कोलकाता, 21 जून (एजेंसी)कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सौंपने संबंधी आदेश सोमवार को वापस लेने से इनकार करते हुये इस बारे में राज्य सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। अदालत ने मानव अधिकार आयोग को एक समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था। कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की पीठ ने जनहित याचिकाओं के एक समूह पर पारित आदेश को वापस लेने का पश्चिम बंगाल सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। इन जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई। पीठ ने 18 जून को पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव (डब्ल्यूएमएलएसए) की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए यह आदेश सुनाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि इन घटनाओं से 10 जून दोपहर 12 बजे तक 3243 लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया था कि कई मामलों की शिकायतों को पुलिस अधीक्षकों या संबंधित पुलिस थानों को भेजा गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के साथ न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस सुब्रत तालुकदार शामिल है। पीठ ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि वह चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की जांच के लिए एक समिति गठित करें।