दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
ऐलनाबाद, 24 अक्तूबर
बारिश के बाद मौसम में अब ठंड महसूस होने लगी है। इसके इतर ऐलनाबाद में राजनीति में पूरी गरमाहट देखने को मिल रही है। इस उपचुनाव पर पूरे सूबे की नज़रें टिकी हैं। दिल्ली तक को नतीजों का इंतजार है। यह उपचुनाव राज्य की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की ‘अग्निपरीक्षा’ है तो इनेलो के सामने अपने गढ़ को बचाए रखने की चुनौती है।
उपचुनाव में रिश्ते भी दाव पर लगे हैं। भाई-भाई, चाचा-भतीजा, दादा-पोता आमने-सामने डटे हैं। सबसे रोचक बात यह है कि उपप्रधानमंत्री रहे स्व़ देवीलाल का लगभग पूरा परिवार इसमें सक्रिय है। परिवार के कुछ सदस्य जहां इनेलो प्रत्याशी अभय चौटाला के लिए डटे हैं तो बड़ी संख्या में वे लोग भी हैं, जो अभय के खिलाफ सियासी रण में हैं।
एक और रोचक पहलू यह है कि गोबिंद कांडा प्रत्याशी तो भाजपा के हैं, लेकिन उन्हें जीत दिलवाने में भाजपाइयों से अधिक मेहनत जजपा के नेता कर रहे हैं। गठबंधन सरकार पर बेशक, उपचुनाव के नतीजों से कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सहयोगी जन नायक जनता पार्टी इस कोशिश में है कि उपचुनाव में किसी तरीके से अभय को हराया जाए, जिससे उसकी राहें आसान हों। जन नायक जनजा पार्टी के सुप्रीमो अजय चौटाला कई दिन से हलके में हैं। वे छोटे भाई अभय के खिलाफ प्रचार में जुटे हैं। वहीं चाचा अभय के खिलाफ मोर्चाबंदी करने में दिग्विजय चौटाला ने भी कसर नहीं छोड़ी है। डिप्टी सीएम दुष्यंत भी रण में कूद चुके हैं। जजपा प्रदेशाध्यक्ष सरदार निशान सिंह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रचार में जुटे हैं।
दूसरी ओर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ यहां प्रचार कर चुके हैं, लेकिन वे भी नियमित रूप से हलके में समय नहीं दे पाए हैं। सरका के मंत्री भी हलके में गए, लेकिन उनमें से अधिकांश प्रेस कांफ्रेंस करने तक ही सीमित रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं रामबिलास शर्मा, राव इंद्रजीत, कृष्णपाल गुर्जर, रतन लाल कटारिया, मूलचंद शर्मा का अभी ऐलनाबाद में आना नहीं हुआ है। जाट बहुल इस हलके में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह को भाजपा ने स्टार प्रचारकों की सूची में जगह नहीं दी। ऐसे में उनका आना मुश्किल दिख रहा है। उपचुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम है, लेकिन कांग्रेस दिग्गजों की उपचुनाव के प्रति ‘अनदेखी’ भी हलके में चर्चाओं का केंद्र बनी हुई है। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, किरण चौधरी, कैप्टन अजय यादव व कुलदीप बिश्नोई की ‘गेस्ट एंट्री’ ही रही। रणदीप सुरजेवाला प्रचार के लिए नहीं आए हैं। उपचुनाव के लिए अब तक प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा अकेली ही चुनावी रण में डटी हैं। सैलजा की पसंद से ही पार्टी ने भाजपा से आए पवन बैनीवाल को टिकट दिया है। शायद, यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है कि सैलजा ने उपचुनाव में दिन-रात एक किया हुआ है। बावजूद इसके दूसरे नेताओं का नहीं आना, कई सवाल खड़े कर रहा है। एक दिन के दौरे के दौरान हुड्डा का भाषण चर्चाओं में है।
ऐसे समझिये हलके का गणित
ग्रामीण बहुल ऐलनाबाद हलके में 76 गांव व ढाणियां हैं। लगभग एक लाख 86 हजार मतदाताओं वाला यह हलका तीन भागों में बंटा है। बागड़ी बेल्ट में लगभग 45 गांव हैं। इनमें अधिकांश वे गांव हैं, जो पहले दड़बा कलां हलके में शामिल थे। दड़बा कलां के खत्म होने के बाद ये ऐलनाबाद में शामिल हो गए। दूसरी बेल्ट है नामधारी सिख यानी पंजाबी बेल्ट। इस बेल्ट में पंद्रह-सोलह गांव हैं। ऐलनाबाद शहर और इसके साथ लगते गांवों की तीसरी बेल्ट है।
ताऊ देवीलाल के परिवार का रहा है प्रभाव
ऐलनाबाद हलके में देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के परिवार का अधिक प्रभाव रहा है। इंडियन नेशनल लोकदल के सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला यहां से विधायक रहे हैं। 2009 में चौटाला ने दो हलकों ऐलनाबाद व उचाना कलां से चुनाव लड़ा। वे दोनों जगह जीते। उन्होंने ऐलनाबाद सीट खाली कर दी। 2010 में उपचुनाव में अभय जीते। इसके बाद से वे यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं। हलके की खासियत यह है कि मतदाताओं का एक हिस्सा चौटाला परिवार के साथ जाता रहा जबकि दूसरे वोटर एंटी-चौटाला हैं। इस बार भी इन मतदाताओं पर नजर रहेगी।
रणजीत सिंह व केवी सिंह के भी हैं वोट
ऐलनाबाद हलके में देवीलाल बेटे व राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह का प्रभाव भी माना जाता है। नाथूश्री चोपटा, चाहरवाला, रामपुरा ढिल्लों, दूकड़ा, माधवसिंधाना, उमेदपुरा, चिलगनी, पाहेड़का सहित कई गांवों में रणजीत सिंह के समर्थक हैं। रणजीत गोबिंद कांडा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इसी परिवार से संबंध रखने वाले केवी सिंह का भी हलके में प्रभाव है। केवी सिंह कांग्रेस में हैं और उनके बेटे अमित सिहाग डबवाली से विधायक हैं। ऐसे में वे पवन बैनीवाल के लिए जोर लगा रहे हैं। कांग्रेस नेता प्रहलाद गिलाखेड़ा की भी हलके में पकड़ है। वे दड़बा कलां (अब खत्म हो चुका) हलके से 200 मतों से हारे थे।
सीएम खट्टर एक दिन के लिए करेंगे प्रचार
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अभी प्रचार के लिए नहीं आए हैं। उनका एक दिन का कार्यक्रम तय हुआ है। वे 27 अक्तूबर को ऐलनाबाद शहर और नाथूश्री चौपटा में कार्यक्रम करेंगे। इस दौरान उनकी पब्लिक मीटिंग होगी। आठ-दस जगहों पर जलपान का कार्यक्रम प्रस्तावित है। सीएम का रोड-शो करवाए जाने की भी खबरें हैं, लेकिन स्थानीय नेताओं का कहना है कि फिलहाल दो ही कार्यक्रम तय हुए हैं।
इसलिए अहम होंगे चुनावी नतीजे
मोदी सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में पंजाब के साथ हरियाणा के किसान भी भागीदार हैं। इस लिहाज से ऐलनाबाद इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है कि हलके की पंजाबी (नामधारी सिख) बेल्ट पूरी तरह से किसान आंदोलन के साथ है। बेल्ट में आंदोलन का इतना व्यापक असर है कि भाजपा-जजपा गठबंधन के नेता गांवों में नहीं जा पा रहे।