चंडीगढ़, 26 सितंबर (ट्रिन्यू)
देश-विदेश के पर्यटक अब हरियाणा के ग्रामीण आंचल को करीब से समझ सकेंगे। पर्यटक न केवल ग्रामीण संस्कृति, रहन-सहन और खाने-पीने से रूबरू होंगे बल्कि रात भी गांवों में ही गुजार सकेंगे। राज्य सरकार ग्रामीण आंचल में पर्यटकों को अधिकारिक तौर पर रोकने के लिए ‘स्टे होम पॉलिसी’ को मंजूर कर चुकी है। इस पॉलिसी का मोरनी हिल्स और पिंजौर सहित कई जगहों पर असर भी दिखने लगा है।
मोरनी हिल्स के कई गांवों में लोगों ने अपने घरों को और पिंजौर में फार्म को ‘स्टे होम पॉलिसी’ में बदल दिया है। इतना ही नहीं, अब सरकार ने सिंधुघाटी सभ्यता का स्थल रहे हिसार के राखीगढ़ी में भी स्टे होम पॉलिसी के तहत लाइसेंस देने का फैसला लिया है। विशेष महत्व वाले स्थानों पर पर्यटकों को अपने घर पर ही स्टे करवाया जा सकता है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और हीं पर्यटक ग्रामीण जीवन शैली व खानपान का आंनद ले सकेंगे। मोरनी हिल्स में एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्टे-हॉम पॉलिसी के तहत 30 से अधिक लाइसेंस जारी किए गए हैं। वहां पर पर्यटक रुक रहे हैं और मोरनी हिल्स के लोगों की आमदनी भी बढ़ी है। सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पिछले लगभग आठ वर्षों में ग्राम्य जीवन एवं ग्रामीण विकास पर सरकार के दिए गए विशेष फोकस किया है। इसके फलस्वरूप हरियाणा के गांवों की तस्वीर बदली-बदली नजर आ रही है। सबसे पहले गाम्य जीवन व ग्रामीण विकास को बेहतर ढंग से करवाना सुनिश्चित करने के लिए पढी-लिखी पंचायतें देने की शुरुआत की। इसके तहत पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं की 42 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व भागीदारिता देखने को मिली। जनप्रतिनिधियों की शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम 10वीं पास से लेकर स्नातक, स्नातकोत्तर, एचडी यहां तक की हावर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षित युवाओं की शैक्षिणक योग्यता देखने को मिली। मुख्यमंत्री ने पढ़ी लिखी पंचायत देने को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में टिप्पणी की कि अन्य राज्यों को भी हरियाणा सरकार के इस फैसले का अनुसरण करना चाहिए।