सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 30 नवम्बर
चीनी सेना ने 6 नवम्बर को कोर कमांडर स्तर की बैठक में हुए समझौते को नकारते हुए अब पहले भारतीय जवानों को उन चोटियों से हटने की शर्त जोड़ दी है जहां बढ़त हासिल करते हुए भारतीय सेना ने कब्जा कर चीनी सेना के कदमों को रोकने के साथ ही सुरक्षा की मजबूत दीवार खड़ी कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि 11 नवम्बर को खुद सेना के सूत्रों ने यह जानकारी थी कि पिछले 8 महीनों से लद्दाख में एलएसी पर डटी हुई चीनी फौज 3 चरणों में पीछे हटने को राजी हो गई है। यह भी कहा गया था कि अगले एक हफ्ते में वह 30 परसेंट जवानों को पीछे ले जाने पर सहमति जता चुकी है। हालांकि भारतीय पक्ष तब भी आशंकित था। दोनों पक्षों द्वारा फौज हटाने की सहमति 6 नवंबर को कोर कमांडर स्तर पर चुशूल में बातचीत के दौरान हुई थी। अधिकारियों के मुताबिक, पहले दौर में दोनों देशों की आर्म्ड व्हीकल यानी कि तोप और टैंक एलओसी से पीछे ले जाए जाने थे और दूसरे दौर में पैंगांग लेक के उत्तरी किनारे से दोनों देश अपनी सेना को पीछे हटाने की सहमति के साथ ही चीन अपनी सेना को फिंगर 8 के पीछे यानी अपनी पुरानी जगह पर ले जाने को राजी हो गया था। इसके लिए भारत को भी अपनी सेना को धान सिंह थापा पोस्ट तक लेकर आने के लिए ‘मजबूर’ किया गया था। मगर ऐसा कुछ अभी तक शुरू ही नहीं हो पाया है। रक्षा सूत्र कहते हैं कि चीनी सेना ने अब सेना वापसी के लिए नित नई शर्तें रखनी आरंभ की हैं। अधिकारियों के मुताबिक, चीनी सेना ने फिर से ‘पहले आप’ की शर्त रखते हुए समझौते के अंतिम में होने वाली वापसी को सबसे पहले लागू करने की बात करनी आरंभ की है जिसके तहत भारतीय पक्ष को त्यो-चुशूल सेक्टर के उन पहाड़ों से सेनाओं को हटाना होगा जिस पर 29 और 30 अगस्त की रात को उसने बढ़त हासिल करते हुए कब्जा कर लिया था।