चंडीगढ़, 6 नवंबर (एजेंसी) पंजाब के महाधिवक्ता एपीएस देओल ने शनिवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला बोला तथा उन पर राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए सरकार के कामकाज में बाधा डालने और गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया। देओल की यह टिप्पणी सिद्धू द्वारा पंजाब कांग्रेस प्रमुख पद से अपना इस्तीफा वापस लेने के एक दिन बाद आई है। इस्तीफा वापस लेने के बाद सिद्धू ने ऐलान किया था कि वह तब तक पदभार ग्रहण नहीं करेंगे, जब तक देओल को महाधिवक्ता पद से हटाया नहीं जाता है और नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के लिए पैनल का गठन नहीं किया जाता है। सिद्धू ने 28 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था। देओल ने बयान जारी कर कहा कि सिद्धू की बयानबाजी नशे और और बेअदबी के मामलों में न्याय सुनिश्चित करने के प्रदेश सरकार के गंभीर प्रयासों को पटरी से उतारने का प्रयास है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘सिंह सिद्धू सरकार और महाधिवक्ता के कार्यालय के कामकाज में बाधा डाल रहे हैं और वह अपने राजनीतिक सहयोगियों पर राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए गलत सूचना फैला रहे हैं।’ महाधिवक्ता ने आरोप लगाया, ‘पंजाब में आसन्न विधानसभा के मद्देनजर निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचाने और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए पंजाब के महाधिवक्ता के संवैधानिक कार्यालय का राजनीतिकरण करने के पुख्ता प्रयास किए जा रहे है।’
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।