अरुण नैथानी
यशवंत व्यास वक्त की नब्ज पर गहरी पकड़ रखते हैं। उनकी रचनाओं का अनूठा शिल्प और रोचक प्रस्तुतीकरण उनके रचनाक्रम को पठनीय बनाता है। भाषा पर पकड़ होने के कारण वे शब्दों से खेलते नजर आते हैं। रचनाओं में व्यंग्य धारदार होता है लेकिन ताजगी भरा। यही वजह है कि पत्रकारिता व व्यंग्य विधा में बराबर का अधिकार रखते हैं।
प्रयोगधर्मी यशवंत व्यास की रचनाओं चिंताघर, कामरेड गोडसे, इन दिनों प्रेम उर्फ लौट आओ नीलकमल, यारी दुश्मनी, अमिताभ का अ, अब तक छप्पन, अपने गिरेबान में, कल की ताजा खबर, जो सहमत हैं सुनें, के अतिरिक्त बहुआयामी रचनाकार गुलजार के साथ बोसकीयाना खूब चर्चा में रहा। कहा जाता है कि उन्हें पढ़ने में एकाग्रता व सतर्कता की जरूरत होती है।
समीक्ष्य कृति ‘कवि की मनोहर कहानियां’ की कविताएं धारदार-असरदार हैं। इनके जरिये वे शब्द शिल्पियों की उन विद्रूपताओं का जिक्र करते हैं जो कलम की प्रतिष्ठा का सुख तो हासिल करना चाहते हैं लेकिन उसकी शुचिता व दायित्वों का निर्वहन नहीं करते। यानी जिस तरह वे वैचारिक चेतना का नेतृत्व करने का दावा अपने निहित स्वार्थों व समाज में विशिष्ट बन जाने के लिये करते हैं, उसकी पोल यशवंत व्यास शब्द-शब्द खोलते नजर आते हैं। कहने को रचनाओं का प्रतीक कवि है लेकिन यह बात हर उस प्रतिनिधि पर तीखे तंज करती है जो दोहरा जीवन जीता है। वह समाज में मूल्यों व व्यवस्था में बदलाव का ढोल तो पीटता है लेकिन यथार्थ में उसका लक्ष्य व्यवहार सुविधाभोगी, आत्मकेंद्रित और सत्ता सुख जैसा विशिष्ट का जीवन भोगना होता है।
दरअसल, कवि की मनोहर कहानियों में संकलित 49 कविताएं कवि के बहाने समाज में जीवन मूल्यों के अवमूल्यन के चित्र दिखाती हैं। कविताओं के मर्मभेदी शब्द उनकी विसंगतियों का चित्र उकेरते हैं जो बदलते वक्त के साथ कवि, पत्रकार, फिल्मकार व रचनाकर्मियों ने अपनी सुख-सुविधाओं के विस्तार के लिये गढ़ लिये हैं। कवि व अकवि के फर्क को व्यक्त करते हुए रचना के फ्लैप में उल्लेखित पंक्तियां एक सच से रूबरू कराती हैं:- एक होते हैं सच्चे कवि/एक होते हैं पक्के कवि/सच्चे कवि दुनिया के सबसे सुंदर मनुष्य हैं/ वे भूख में रोटी हैं, वे प्यास में पानी हैं/ लेकिन वे और हैं/ जो उनके हमनाम हैं/ जो भूख लगे तो मनुष्य को रोटी में बदल दें/ वे मनोहर हैं, वे कातिल हैं/ वे ही पूजा हैं, वे ही फूल हैं/ वे पक्के कवि हैं। फटी डायरी के साबुत पन्ने एक-दो व उपसंहार में कवि इन विसंगतियों का तार्किक विवेचन करता है।
पुस्तक : कवि की मनोहर कहानियां रचनाकार : यशवंत व्यास प्रकाशक : खटाक.कॉम पृष्ठ : 121 मूल्य : रु. 150.