दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 20 मई
हरियाणा के किसानों के लिए नई शुरुआत करते हुए सरकार ने तय किया है कि अब फसलों के नुकसान की रिपोर्ट खुद किसान कर सकेंगे। इसके लिए ‘ई-फसल क्षतिपूर्ति’ पोर्टल की शुरुआत की गई है। इस पोर्टल को ‘मेरा फसल-मेरा ब्यौरा’ के साथ लिंक किया गया है। किसानों की फसलों में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी वजह से नुकसान होने की सूरत में उन्हें पटवारियों व कानूनगो के भरोसे नहीं रहना होगा।
शुक्रवार को चंडीगढ़ में पोर्टल लांच करते हुए सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि किसानों के हित और उन्हें जोखिम मुक्त करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसान स्वयं अपनी फसल नुकसान का ब्यौरा भर सकेंगे। इससे पहले किसानों को फसल खराबे का मुआवजा मेनुअल दिया जाता रहा है। सालों से चली आ रही मैनुअल मुआवजा प्रणाली को बदलते हुए अब इस पोर्टल के माध्यम से यह मुआवजा भी ऑनलाइन कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है, उन किसानों को इस सुविधा का लाभ मिलेगा। पोर्टल के माध्यम से मुआवजा राशि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर उपलब्ध करवाए गए काश्तकार के सत्यापित खाते में सीधे जमा करवाई जाएगी। इसके लिए किसानों को ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल के अलावा और कहीं भी पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। संबंधित खसरा नंबर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत नहीं होना चाहिए। पोर्टल पर किसान समय-समय पर अपने आवेदन की स्थिति देख सकते हैं। पंजीकरण के लिए मोबाइल नंबर, परिवार पहचान पत्र या मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पंजीकरण नम्बर में से कोई एक अनिवार्य होगा। आग, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखा, शीत लहर, भूकम्प, भूस्खलन, बादल फटना, जलभराव, भारी बारिश, कीट का हमला और धूलभरी आंधी के कारण फसल नुकसान पर मुआवजा मिलेगा। फसल नुकसान के मुआवजे के लिए 5 स्लैब होंगे। फसल का मुआवजा 5 स्लैब 0 से 24 प्रतिशत, 25 से 32 प्रतिशत, 33 से 49 प्रतिशत, 50 से 74 प्रतिशत और 75 से 100 प्रतिशत में दिया जाएगा। पटवारी, कानूनगो और तहसीलदार उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर से लॉगिन फॉर्म से अपना-अपना लॉगिन करेंगे। वे फसल नुकसान के लिए किसान द्वारा प्रस्तुत आवेदन को देख सकेंगे। फसल नुकसान का प्रतिशत तथा खसरा नम्बर की फोटो भरेंगे और अपनी प्रतिक्रिया देंगे। एसडीएम अपने लॉगिन फॉर्म से लॉगिन करेंगे और पटवारी, कानूनगो व तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत किए गए बेमेल डेटा को देख सकेंगे।
ज्वाइंट वेंचर में आएंगे प्रोजेक्ट, मुनाफे में भागीदार होंगे किसान
हरियाणा के कई बड़े प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण पॉलिसी सख्त होने के चलते लटके पड़े हैं। यूपीए सरकार के समय 2013 में बनाई गई भूमि अधिग्रहण पॉलिसी में राज्य सरकार संशोधन भी कर चुकी है, लेकिन फिर भी जमीन जुटाना मुश्किल है। ऐसे में सरकार ने भूमि का प्रबंध करने के लिए नया फार्मूला निकाला है। ई-भूमि पोर्टल पहले की तरह जारी रहेगा। इससे अलग किसानों और भू-मालिकों के लिए दो और योजनाओं की शुरुआत गठबंधन सरकार करेगी। जमीनों से जुड़े प्रोजेक्ट अब ज्वाइंट वेंचर (संयुक्त उपक्रम) के रूप में लांच होंगे। इसके तहत किसानों को उनकी जमीन का एक निर्धारित मूल्य पहले ही दिया जाएगा। इसके बाद जमीन को बेचने के बाद आने वाले मुनाफे में भी किसान बराबर के हकदार होंगे। मसलन, किसी जमीन को बेचने पर अगर पांच करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है तो ढाई करोड़ रुपये भू-मालिक को दिए जाएंगे। प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने के लिए उपलब्ध करवाई जाने वाली मूलभूत सुविधाओं पर खर्चा सरकार करेगी। इसी तरह से लैंड पूलिंग योजना की शुरुआत हरियाणा में होगी। पड़ोसी राज्य पंजाब में पहले से ही यह योजना चल रही है। इसके योजना के तहत किसानों को दो तरह के विकल्प दिए जाते हैं। पहला तो उनकी जमीन का मुआवजा तय किया जाता है और दूसरा विकल्प रहता है कि किसान विकसित प्लॉट लें। मुआवजा लेने के बाद प्लॉट नहीं मिलेंगे। पंजाब में रिहायशी कालोनी के लिए एक एकड़ जमीन में लैंड पूलिंग के तहत 1000 वर्गगज साइज रिहायशी जगह और 200 वर्गगज कमर्शियल जगह दी जाती है। कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ 2-2 किमी एरिया सरकार ने नोटिफाई किया हुआ है।