चंडीगढ़, 27 जनवरी (ट्रिन्यू)
इनेलो प्रधान महासचिव व ऐलनाबाद से विधायक अभय चौटाला ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। बुधवार को वे ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे। यहां उन्होंने स्पीकर ज्ञानंचद गुप्ता से मुलाकात की और नये सिरे से इस्तीफा लिखकर सौंपा। उन्होंने स्पीकर से हाथों-हाथ इस्तीफा मंजूर करवाया। 5 लाइन के इस्तीफे पर ही स्पीकर ने उसे हाथों से लिखकर स्वीकार कर लिया। कृषि कानूनों को वापस लेने और दिल्ली बॉर्डर पर चले रहे किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अभय ने 11 जनवरी को स्पीकर को ईमेल से इस्तीफा भेजा था। स्पीकर ने जब कहा कि उन्हें इस्तीफा नहीं मिला तो अभय ने अपने प्रतिनिधियों के हाथों 14 जनवरी को फिर इस्तीफा भेजा। इस्तीफे में अभय ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार 26 जनवरी तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तो 27 जनवरी को उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया जाए। बताते हैं कि यह इस्तीफा मिलने के बाद स्पीकर ने अभय चौटाला से बात की और निजी रूप से पेश होने को कहा। इसी कड़ी में बुधवार को अभय ने पहले पंचकूला में इनेलो की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भाग लिया। इसके बाद वे चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय से ट्रैक्टर पर सवाल होकर विधानसभा सचिवालय पहुंचे और स्पीकर काे इस्तीफा सौंपा। स्पीकर ने इस्तीफे पर ही लिखा, ‘अभय सिंह चौटाला व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से त्याग-पत्र दिया, जिसे मैंने स्वीकार कर लिया है।’ विधानसभा द्वारा इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है। अभय ने पीएम से अपील की कि वे कृषि कानूनों को वापस लेें।
ताऊ देवीलाल की राह पर पोता
चंडीगढ़, 27 जनवरी/ट्रिन्यू
इनेलो प्रधान महासचिव अभय चौटाला द्वारा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद अब हरियाणा की राजनीति में उफान आने वाला है। ऐलनाबाद हलके से विधायकी छोड़कर उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के अलावा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने का काम कर दिया है। किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा देकर उन्होंने खुद को ताऊ देवीलाल की राह पर चलने के संकेत दे दिए हैं। माना जा रहा है कि अभय के इस्तीफे के बाद अब किसानों का उन विधायकों पर दबाव बढ़ेगा, जो ग्रामीण व किसान बहुल एरिया से चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। ऐलनाबाद हलके में उपचुनाव के हालात बन गए हैं।
मौजूदा विधानसभा में अभय अकेले ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्होंने किसानों के मुद्दे पर सदस्यता छोड़ी है। 2004 में जब इनेलो-भाजपा गठबंधन की सरकार थी और चौटाला मुख्यमंत्री थे तो उस समय भाजपा के 6 विधायकों ने एसवाईएल मुद्दे पर इस्तीफा दिया था। हालांकि, उस समय विधानसभा चुनावों को लगभग 7 महीने ही बाकी थे। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल अभी लगभग पौने चार साल बाकी है। 1985 में चौ. देवीलाल, डा. मंगलसेन और चंद्रावती ने जल विवाद में इस्तीफे दे दिए थे और न्याय युद्ध की शुरुआत की थी। बहरहाल, अभय सिंह चौटाला ने विधानसभा से इस्तीफा देकर प्रदेश के अन्य विधायकों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। माना जा रहा है कि इस राजनीतिक फैसले के बहाने वे अपने पार्टी संगठन को फिर से मजबूत करने में भी कामयाब हो सकते हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव इनेलो के लिए काफी चुनौतीपूर्ण थे। पार्टी टूट चुकी थी। दुष्यंत ने अलग होकर जजपा का गठन कर लिया था। पार्टी से सिर्फ अभय चौटाला ही जीते। अभय का इस्तीफा मंजूर होने के बाद अब ऐलनाबाद हलके में उपचुनाव होना तय हो गया है। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में यह दूसरा उपचुनाव होगा।
विधानसभा की दलीय स्थिति
पार्टी विधायक
भाजपा 40
कांग्रेस 31
जेजेपी 10
निर्दलीय 7
हलोपा 1