अरुण नैथानी
कोरोना संकट ने दुनिया को उद्वेलित किया है। वैश्विक अर्थव्यस्था को ध्वस्त करके करोड़ों लोगों को गरीबी की दलदल में धकेला है। संवेदनशील रचनाकार के रूप में ‘कोरोना : एक वैश्विक बदलाव’ पुस्तक की लेखिका रेखा जैन ने इस संकट में जैसा महसूस किया, उसे शब्द देने का प्रयास किया। लेखिका ने कोरोना की उत्पत्ति, वैश्विक प्रभाव, दुनिया के दूसरे देशों में इसके मुकाबले के लिये हुए प्रयासों का जिक्र किया है। पुस्तक हमें कोरोना के सबकों से रूबरू कराती है।
पुस्तक : कोरोना-एक वैश्विक बदलाव रचनाकार : रेखा जैन प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 96 मूल्य : रु. 200.
लोकजीवन की रसरंगिनी
तारकेश्वरी ‘सुधि’ ने अपने पहले दोहा संग्रह- सुधियों की देहरी के बाद अपना पहला मुकरी संंग्रह ‘रसरंगिनी’ प्रकाशित किया है। जिसमें कुल 120 मुकारियां संकलित हैं। हिंदी काव्य साहित्य में विरल रूप में पायी जाने वाली इस विधा का प्रथम रचनाकार अमीर खुसरो को माना जाता है। कुल मिलाकर यह रसपूर्ण व मनोजंरक काव्य विधाओं में शुमार रही है। बताते हैं कि भारतेंदु हरिश्चंद्र तथा नागार्जुन ने भी इस विधा को समृद्ध बनाया। ऐसा माना जाता है कि मुकरी पहेलियों का लोकजीवन में स्वीकार्य रूप है, जिसे सखियां अापसी चुहलबाजी में संवाद का माध्यम बनाती रही हैं।
पुस्तक : रसरंगिनी रचनाकार : तारकेश्वरी ‘सुधि’ प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर पृष्ठ : 48 मूल्य : रु. 60.
बाल मन के संवाद
हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित दीपका खिंच्ची की पहली पुस्तक ‘मेरी गुड़िया’ बाल कविताओं का संग्रह है। संकलन में 54 कविताएं संकलित हैं। रचनाएं बालमन की सुकोमल भावनाओं से संवाद करती प्रतीत होती हैं। रचनाओं के जरिये रचनाकार प्रकृति, राष्ट्र प्रेम, सेहत, पर्व व त्योहारों के सरोकारों से बाल पाठकों को जोड़ने का प्रयास करती है। जीव-जंतुओं की कविताओं के जरिये वह प्रकृति से संवाद की कोशिश करती नजर आती हैं। कविताओं में चंदा मामा भी हैं, वासंती हवा भी है, चिड़िया भी है तो बिल्ली मौसी भी है।
पुस्तक : मेरी गुड़िया रचनाकार : दीपिका खिंच्ची प्रकाशक : आनन्द कला मंच प्रकाशन, भिवानी पृष्ठ : 80 मूल्य : रु. 100.
सृजन की पहली सीढ़ी
निस्संदेह देश में कई लेखक, पत्रकार व साहित्यकार ऐसे हुए हैं, जिन्होंने समाचार पत्रों के पत्र स्तंभों से लेखन की शुरुआत की। निस्संदेह, एक संवेदनशील, जिम्मेदार और जागरूक नागरिक के रूप में पत्र लेखक निरंतर लेखन करते रहते हैं। उन्हें इसका कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। लेकिन उसके बावजूद वे निरंतर देश-समाज की चिंताओं का मंथन करते रहते हैं। समीक्ष्य कृति ‘किस्मत कनेक्शन’ नलिन खोईवाल के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित पत्रों का संकलन है जो देशकाल परिस्थितियों से रूबरू कराते हैं। उसमें उनके पुरस्कृत पत्र भी शामिल हैं।
पुस्तक : किस्मत कनेक्शन रचनाकार : नलिन खोईवाल प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 156 मूल्य : रु. 300.
अस्मिता के सरोकार
रतन सनातन की पुस्तक ‘हिन्दुत्व रक्षार्थ’ धर्म की अस्मिता से जुड़े सवालों से संवाद करती है। वे धर्म की गौरवशाली परंपराओं का बखान करते हैं तो मौजूदा चुनौतियों का भी मंथन करते हैं। वे धर्म की सहिष्णुता तथा गौरवशाली कालखंड का उल्लेख भी करते हैं। वे भारतीय राजाओं के पराभव और आक्रांताओं के हमले व षड्यंत्रों का भी जिक्र करते हैं। वे जाति प्रथा का विरोध करते हैं और कर्म को प्रधानता देते हैं। सनातन धर्म की उज्ज्वलता बताते हैं। हिंदू संस्कृति के पहलुओं का जिक्र करते हैं।
पुस्तक : हिन्दुत्व रक्षार्थ रचनाकार : रतन सनातन प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 235 मूल्य : रु. 400.