मंडी मांगे मोर : जी हां, हरियाणा की अनाज मंडियों में सुविधाओं की कितनी भी व्यवस्था हो जाये, मगर खून-पसीना बहाकर सोना उगाने वाले किसान भाई और अिधक सुख-सुविधाओं के हकदार तो माने ही जाएंगे। किसान के घर-परिवार के सुख-दुख में सांझीदार रहे आढ़ती पर भी आजकल खतरों के बादल मंडराते ही रहते हैं। इधर, खरीद एजेंसियों की घुमावदार आैपचारिकताएं तो उधर मंडी में खुले से लेकर सड़कों तक फैले खाद्यान्न के सुरक्षित रखरखाव, शौचाल्ाय और बिजली-पानी जैसी ढेरों समस्याओं से किसानों को दो-चार होना पड़ता है। ऐसी समस्याओं को जनहित में उजागर करने और उनके निराकरण के लिए संबंधित अदारों को सचेत करने के उद्देश्य से हरियाणा प्रदेश की भिन्न-भिन्न अनाज मंडियों का जायजा लेने का बीड़ा हमने उठाया है। सो, दैनिक ट्रिब्यून की शृंखला ‘मंडी मांगे मोर’ का आगाज हो रहा है आज कैथल की अनाज मंडी से…
-संपादक
ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 5 अक्तूबर
कैथल की तीनाें अनाज मंडियों में पिछले चार दिनों के दौरान साढ़े 4 लाख क्विंटल से ज्यादा धान पहुंच चुका है। लेकिन, उठान धीमा होने के कारण बुधवार को स्थिति यह थी कि मंडियों में पांव रखने तक की जगह नहीं बची। हालात यह हैं कि किसानों का धान रूपी सोना सड़कों पर पड़ा है। इससे यातायात भी अवरुद्ध हो रहा है। जींद रोड पर आज कई बार जाम लगा।
मंडी सचिव सतवीर राविश ने कहा कि मंडी में आवक ज्यादा होने के कारण आज अनाउसमेंट की गई है कि आढ़ती बृहस्पतिवार को धान की फसल न खरीदें, ताकि मंडी से उठान और व्यवस्था दुरुस्त हो सके।
उधर, गुहला चीका अनाज मंडी में चीका के साथ-साथ पंजाब से भी बड़ी संख्या में किसान धान लेकर पहुंचते हैं। लेकिन, चीका अनाज मंडी में किसानों के धान लाने और बिक चुके धान के लदान के लिए कोई समय निश्चित नहीं है। हालात यह हैं कि किसान दिन-रात ट्रालियों में धान भरकर मंडी पहुंच रहे हैं और इसी दौरान खरीद एजेंसियां उठान करती हैं। ऐसे में हर समय मंडी में अव्यवस्था का आलम बना रहता है। मंडी के अंदर जगह न होने के चलते किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों को सड़क पर खड़ा करते हैं, जिसके चलते मुख्य मार्ग पर जाम की स्थिति बनी रहती है। ट्रैफिक व्यवस्थित करने के लिए गुहला प्रशासन की तरफ से भी कोई प्रयास नहीं किए जा रहे।
कैथल और पटियाला की तरफ से आने-जाने वाले वाहनों के लिए वाया खरौदी एकमात्र वैकल्पिक मार्ग है, लेकिन पिछले कई वर्षों से यह मार्ग खस्ता हालत में है। इस मार्ग से छोटे वाहनों का गुजरना बहुत मुश्किल है। स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार मांग करने के बावजूद गुहला प्रशासन ने इस मार्ग को दुरुस्त करवाने की जहमत नहीं उठाई।
सुविधाओं की बात करें तो कैथल की नयी अनाज मंडी और विस्तार अनाज मंडी में किसानों, मजदूरों को 10 रुपये में खाना मिल रहा है।
पॉलिटेक्निक, आईटीआई के छात्रों को होती है परेशानी
कैथल रोड पर स्थित चीका की नयी अनाज मंडी और गुरु गोबिंद सिंह पॉलिटेक्निक काॅलेज आमने-सामने हैं। काॅलेज से थोड़ी ही दूरी पर आईटीआई है। हर साल धान के सीजन में दोनों ही संस्थानों के छात्र व स्टाफ सदस्य जाम में फंसकर रह जाते हैं। उन्हें वाहनों के बीच से होते हुए पैदल ही शहर तक पहुंचना पड़ता है।