पंजाबी आना तो वैसे भी जरूरी नहीं है। हमारे पूरे देश में पंजाबी गाने इसलिए नहीं सुने जाते कि वे समझ में आते हैं। और कहीं इन पंजाबी गानों से हमारे सैनिकों में जोश आ गया तो? पर अच्छी बात यही है कि युद्ध के माहौल में भी गानों का महत्व बना हुआ है।