ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
रुचिका एम खन्ना
चंडीगढ़, 17 मई
पंजाब के 23 किसान संघों से जुड़े सैकड़ों किसान मंगलवार सुबह से ही चंडीगढ़ की ओर आने लगे, लेकिन बाद में इन यूनियनों के नेताओं को एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के लिए बुलाया गया। किसान संघ के नेताओं ने पंजाब के मुख्यमंत्री के अलावा किसी और से मिलने से इनकार कर दिया। भगवंत मान, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध का कारण बना। यूनियन के नेताओं ने दावा किया कि पूरे पंजाब में पुलिस ने बेरिकेड्स लगा रखे थे और किसानों को चंडीगढ़ में पक्के धरने के लिए मार्च स्थल पर पहुंचने से रोक दिया गया था। नतीजतन, कुछ किसान मोहाली के अम्ब साहिब गुरुद्वारे तक पहुंचने में कामयाब रहे- जहां से उन्हें चंडीगढ़ जाना था।
सूत्रों का कहना है कि चूंकि किसान संघ पर्याप्त संख्या में जुटाने में विफल रहे, इसलिए यह निर्णय लिया गया कि सीएम के बजाय, किसानों का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सरकार के एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल से मिलेगा। बताया जा रहा है कि सीएम दोपहर में दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं।
बिजली मंत्री हरभजन सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के साथ बातचीत विफल होने के बाद यूनियन नेताओं ने पिछले हफ्ते धरने की घोषणा की थी। किसान मांग कर रहे हैं कि उन्हें राज्य सरकार के आदेश के अनुसार 18 जून से नहीं 10 जून से धान की रोपाई के लिए जाने दिया जाए।
सरकार ने कहा था कि कृषि पंपसेट उपभोक्ताओं को उनके द्वारा घोषित तिथियों पर जोन में आठ घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति दी जाएगी। सरकार ने राज्य को पांच जोन में बांटा है। किसानों की यह भी मांग है कि सरकार द्वारा बिजली लोड बढ़ाने के लिए लगने वाले शुल्क को कम किया जाए। इसके अलावा, वे 85,000 स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मीटर में बदलने का विरोध कर रहे हैं।