गुवाहाटी, 25 जून (एजेंसी) असम में शनिवार को भी बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी रही और इसके चलते मृतकों की संख्या बढ़कर 118 हो गई। कछार जिले का सिलचर शहर छठे दिन भी जलमग्न रहा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि पिछले 24 घंटों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण दस लोगों की मौत हुई है जिनमें बारपेटा, धुबरी, करीमगंज और उदलगुरी जिलों के दो-दो व्यक्तियों और कछार तथा मोरीगांव के एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। असम राज्य प्रबंधन आपदा प्राधिकरण (एएसडीएमए) द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, 28 जिलों में बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या अब घटकर 33.03 लाख रह गई है, जबकि कल 30 जिलों में यह आंकड़ा 45.34 लाख था। अधिकारियों ने कहा कि कुछ जिलों में स्थिति में मामूली सुधार हुआ है। नदियों का जल स्तर कुछ हद तक कम हुआ है। हालांकि, धुबरी में ब्रह्मपुत्र और नगांव में कोपिली नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कहा कि कछार जिला प्रशासन बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने को प्राथमिकता देने के साथ सिलचर में बचाव अभियान चला रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद से भोजन के पैकेट, पीने के पानी की बोतलें और अन्य जरूरी चीजें शहर में वितरित की जा रही हैं तथा यह कार्य तब तक जारी रहेगा जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं हो जाता। बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत सामग्री उपलब्ध कराने के साथ-साथ बाढ़ की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए सिलचर में दो ड्रोन भी तैनात किए गए हैं। सिलचर में ईटानगर और भुवनेश्वर से पहुंचे 207 कर्मियों के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के आठ दलों तथा 120 कर्मियों वाली एक सैन्य इकाई तथा दीमापुर से लाई गईं नौ नौकाओं को तैनात किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि सिलचर में लगभग तीन लाख लोग भोजन, स्वच्छ पेयजल और दवाओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं। एएसडीएमए बुलेटिन के मुताबिक, राज्य में सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित जिला बारपेटा है, जहां 8,76,842 लोग परेशानी में हैं। इसके बाद नगांव (5,08,475), कामरूप (4,01,512) और धुबरी में 3,99,945 लोग परेशानी में हैं। इसमें कहा गया है कि बाढ़ से 93 राजस्व मंडल और 3,510 गांव प्रभावित हुए हैं, जबकि 2,65,788 लोगों ने 717 राहत शिविरों में शरण ली है। शिविरों में शरण नहीं लेने वाले बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच 409 राहत केंद्रों से राहत सामग्री वितरित की गई।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।