शिखर चंद जैन
परीक्षा का समय बच्चों के लिए बेहद परेशानी का समय होता है। इस वक्त उनके चेहरे की चमक और सारी चंचलता मानो कहीं गायब हो जाती है। ऐसे वक्त में पैरेंट्स बच्चों को दिन-रात सिर्फ ‘पढ़ो-पढ़ो’ की रट न लगाकर उनकी मदद करें तो उनकी मुश्किल आसान कर सकते हैं-
सकारात्मक बातों से हौसला बढ़ाएं
बच्चे को पढ़ने के लिए मोटिवेट करने के सकारात्मक तरीके अपनाएं। काउंसलर गौतम दुगड़ और मेंटर संदीप प्रसाद का कहना है कि बच्चे की तारीफ करें और अच्छे नम्बर आने पर उनका पसंदीदा गिफ्ट दिलाने का आश्वासन दें। उन्हें बताएं कि अच्छी पढ़ाई करके अच्छे नम्बर लाने पर किस प्रकार उसका करिअर सफल हो सकेगा और कामयाबी से उसकी जिंदगी रोशन होगी। ये बातें बच्चे को पॉजिटिव ऊर्जा देंगी और वह ज्यादा मन लगाकर पढ़ेगा।
कमजोरियां जानें
बहुत से विद्यार्थियों की समस्या है कि एकाध विषयों पर उनकी पकड़ काफी कम होती है। उन विषयों में उनकी रुचि कम होती है और वे उन्हें पढ़ने से कतराते हैं। इससे बाकी विषयों में अच्छा परफॉरमेंस होने के बावजूद विद्यार्थी की ओवरऑल परसेंटेज कम हो जाती है। बाद में अच्छे कॉलेज या इंस्टीट्यूट में दाखिला होना मुश्किल हो जाता है। अपने बच्चे का यह डार्क एरिया ज़रूर जानकर मदद करने की कोशिश करें।
उसकी समस्या दूर करें
जैसे ही आपको अपने बच्चे की कमजोरी का पता चले, उसे उस विषय पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करें। संभव हो तो समय रहते उसके स्कूल में उस विषय के टीचर से मिलें और उनकी मदद मांगें। आप उनसे कुछ टिप्स भी ले सकती हैं ताकि बच्चे को विषय पढ़ने में जरा आसानी से महसूस हो। उनसे सलाह लेकर उस विषय की कुछ ऐसी टेक्स्ट बुक्स अलग से लाकर दें जिनमें ज्यादा आसानी से और ज्यादा उदाहरण देकर चीजें समझाई गई हैं। जिस विषय में आपका बच्चा कमजोर है, यदि वह कभी आपका पसंदीदा विषय रहा हो बहुत अच्छा। आप अपने अनुभव का लाभ उठाने का अवसर बच्चे को दें।
राइटिंग प्रैक्टिस नियमित करवाएं
बच्चे को हर शाम दिन भर की पढ़ाई के प्वाइंट्स एक डायरी में लिखने को कहें। हफ्ते में एक बार उसे पढ़े हुए और याद किए हुए विषयों में से कुछ लिखकर चेक करने को कहें और अपना मॉक टेस्ट लेकर मूल्यांकन करने की राय दें। इसके 3 फायदे हैं- लिखने से जो याद होता है, वह दीर्घ अवधि तक दिमाग में रहता है, राइटिंग इम्प्रूव होती है और लिखने का अभ्यास बना रहता है।
मनोरंजन से वंचित न करें
कुछ माता-पिता परीक्षाओं की आहट सुनते ही अपने बच्चे पर मानों कर्फ्यू लगा देते हैं। खेलकूद बंद, टीवी देखना बंद, म्यूजिक सुनाना बंद, दोस्तों के साथ बातचीत बंद। यह बिल्कुल गलत है। बच्चे को सामान्य जिंदगी जीने दें। हां, पढ़ाई का समय बढ़ाना और खेलकूद के समय में कुछ कटौती करना ज़रूरी है। इसलिए उसे खेलने और दोस्तों से बातचीत करने से मना न करें। दोस्तों से बातचीत के दौरान पढ़ाई की जो बातें होंगी, वे भी उसे पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी।
सभी स्कूलों में परीक्षा का वक्त है। बच्चे ऑनलाइन या क्लासेज़ में जाकर परीक्षाएं देने में जुट गये हैं। वहीं कुछ बच्चे फाइनल की तैयारी कर रहे हैं। परीक्षा के दिनों में बच्चों पर मानसिक तनाव हावी न हो इसके लिये उन पर दबाव न बनायें बल्कि संयम के साथ उनका साथ दें और परेशानी साझा कर उनका मनोबल बढ़ायें।