करनाल, 19 मई (हप्र)
पुराने करनाल शहर और उसके आसपास ग्रामीण क्षेत्र को जाने वाली सड़कों की खस्ता हालत से लोग परेशान हैं। बीते करीब 5 साल से करनाल को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला हुआ है और शहर की सीमा का विस्तार करके इन्द्री व घरौंडा हलके के गांवों को भी करनाल नगर निगम में शामिल कर दिया गया है। शहर के बाहर नहर कर पटरियों पर करोड़ों रुपये खर्च करके उन्हें रमणीक स्थल बनाने के दावे किये जा रहे हैं लेकिन शहर के भीतर न तो जाम की समस्या ये निजात मिल रही है और न ही सड़कों का सुधार हो रहा है। करनाल-मेरठ रोड पर पर शुगर मिल के नजदीक बनाए जा रहे फ्लाईओवर का खामियाजा भी रावर गांव की जनता को भुगतना पड़ा है। करनाल-मेरठ रोड पर पुल निर्माण कार्य के चलते करनाल के तत्कालीन डीसी निशांत यादव ने रांवर गांव से ट्रेफिक डायवर्ट करने के आदेश दिए थे। इसके बाद रोजाना बड़ी संख्या में वाहन गांव की सड़क से गुजरने लगे। इसके चलते गांव रावर की सड़क की हालत खस्ता हो गई। ग्रामीण दर्जनों बार संबंधित अधिकारियों से मरम्मत की मांग कर चुके हैं, मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही। इसके चलते युवाओं ने अब जाम और आंदोलन की चेतावनी दे डाली है।
युवा समाजसेवी रिंका चीमा, मुख्तयार सिंह, सचिन गोयल ने कहा कि सरकार गांवों का विकास शहरों की तर्ज पर करने के वादे और दावे कर रही है लेकिन गांवों का विकास तो दूर खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत भी नहीं हो रही है।
जुंडला गेट से सद्भावना चौक तक हालत बदतर
दो दशक पहले चौटाला सरकार के समय पुराने शहर में नावल्टी रोड से सदभावना चौक तक आरसीसी की सड़क बनी थी। अब खस्ता हाल हो चुकी इस सड़क को सांसद संजय भाटिया ने पैरिस जैसी सड़क बनाने का वादा किया था। वादे को दो साल हो चुके हैं लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।